दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अक्षय नवमी पर आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना, कुष्मांड का किया दान
अक्षय नवमी पर आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना की गई। दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर उसे ग्रहण किया। जगह-जगह भतुआ दान भी किया गया। इस दौरान उत्सवी माहौल बना रहा।
जेएनएन, गया /रोहतास। अक्षय नवमी तिथि पर सोमवार को शहर से गांव तक आंवला के पेड़ की पूजा अर्चना की गई। धागा फेरी लगाई। उसके नीचे भोजन बनाकर उसे ग्रहण किया। लोगों ने कुष्मांड दान भी किया। जगह-जगह अांवला पेड़ के पास श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। मान्यता है कि आज के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने और उसके नीचे भोजन पकाने से दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
आंवला के पेड़ में लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इसी वजह से आंवले में लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है। वहीं कथा श्रवण कर कुष्मांड फल (भतुआ) का दान किया गया। न्यू एरिया स्थित गायत्री मंदिर, कुराईच महावीर मंदिर समेत शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में अक्षय नवमी पर आंवला की पूजा की गई।
इस दौरान कहीं-कहीं आंवला के पौधे भी लगा पर्यावरण संरक्षण के साथ सुखद स्वास्थ्य की कामना की गई। कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक रूप से पूजा के उपरांत दान व भोजन कराने से श्रद्धालुओं को मना किया गया है, लेकिन लोगों ने आंवला की पूजा कर पहले से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया। भारतीय चिकित्सा पद्धति में आंवला को गुणों का खान का माना जाता है। सनातन संस्कृति में प्रकृति को बचाने की परंपरा रही है। आंवला का पूजन मानव के लिए आरोग्य की कामना करता है। कहीं-कहीं खिचड़ी तो कहीं-कहीं खीर व अन्य तरह के व्यंजन बनाए गए।
रत्ना देवी कहती हैं कि आंवला तो वैसे भी मनुष्य के लिए काफी फायदेमंद है। आज का यह पर्व इस बात का संदेश देता है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें। पेड़-पौधे हमारे लिए कितने फायदेमंद हैं इसका पता चलता है। छात्रा किरण का कहना है कि आंवले का पेड़ हो इसका फल,हर दृष्टि से यह इंसान के लिए हितकारी है। आज की पूजा का काफी महत्व है।