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उत्तम पैदावार को मददगार सात तालाब संकट में

जहानाबाद। बस मामूली मेहनत से पूर्वजों का दिया गया तालाब को मिटा सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 09:37 PM (IST)
उत्तम पैदावार को मददगार सात तालाब संकट में
उत्तम पैदावार को मददगार सात तालाब संकट में

जहानाबाद। बस मामूली मेहनत से पूर्वजों का दिया गया तालाब को मिटा सकते हैं। उतीमपुर गांव में कभी सात छोटे-बड़े तालाब हुआ करते थे जो खेतों की पैदावार बढ़ाने में मददगार थे। अब सिर्फ निशानी बची है जिसे मामूली मेहनत से समतल कर घर बनाया जा सकता है।

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गांव वालों की सिर्फ छठ महापर्व के प्रति आस्था है इसलिए कुछ तालाबों का अस्तित्व बचा हुआ है। प्रखंड मुख्यालय से सटे उतीमपुर गांव में अवस्थित तालाब है। जमींदारी प्रथा से पहले जल के महत्व को समझते हुए इस गांव में सात तालाबों की खुदाई कराई गई थी। लेकिन अतिक्रमण के कारण एक -एक कर तालाब विलुप्त होते चला गया। आस्था से जुड़े होने के कारण 10 एकड़ भू-भाग में फैला बड़ा तालाब अब भी जीवित बचा है। हालांकि अतिक्रमणकारियों द्वारा इसे भी लगातार ह्रास किया जा रहा है। इस बड़े तालाब के किनारे बने देव स्थलों से लोगों की अटूट आस्था रही है। मान्यता के अनुसार प्राचीन जमाने से साधु संत इस तालाब में स्नान कर पास के मंदिरों में पूजा अर्चना करते थे। इलाके में कहीं कोई धार्मिक आयोजन होता था तो इस तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता था। गंगाजल के तर्ज पर लोग इस सरोवर के पानी को पवित्र मानते थे। लेकिन आधुनिकता की आंधी ऐसी चली की लोगों में प्राकृतिक स्त्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ आस्था की भी कमी आते चली गई। परिणामस्वरूप पवित्र माने जाने वाले इस सरोवर पर भी अतिक्रमण का प्रहार होने लग। हालांकि सात साल पहले तत्कालीन विधायक राहुल कुमार के पहल पर इस बड़े तालाब के जीर्णोद्धार के साथ-साथ सुंदरीकरण का कार्य कराया गया था। इधर सरकार द्वारा संचालित जल जीवन हरियाली योजना के तहत विलुप्त हो चुके तालाबों में तीन को चिन्हित किया गया है। जिसमें एक तालाब को छोड़कर अन्य के जीर्णोद्धार को लेकर जमीन पर कोई कार्य नहीं हो सका है। लोक आस्था के महापर्व छठ में लगता है श्रद्धालुओं का तांता

लोक आस्था के महापर्व छठ में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य अर्पित करने आते हैं। तालाब से सटे सूर्य देवता की प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। इलाके में ऐसी मान्यता रही है कि यहां पूजा अर्चना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। भगवान भास्कर के मंदिर के सटे बाबा भोले शंकर की मंदिर भी यहां स्थापित है। इधर इस स्थल को रमणीय बनाने के उद्देश्य से हाल में तालाब के बीचों-बीच एक मंदिर बनाया गया है। पूरी तरह धार्मिक केंद्रों से युक्त यह स्थान सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन बदहाल होते जा रहे तालाब के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। अब भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य अर्पित करने को लेकर इस सरोवर में जल की भी कमी होते जा रही है। इलाके में भूजल स्तर को सामान्य बनाए रखने में इसका है विशेष योगदान

जैसे-जैसे तालाब का अस्तित्व समाप्त होते जा रहे हैं। इस इलाके में भूजल का स्तर में भी गिरावट होती जा रही है। गर्मी के मौसम में भूमिगत जल के काफी नीचे चले जाने के कारण पेय जल की भीषण समस्या उत्पन्न हो रही है।इन सरोवर से इलाके के सैकड़ों एकड़ भूमि सिचित भी होती थी। लेकिन अब एकमात्र तालाब के अस्तित्व में बचे रहने के कारण सिचाई का दायरा काफी सीमित हो गया है।


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