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अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज में कोविड-19 के दौरान जैवचिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर वेबिनार का आयोजन

सर्वप्रथम अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रधानाचार्य प्रो.डॉ. एम शमसुल इस्लाम ने कहा कि वर्तमान समय में जैव चिकित्सा अपशिष्ट बड़ी समस्या के रूप में पर्यावरण को दूषित और ना केवल मानव जीवन बल्कि अन्य जीवों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 05:24 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 05:24 PM (IST)
अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज में कोविड-19 के दौरान जैवचिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर वेबिनार का आयोजन
गया में वेबिनार में विषय पर चर्चा करते वक्‍ता। जागरण।

जागरण संवाददाता, गया। अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज की आइक्यूएसी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में कोविड -19 महामारी के दौरान जैवचिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रबंध विभाग के प्राध्यापक सैफ अख़्तर ने कार्यक्रम संचालन करते हुए सभी वक्ताओं एवं अध्यक्ष का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का प्रारंभ किया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रधानाचार्य प्रो.डॉ. एम शमसुल इस्लाम ने कहा कि वर्तमान समय में जैव चिकित्सा अपशिष्ट बड़ी समस्या के रूप में पर्यावरण को दूषित और ना केवल मानव जीवन बल्कि अन्य जीवों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।

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प्रधानाचार्य ने बताया कि जागरूकता के अभाव और तकनीकी सुविधाओं का अभाव तो समस्या है परंतु इससे होने वाले जोखिमों की ओर हमारा ध्यान नहीं होना उसे बड़ी समस्या है। उन्होंने उपयुक्त प्रबंधन के अभाव में संक्रमण से होने वाली बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस, एड्स एवं रेडियोधर्मी प्रभावों के कारण होनेवाली बीमारियां फैल रही है और इस गंभीर विषय पर संबंधित हितधारकों सहित आम लोगों को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि जोखिम और खतरों से बचा जा सके।

अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष सह पीआरओ डॉ.अमृतेंदू घोषाल ने अपने उद्बोधन में जैव चिकित्सा अपशिष्ट से होने वाले संक्रमण का स्तर की विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए विभिन्न समाचार पत्रों एवं आलेखों के द्वारा इस गंभीर विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पिछले 4 महीने में 18000 टन जैव चिकित्सीय अपशिष्ट हुआ है और कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में इसकी बड़ी भूमिका है। डॉ.घोषाल ने बताया कि सरकारी स्तर पर जैव चिकित्सा प्रबंधन के नियम बनाए गए हैं और बहुत से अस्पतालों में इसके पालन भी किए जाते हैं। परंतु इस विषय पर अधिक जागरूकता तथा संबंधित विषय में स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक आम लोग इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में सजग नहीं होंगे तब तक इस दिशा में सकारात्मक परिणाम नहीं आ सकते।

राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम पदाधिकारी एवं दर्शनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ.श्वेता सिंह ने प्रधानाचार्य का विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान समय में अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया है एवं हम सभी को इस विषय पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रबंध विभाग के प्राध्यापक सैफ़ अख़्तर ने किया एवं कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग का दायित्व मुकेश कुमार ने निभाया। वेबिनार के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं शिक्षकों सहित शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सहभागिता रही। साथ ही विद्यार्थियों ने भी काफी संख्या में वेबिनार में भाग लिया।


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