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धरती पर एक फीसद पीने का पानी, करें संरक्षण

जहानाबाद। कृषि विज्ञान केंद्र गंधार में वरीय वैज्ञानिक डॉ शोभा रानी की अध्यक्षता में विश्व जल दिवस पर समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 10:21 PM (IST)
धरती पर एक फीसद पीने का पानी, करें संरक्षण
धरती पर एक फीसद पीने का पानी, करें संरक्षण

जहानाबाद। कृषि विज्ञान केंद्र गंधार में वरीय वैज्ञानिक डॉ शोभा रानी की अध्यक्षता में विश्व जल दिवस पर समारोह का आयोजन किया गया। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद जिला परिषद अध्यक्ष आभा रानी ने कहा कि पानी को बचाने में सभी का योगदान जरूरी है। बूंद-बूंद जल संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कई जगह देखने को मिलता है कि नल को खुला छोड़ दिया जाता है जिससे पीने योग्य शुद्ध पानी बर्बाद होता है। इसपर जनजागरण की जरूरत है। इस दौरान वरीय वैज्ञानिक ने कहा कि 99 फीसद पानी महासागरों तथा अन्य जलस्त्रोतों में है। सिर्फ एक फीसद पानी ही पीने को ले उपलब्ध है। यदि इसे संरक्षित नहीं रखेंगे तो आने वाले दिनों में पेयजल संकट विकराल रूप धारण कर लेगा। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों द्वारा स्प्रींकलर तथा वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम का लाइव मॉडल प्रस्तुत किया गया। इस दौरान वैज्ञानिक इंजीनियर जितेंद्र कुमार, डॉ दिनेश महतो, डॉ वाजिद हसन समेत अन्य लोग मौजूद थे। संवाद सहयोगी मोदनगंज, जहानाबाद

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जल दिवस पर प्रखंड क्षेत्र के गंधार गांव में सोमवार को आहर-पइन बचाओ अभियान के तहत गंधार आहर के निर्माता पूर्व मुखिया स्व. केसरी नंदन शर्मा को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मुखिया मनोज सिंह ने किया। मंच संचालन जदयू प्रखंड अध्यक्ष अजित शर्मा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व मुखिया केशरी नंदन सिंह के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। उन्होंने छह दशक पूर्व किसानों के हित को ध्यान रखते हुए आधे दर्जन पइन का खुदाई कार्य किया था। इसको संरक्षित करने की जरूरत है। आहर-पईन बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संयोजक एमपी सिन्हा ने कहा कि जल-संरक्षण, जल के बिना कृषि की परिकल्पना नहीं किया जा सकता है। जल हमारी संस्कृति में बसता है। गलत नीतियों के कारण जलप्रबंधन, संचयन, बाढ नियंत्रण के परंपरागत और प्राचीन संसाधनों की उपेक्षा किया गया है। जिसका प्रभाव कृषि एवं अर्थव्यवस्था पर हुआ है। ऐसे में जलप्रबंधन एवं संचयन की पुरानी प्रणाली को पुनर्जीवित करना जरूरी है। जल एवं जमीन जीवन का मूल स्त्रोत है। अधिक से अधिक जल संरक्षण, गांव में श्रमदान-गोमाम प्रथा को बढ़ावा देना, गांव के जल विवाद को सामूहिक ,आहर पइन एवं जलश्रोत निकट अधिक से अधिक पौधरोपण करना। इस मौके पर कई लोगों ने आहर पइन बचाओ अभियान पर अपनी बात रखी। इस मौके पर रमाशंकर शर्मा, सुरेन्द्र मोहन समेत कई लोगों के अलावा दर्जनों मजदूर मौके पर उपस्थित थे।


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