अपनी पहचान खोते जा रहा थावे का ऐतिहासिक तालाब
गोपालगंज : अपनी अलग पहचान बनाने वाला थावे दुर्गा मंदिर के समीप जंगल में स्थित ऐतिहासिक तालाब अब अपन
गोपालगंज : अपनी अलग पहचान बनाने वाला थावे दुर्गा मंदिर के समीप जंगल में स्थित ऐतिहासिक तालाब अब अपनी पहचान खोते जा रहा है। कभी इस तालाब की सफाई का पूरा इंतजाम था तथा लोगों का स्नान ध्यान भी यहीं होता था। लेकिन अब तालाब तथा इसके आसपास के इलाके में फैली गंदगी के कारण लोग इस स्थान पर जाने से परहेज करने लगे हैं।
बताया जाता है कि चेरो वंश के समय से ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर से पूरब दिशा में जंगल में एक बड़ा सा तालाब स्थित है। तालाब के बीचोबीच एक गोलाकार स्थल भी है, जिसपर पेड़ पौधे उगे थे। तब तालाब के बीच स्थित ऊंचा टीला लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था। यहां आने वाला हर व्यक्ति इस तालाब की छटा को लुत्फ उठाते थे। लोगों की दिलचस्पी को देखकर वर्ष 1991 में इस तालाब के समीप सीढ़ी का निर्माण किया गया। तब तालाब की देखरेख की पर्याप्त व्यवस्था भी की गई। लेकिन समय के साथ तालाब की देखरेख बंद कर दी गई। अब स्वच्छ दिखने वाला यह तालाब गंदगी का पर्याय बन गया। आज हालत यह है कि तालाब की सीढ़ी पर गंदगी पसरी हुई है। मंदिर प्रशासन को तालाब की स्थिति से मानों कोई लेना देना भी नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इस तालाब की दशा को ठीक किया जाए तो पर्यटन की ²ष्टि से भी इस स्थल का विकास हो सकता है।
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तेजी से फैल रहा है शैवाल
गोपालगंज : इस तालाब की दशा सुधारने के लिए अबतक कोई भी प्रयास नहीं हो सका है। ऐसे में पूरे तालाब को अब शैवाल तेजी से अपने आगोश में ले रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो तालाब पर प्रशासन की निगाह नहीं होने के कारण इसकी स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है।
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गर्मी में भी नहीं खत्म होता है तालाब का पानी
गोपालगंज : घने पेड़ पौधों से घिरे इस तालाब में सालों भर पानी भरा रहता है। स्थानीय लोगों की मानें तो एक तरफ भीषण गर्मी में दूसरे तालाबों में पानी का अभाव हो जाता है। लेकिन इस तालाब में हमेशा पानी रहता है। ऐतिहासिक तालाब होने के बाद भी इस तालाब के संरक्षण की दिशा में अब तक सरकारी स्तर पर कोई भी प्रयास नहीं किया गया।