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लीड: छज्जे के विवाद ने बर्बाद कर दी एक परिवार की ¨जदगी

मदन शर्मा, जहानाबाद: महज छज्जे के विवाद को लेकर कुख्यात गेहुमनमा एवं उसके गुर्गे ने एक गर

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 05:48 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 03:27 PM (IST)
लीड: छज्जे के विवाद ने बर्बाद कर दी एक परिवार की ¨जदगी
लीड: छज्जे के विवाद ने बर्बाद कर दी एक परिवार की ¨जदगी

मदन शर्मा, जहानाबाद:

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महज छज्जे के विवाद को लेकर कुख्यात गेहुमनमा एवं उसके गुर्गे ने एक गरीब परिवार की ¨जदगी बर्बाद कर दी। घटना को लेकर पूरे गांव के लोग सदमे में तो है, साथ ही उस कुख्यात के भय से कोई मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। गांव में तनाव नहीं बल्कि दहशत का वातावरण कायम है। विभिन्न थानों की पुलिस आवाजाही कर रही है। मिश्र बिगहा में बड़ी संख्या में एसएसबी के जवानों की तैनाती की गई है। पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-83 पर अवस्थित मां कमला चंद्रिका जी बीएड कॉलेज से इस छोटे से गांव की दूरी तकरीबन दो किलोमीटर है। गांव में अधिकांश गरीब परिवार के लोग रहते हैं। नौरू पंचायत के मुखिया नागेंद्र यादव उर्फ छोटन यादव भी उसी गांव के हैं। गांव में प्रवेश करते ही सड़क के किनारे लाली यादव का मकान है। लाली गेहुमन का बड़ा भाई है। लाली से ही 10 साल से विरेंद्र को छज्जा को लेकर लड़ाई चल रहा था। दरअसल लाली अपने मकान का छज्जा निकालना चाहता था जबकि विरेंद्र उसका विरोध करता था। इस बात को लेकर दोनों के बीच मुकदमा भी चल रहा था। छज्जे के विरोध का ही आलम था कि 10 साल पहले विरेंद्र अपने पुराने मकान के बगल में नया मकान बना रहा था। लेकिन गेहुमनमा की दबंगई ने उसे मकान बनाने से भी रोक दिया था। चार-पांच माह पहले भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था इसमें हवा में गोलियां भी दागी गई थी। विरेंद्र का बड़ा भाई निर्मल के अनुसार एक पखवाड़े पहले ग्राम पंचायत के सरपंच ने पंचायत बैठाया था। उस पंचायत में मामला सलट गया था। निर्मल ने बताया कि हमलोग छज्जा के लिए तैयार हो गए थे इसके बावजूद भी इस प्रकार की घटना घटी।

कोहराम मचता रहा पर मदद का साहस नहीं जुटा सके ग्रामीण

कुख्यात गेहुमनमा तथा उसके गुर्गे विरेंद्र के घर में कम से कम एक घंटे तक मारपीट तथा लूटपाट की घटना को अंजाम देते रहे। घर में कोहराम मचा रहा। विरेंद्र समेत पांचों भाई मदद मांगते रह गए। लेकिन इन कुख्यातों से दहशतजदा ग्रामीण उनलोगों को अपराधियों के चंगुल से छुड़ाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाए। ग्रामीणों के अनुसार घटना को अंजाम दिए जाने के दौरान कम से कम 50 चक्र हवा में गोलियां दागी गई ताकि गांव का कोई आदमी इधर झांकने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाए। अपराधी चिल्ला-चिल्ला कर गांव वालों को इधर आने से मना कर रहे थे, वे कह रहे थे कि उनलोगों को सिर्फ इससे विवाद है गांव वालों से नहीं। कहा जाए तो मिश्र बिगहा गांव पर घंटों गेहुमनमा का कब्जा कायम रहा। इस दौरान उनलोगों ने उसके घर का सामान भी तहस नहस कर दिया। निर्मल के अनुसार राजू जानवर खरीद-बिक्री का काम करता था। बुधवार को ही उसे जानवर खरीदने के लिए बाहर जाना था। इसके लिए वह अपने घर में दो लाख रूपए रखे हुए था। अपराधियों ने बक्सा तोड़कर उस पैसे की लूट तो की ही। भूषण के गले से सोने का बजरंगबली भी छिन लिया। इतना ही नहीं उसकी गूंगी मां के गले से जिउतिया भी उतरवा लिया। अपराधियों को जब इससे भी संतोष नहीं हुआ तो घर में बंधे बकरी भी साथ लेते गया। विरेंद्र काफी निर्धन परिवार का था। सात भाई एक ही जगह रहकर परिवार का भरण पोषण कर रहा था। गरीबी का ही आलम था कि मुख्य दरवाजे से लेकर अंदर के भी किसी कमरे में दरवाजा तक नहीं था। भूषण घर के सामने मंदिर के मंडप में सोया हुआ था। अपराधियों ने सबसे पहले उसे अपने कब्जे में लिया और मुंह बांधकर उसे घर लाया। घर के आगे डेउढ़ी में ललित तथा सृष्ट दोनो भाई सोया हुआ था। उनदोनों को भी मारते पीटते अंदर ले गया। फिर बगल के कमरे में सोया हुआ राजू कुमार को जगाया और उसे भी बेरहमी के साथ पीटते हुए बाहर लाया।

