सखी फल्गु से लइह नीर, घरे-घरे बनतइ खीर
जहानाबाद। सखी फल्गु से लइह नीर घरे-घरे बनतइ खीर..।
जहानाबाद। सखी फल्गु से लइह नीर, घरे-घरे बनतइ खीर..। गांव की महिलाएं मगही झूमर और कजरी में मां गंगा और फल्गु नदी की गीतों के साथ जल दिवस पर गंधार आहर के निर्माता केसरी नंदन शर्मा को याद किया। अकाल आने के पांच साल पहले पूर्वज केसरी नंदन द्वारा भूमिदान और श्रमदान से आहर का निर्माण कराया गया था। दैनिक जागरण में 16 मार्च को खबर प्रकाशित होने के बाद आहर पइन बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमपी सिन्हा ने संज्ञान लिया। अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर स्व. केसरी नंदन शर्मा की जन्म भूमि पर श्रद्धांजलि सभा, श्रमदान और पंगत पर संगत कार्यक्रम का आयोजन किया।
श्री सिन्हा ने कहा कि दैनिक जागरण में स्व. केसरी नंदन शर्मा जैसे भागीरथ की कहानी पढ़ने के बाद खुद को रोक नहीं पाए। 16 मार्च को जहानाबाद में किसान भवन में सभा आयोजित कर जल दिवस पर गंधार आहर के निर्माता केसरी नंदन शर्मा को श्रद्धांजलि देकर श्रमदान का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि बूंद-बूंद पानी की कीमत पूर्वज समझते थे। बिना किसी सरकारी मदद और इंजीनियर के ही किसानो से भूमिदान और श्रमदान से उन्होंने पूरे पंचातय को फल्गु का अमृत जल से सिंचाई की सुविधा 60 के दशक में उपलब्ध कराया। ऐसे महान पुरूष की याद में उनके द्वारा सौंपी गई धरोहर को बचाए रखने के लिए श्रमदान करना सौभाग्य की बात है।
--जल का महत्व प्यासा जाने --
जल का महत्व उस प्यासे से कोई पूछे जिसे शहर में ग्लास भर पानी के लिए 10 रुपये देने की मजबूरी होती है। उस किसान से पूछें जिसके फसल सूख जाते हैं। समझना होगा कि हमारे पूर्वजो ने आहर-पइन, तालाब और कुएं हमारे लिए बनाए थे। आने वाली पीढ़ी के लिए हम पीने भर जल छोड़ने का संकल्प लें।
-- जल नहीं कल से छल -- भौतिकवादी युग में हम पानी की बर्बादी कर जल नहीं बल्कि कल से छल कर रहे हैं। आहर को पुराने स्वरूप में लाने के लिए जो भी श्रमदानी है उन्हें आहर पइन बचाओ अभियान की ओर से प्रोत्साहन के रूप में सूखा भोजन सामग्री दिया जाएगा। श्रमदान में 50 लोगों की अलग-अलग दो टीम होगी। हर टीम पांच-पांच दिन श्रमदान करेंगे। सभी श्रमदानी का हौसला बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप सूखा राशन, सरसों तेल, नमक, सब्जी और मसाला पैकेट वितरित किया जाएगा।
-एक आइडिया ने बदल दी सूरत --
श्रमदान के एक आइडिया से गंधार आहर की सूरत बदल जाएगी। सूखे खेतों को मिलेगी नई जिदगानी । आहर-पइन बचाओ अभियान समिति के लोग जमीन पर उतर गए हैं। मोदनगंज का इलाका जो 1966-67 के अकाल को भी अपने श्रमदान से बौना साबित किया था। उसी धरती से जिले में काम की अलख जगने लगी है। इसे लेकर दैनिक जागरण द्वारा 1962 में गंधार में श्रमदान से खोदे गए आधा दर्जन पइन की बदहाली की खबर फल्गु नदी का सीना चीर बंजर खेतों को दिया नीर शीर्षक से प्रकाशित की गई थी। तत्कालीन मुखिया केशरीनंदन की प्रेरणा से बने पइन जब अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष करने लगी तब दैनिक जागरण इसे समाज के सामने प्रमुखता से प्रस्तुत किया था जिसका प्रतिफल यह हुआ कि जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए समर्पित आहर-पइन बचाओ अभियान समिति के लोग सजग हुए।
-- केसरी नंदन की याद --
आहर-पइन बचाओ समिति के लोग सोमवार को गंधार के उस पइन तक पहुंचे जहां कभी केशरीनंदन की प्रेरणा से ग्रामीणों ने धरती का सीना चीर कर फल्गु नदी से खेतों तक पानी पहुंचाया था। उस जलस्त्रोत की हालात तो अब बेहतर नहीं है लेकिन उसे सु²ढ़ करने के संकल्प के साथ केशरीनंदन को याद करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।