जिसका कोई नहीं, उसका तो खुदा..., कोरोना संक्रमित महिला के शव का युवकों ने किया अंतिम संस्कार
इस वक्त सेवा सहयोग व समर्पण सबसे अहम माना जा रहा है। इस दिशा में युवकों की टोली सबसे आगे दिख रही है। जिसका कोई नहीं रह रहा है उसका युवक खेवनहार बन रहे हैं। कुछ ऐसा ही सेवा व समर्पण इन दिनों जिले में देखने को मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, सासाराम। कोरोना महामारी में इस वक्त सेवा, सहयोग व समर्पण सबसे अहम माना जा रहा है। इस दिशा में युवकों की टोली सबसे आगे दिख रही है। जिसका कोई नहीं रह रहा है, उसका युवक खेवनहार बन रहे हैं। कुछ ऐसा ही सेवा व समर्पण इन दिनों जिले में देखने को मिल रहा है।
एक दिन पूर्व सदर अस्पताल में कोरोना संक्रमित एक महिला की मौत के शव के अंतिम संस्कार के लिए परिवार का कोई कोई सदस्य नहीं पहुंचा, तो अस्पताल परिसर में मरीजों को काढ़ा बांटने पहुंचे हिंदु जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की दरियाली अचानक परवान पर चढ़ गई। डीएम व स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी कोई अस्पताल कर्मी दाह-संस्कार के लिए राजी नहीं हुआ तो मंच के कार्यकर्ताओं ने अपने बूते इस अंतिम प्रक्रिया को पूरा कर एक मिसाल कायम किया।
मंच से जुड़े आरएसएस के जिला प्रचार प्रमुख क्षितिज सिंह की माने तो दूसरी बार कोरोना जांच कराने सदर अस्पताल पहुंची एक महिला की मौत मंगलवार को हुई थी। उसके साथ परिवार का कोई सदस्य नहीं था और न अस्पताल प्रबंधन अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयार था। सूचना मिलने पर मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने शहर से सटे बादशाही पुल के पास अपने बूते रीति रिवाज से शव का अंतिम संस्कार कराया।
अब तक मंच व संघ के माध्यम से तीन दर्जन से अधिक शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है। इस कार्य में राधेश्याम पांडेय, सुनील बाला जी, धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा, सोनू कुमार, अजय सिंह, भाई जितेंद्र सिंह, राजेश कुमार, सिद्धार्थ कुमार उर्फ छोटू, मुन्ना कुमार समेत अन्य कार्यकर्ता अहम भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में सेवा व समर्पण की यह भावना आगे भी जारी रहेगी।