थाली में ही रह गया विरेंद्र का खाना

विरेंद्र बगल के मकान के कमरे में खाना खा रहा था। पत्नी भी सामने बैठकर उसे खाना खिला रही थी इसी बीच अपराधियों ने पत्नी के सामने ही उसकी भी पिटाई शुरु कर दी। फिर उसे पीटते-पीटते आंगन में ले गया जहां पीटाई के दौरान उसे उल्टी भी हो गई थी। किसी तरह उसकी पत्नी भागकर गांव में गई और शोर मचाने लगी। गांव वाले इस पूरी घटना से बाकिफ होते हुए भी उसके घर की ओर रूख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। पांचों भाईयों की इस कदर बेरहमी के साथ पीटाई की गई जिसे देखने व सुनने वालों के भी रोंगटें खड़े हो जा रहे हैं। आंगन में लकड़ी का वह पाटी भी गिरा हुआ था जिससे उनलोगों की पीटाई की जा रही थी। कोई उस लकड़ी से तो कोई डंडे एवं राइफल के बट से मार रहा था। कई जगहों पर बिखरे खून के धब्बे उनलोगों की क्रूरता को बयां कर रहा था।

दूसरे के दरवाजे पर नहीं सोए होते तो जा सकती थी निर्मल व सुमीत की भी जान

मृतक विरेंद्र यादव सात भाई था। सात भाईयों में विरेंद्र के अलावा राजू, ललित तथा सृष्ट घर में सोया हुआ था जबकि भूषण घर के सामने यज्ञ मंडप में सोया हुआ था। अपराधियों द्वारा इनमें से विरेंद्र तथा राजू की तो पीट-पीट कर हत्या कर दी गई जबकि भूषण, ललित तथा सृष्ट पीएमसीएच में जीवन-मौत से जूझ रहा है। ललित आईटीआई में काम करता है जबकि सृष्ट इसी साल मैट्रिक की परीक्षा पास की है। गनिमत थी कि सात भाईयों में से निर्मल यादव तथा सुमीत कुमार गांव के किसी व्यक्ति के दरवाजे पर सोया हुआ था। हालांकि अपराधी इन दोनों की भी तलाश कर रहे थे। सात भाईयों में सबसे बड़ा निर्मल ने बताया कि जैसे ही उसे इस घटना की जानकारी मिली वह भी हाथ में पत्थर लिए दौरा आ रहा था लेकिन गांव के लोगों ने उसे रोक दिया। ग्रामीणों ने वहां जाने से मना करते हुए कहा कि गोली छूट रही है तो पत्थर ले जाकर क्या करोगे।

टूट गई मैन की बुढ़ापे की लाठी

मिश्र बिगहा गांव निवासी विरेंद्र यादव तथा सगा भाई राजकुमार की हत्या क्या हुई कि वृद्ध चाचा मैन यादव के बूढ़ापे की लाठी ही टूट गई। इन्हीं भाईयों के सहारे इस वृद्ध का दिन गुजर रहा था। अपराधियों की कहर में दो भाई की तो हत्या ही हो गई। जो तीन भाई भूषण, ललित तथा सृष्ट पीएमसीएच में हैं। पीट-पीट कर उनलोगों के शरीर को भी इस कदर बर्बाद कर दिया गया है कि उनलोगों को स्वस्थ्य जीवन जीना संभव नहीं जान पड़ता है। जब जागरण के संवाददाता विरेंद्र के घर पहुंचे तो उसकी बहन रो रही थी। यह कह रही थी कि अब तोहनी काहे ला ऐला हे। सामने दिवाल के सहारे बैठे वृद्ध मैन की ओर इशारा करते हुए कहती है कि एकरा दुख सहे ला काहे ला छोड़ देलकै। जो भी लोग उसके दरवाजे पर जा रहे थे उसे वह निहार रहा था। उसके आंख की आंसू सुख चुके थे। भले ही उसकी गूंगी मां कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन उसकी चेहरे का हावभाव उसके दर्द को बयां कर रहा था। इस घटना में अपने बेटों को खोने वाली इस महिला को तो अपने दुख व्यक्त करने के लिए मुख भी नहीं था। ऐसे में वह अंदर ही अंदर घूंट रही थी। उसकी असीम पीड़ा उसके भाव से प्रदर्शित हो रहा था।


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