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नेकी का जखीरा जमा करने का माह है रमजान

गोपालगंज : माह-ए-रमजान अल्लाह की रहमत और इनायत का महीना है। इस माह में रोजा रखने वालों की अहमियत काफ

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 04:27 PM (IST)
नेकी का जखीरा जमा करने का माह है रमजान
नेकी का जखीरा जमा करने का माह है रमजान

गोपालगंज : माह-ए-रमजान अल्लाह की रहमत और इनायत का महीना है। इस माह में रोजा रखने वालों की अहमियत काफी बढ़ जाती है। यह माह नेकियों का जखीरा जमा करने का खास महीना है। इस माह का बुनियादी अमल रोजा है जो हर मुसलमान पर फर्ज है। चाहे वो गरीब हो या मालदार। जामा मस्जिद के इमाम बताते है कि रमजान के दिनों में इंसान रब की बंदगी की खातिर उन चीजों को छोड़ देता है, जो उसके लिए रमजान के अलावा महीनों में हलाल और जायज है। लेकिन बड़ी अफसोस की बात है कि कुछ लोग वो काम बदस्तूर करते रहते हैं। जो आम हालात में भी उसके लिए नाजायज और हराम है। जैसे झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना, रिश्वत वगैरह है, जो हर हाल में हराम है। इमाम बताते है कि अल्लाह की रजा और खुशमदीह के लिए जब कोई भूख -प्यास के लिए तकलीफ रहता है, तो उसे अपने गरीब भाइयों की भूख सहने की तलखियों का एहसास होता है। कमजोर की बेबसी और मोहताज की गम के कसक उसके सीने में महफूज होती है। जब इंसान खुद उस राह से गुजरता है तो लोगों की मशक्कत और तकलीफ उसके लिए जाति तजुर्बा बन जाता है। वे बताते हैं कि इस माह में कोई बंदा अल्लाह तआला से अपनी हाजत और जरुरत पूरी करने की मांग करता है तो उसकी मांग पूरी की जाती है। रोजी-रोटी, औलाद, व्यवसाय और सेहत में बरकत व गुनाहों की माफी तो इस असरे में जरूर ही पूरी होती है मगर शर्त यह है कि दिल से मांगा जाए।

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