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शहर में बढ़ी चहल पहल, बाजार में दिखी रौनक

गोपालगंज। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व को लेकर बाजार में चहल पहल बढ़ने लगी है। पूजा

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Oct 2017 03:05 AM (IST)Updated: Tue, 24 Oct 2017 03:05 AM (IST)
शहर में बढ़ी चहल पहल, बाजार में दिखी रौनक
शहर में बढ़ी चहल पहल, बाजार में दिखी रौनक

गोपालगंज। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व को लेकर बाजार में चहल पहल बढ़ने लगी है। पूजा को लेकर बाजार में फलों से लेकर पूजा के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले सामानों की दुकानें सड़क किनारे सज गई हैं। शहर के मेन रोड, कलेक्ट्रेट पथ, मौनिया चौक, थाना रोड तथा बड़ी बाजार में पूजा के सामान की दुकानों में महिलाओं से लेकर पुरुष खरीदारी को पहुंचने रहे हैं।

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हालांकि छठ पूजा के सामानों की कीमतों में पिछले वर्ष की तरह उछाल देखने को मिल रहा है। फलों की कीमत में कुछ अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन केला इसका अपवाद है। केला 20 रुपये दर्जन से लेकर 30 रुपये प्रति दर्जन की दर से बिक रहा है। पूजा के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले अन्य सामानों की मांग बढ़ी है। ईख से लेकर अन्य सामानों की बिक्री भी धीरे-धीरे ही सही, जोर पकड़ने लगा है।

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बुधवार को व्रती करेंगे खरना

गोपालगंज : छठ पर्व के दौरान व्रत धारण करने वाले स्त्री व पुरुष बुधवार को खरना करेंगे। इस दिन व्रत धारण करने वाली महिलाएं आंशिक उपवास पर रहती हैं। यानि दिन में व्रत रखने के बाद महिलाएं शाम कच् स्वच्छता से धुले स्थान पर मिट्टी के चूल्हे स्थापित कर अक्षत, धूप, दीप व ¨सदूर से उसकी पूजा करेंगी। उसके बाद प्रसाद के लिए रखे हुए आटे से रसियाव-रोटी बनाएंगी। बाद में चौके में ही खरना करेंगी। रोटियां बनाने के बाद बचे हुए आटे से एक छोटी सी रोटी बनाकर रखेंगी। जिसे ओठगन करते हैं। तीसरे दिन व्रत की समाप्ति पर इस रोटी को खाकर महिलाएं व्रत को तोड़ेंगी। खरना के पूर्व हथेली के आकार की बनी हुई तस्तरी में धूप देने के बाद थाली में परोसे हुए संपूर्ण सामानों में से थोड़ा-थोड़ा डालेंगी। जिसे अग्नि जिमाना करते हैं। उसके बाद अग्रासन या गऊग्रास निकालने के बाद महिलाएं भोजन करेंगी। खरना करने के बाद बचा हुआ भोजन परिवार के सभी सदस्यों में महिलाएं प्रसाद के स्वरूप में बांटेंगी।

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क्यों की जाती है सूर्य की पूजा

गोपालगंज : छठ पर्व पर एक तरफ छठी मइया का गीत गाया जाता है तो दूसरी ओर भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाता है। विद्वानों की मानें तो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पूजा की जाती है। षष्ठी तिथि शुक्र की तिथि मानी जाती है। और शुक्र की अधिष्ठात्री स्वयं मां जगदंबिका हैं। इस वजह से छठ माता कहा जाता है और उनके मंगल गीत गाकर उनकी आराधना की जाती है। चूंकि यह पर्व संतान की मंगल कामना से जुड़ा हुआ है, इस वजह से यह सूर्य से भी संबंधित हो जाता है। सूर्य कालपुरुष के पंचम भाव के स्वामी हैं। पंचम भाव संतान, विद्या, बुद्धि आदि भावों का कारक माना जाता है। इस कारण इस दिन सूर्य की पूजा करके संतान की प्राप्ति व संतान से संबंधित याचनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य की आराधना की जाती है। इसमें समस्त ऋतु फल अर्पित किए जाते हैं और संकल्प के साथ भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाता है।

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पूजन सामग्री की क्या है कीमत

सामान कीमत

दउरा 80 से 120 रुपये

ढाका 150 से 200 रुपये

सुपली 30 से 40 रुपये

बेल 10 रुपये

अनन्नास 50 रुपये

बड़ा नींबू 40 रुपये

इमली 100 रुपये

पपीता 60 रुपये

हल्दी पत्ता 60 रुपये

गाजर 50 रुपये

अदरक 120 रुपये

नारियल 30 रुपये

गन्ना 15 रुपये में एक

कैथा 05 रुपये

आंवला 50 रुपये

केला 30 रुपये

¨सघाड़ा 40 रुपये

करवन 05 रुपये जोड़ा

अनार 50 से 100 रुपये

सेव 70 से 100 रुपये

संतरा 80 रुपये

मौसमी 40 रुपये

नाशपाती 80 रुपये

तरबूज 40 रुपये

साठी का चावल 150 रुपये

कोसी बर्तन 130-180 रुपये


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