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पर्यावरण संरक्षण अभियान पर चल रही लकड़ी तस्करों की कुल्हाड़ी, डेहरी में धड़ल्ले से काटे जा रहे शीशम के हरे पेड़

एक तरफ पर्यावरण संरक्षण के लिए जहां मुख्यमंत्री की अति महत्वकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत पौधारोपण अभियान चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ डेहरी प्रखंड क्षेत्र में अंधाधुंध हरे वृक्ष पर लकड़ी तस्करों की कुल्हाड़ी चल रही हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 07:26 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 07:26 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण अभियान पर चल रही लकड़ी तस्करों की कुल्हाड़ी, डेहरी में धड़ल्ले से काटे जा रहे शीशम के हरे पेड़
सासाराम के डेहरी में हरे-भरे वृक्षों की अंधाधुंध हो रही कटाई, सांकेतिक तस्‍वीर।

डेहरी ऑन-सोन (रोहतास), संवाद सहयोगी। एक तरफ पर्यावरण संरक्षण के लिए जहां मुख्यमंत्री की अति महत्वकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत पौधारोपण अभियान चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ डेहरी प्रखंड क्षेत्र में अंधाधुंध हरे वृक्ष पर लकड़ी तस्करों की कुल्हाड़ी चल रही हैं। ऐसे में तस्कर सरकार के वृक्ष लगाओ अभियान के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान में बाधक बन रहे हैं।

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डेहरी प्रखंड क्षेत्रों में अवैध रूप से काटे जा रहे हरे पेड़ से जहां पर्यावरण संरक्षण पर प्रभाव पड़ रहा है। वहीं, इस कारोबार में लगे लकड़ी तस्कर मालामाल हो रहे हैं।

पेड़ काटकर पहुंचा रहे आरा मशीन

मंगलवार की रात डेहरी तारबंगला आरा मशीन रोड के हदहदवा पुल के समीप जहां सिचाई विभाग के मौसमी कर्मचारी पुल का गेट उठाने के लिए 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, उस पुल के सटे ही लकड़ी तस्कर विशाल हरे शीशम का पेड़ काट ले गए। अगल-बगल के पेड़ काटकर पास के किसी भी आरा मशीन तक पहुंचाने का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है। न तो इस समय हरे पेड़ों की कटाई पर रोक लग रही हैं और ना ही इस कारोबार से जुड़े लोगों को चिह्नित कर उनपर कार्रवाई करने की दिशा में कोई कदम उठाया जा रहा है। नतीजतन लकड़ी तस्करों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है।

किसका संरक्षण है लकड़ी तस्‍करों को

सूत्रों की मानें तो इन लकड़ी तस्करों को आरा मिल संचालकों एवं सफेदपोश नेताओं के साथ कुछ एक अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ हैं। इस वजह से इनके ऊपर कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। डेहरी अनुमंडल क्षेत्र में सरकारी स्तर पर सागवान, शीशम, गम्हार, महोगनी समेत अन्य प्रकार के पेड़ बहुतायत मात्रा में लगाने का काम किया गया था। इसके पूर्व भलुआड़ी गांव के नहर किनारे, सोन तट, हाइड्रो इलेक्ट्रिक नहर के अलावा अन्य जगहों पर शीशम के पेड़ काफी मात्रा में लगे हुए थे, लेकिन वर्तमान समय में ना तो शीशम के पेड़ कहीं बांंध या नहरों पर दिखाई दे रहे और ना ही महंगे सागवान नजर आ रहे हैं। यहां सक्रिय लकड़ी तस्करों द्वारा इन महंगे पेड़ों को काटकर उसे आसपास के आरा मशीन पर चिराई के बाद बाहर भेजने का काम किया जा रहा हैं। इस संबंध में हदहदवा पुल सिचाई विभाग के जेई अनिल पासवान ने बताया कि काटे गए शीशम का पेड़ हमलोगों के क्षेत्र में नहीं डेहरी डिविजन क्षेत्र में पड़ता है। इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों व पुलिस को दी जा रही है।


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