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मौसम के मिजाज ने बढ़ाई किसानों की चिता

गया। जिले में मौसम के मिजाज में काफी बदलाव हुआ है। शनिवार की शाम से बूंदाबांदी हो रही है। रात में भी रुक- रुक कर कई बार हल्की से मध्यम बारिश हुई। रविवार की सुबह से दोपहर तक भी बूंदाबांदी हुई। आसमान बादलों से ढका हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:13 PM (IST)
मौसम के मिजाज ने बढ़ाई किसानों की चिता
मौसम के मिजाज ने बढ़ाई किसानों की चिता

गया। जिले में मौसम के मिजाज में काफी बदलाव हुआ है। शनिवार की शाम से बूंदाबांदी हो रही है। रात में भी रुक- रुक कर कई बार हल्की से मध्यम बारिश हुई। रविवार की सुबह से दोपहर तक भी बूंदाबांदी हुई। आसमान बादलों से ढका हुआ है। शहरी इलाकों के साथ ही प्रखंड क्षेत्रों में भी बारिश होने की खबर है। हालांकि, पछुआ हवा नहीं चलने से कनकनी व ठिठुरन से थोड़ी राहत जरूर है। मौसम के पूर्वानुमान में सोमवार को भी हल्की से मध्यम बारिश होगी। 12 एमएम तक दर्ज हुई बारिश, जंगल क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने की खबर

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- रविवार को जिले का न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस रिकाड किया गया। जबकि बीते 24 घंटा में जिले में औसतन 12 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है। जंगल क्षेत्रों में कहीं-कहीं 20 से 22 मिलीमीटर तक बारिश होने की भी खबर है।

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माघ की वर्षा रबी फसलों को पहुंचाती बड़ा नुकसान

-माघ महीने की बारिश से रबी फसलों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया गया है। अभी खेतों में गेहूं के छोटे-छोटे पौधे तैयार हुए हैं। अभी इनके वानस्पतिक विकास का समय है। यदि अच्छी बारिश हो गई और खेतों में अत्यधिक जलजमाव हो जाता है तो उन छोटे पौधों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में गेहूं की खेती कर रहे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इन पौधों के गल जाने की पूरी संभावना व्यक्त की गई है। इधर, जिन खेतों में आलू की फसल लगी हुई है उन्हें भी अभी की बारिश से जबरदस्त नुकसान होगा। फसल की उपज प्रभावित होगी। आलू के पौधों में झुलसा रोग लगने का भी संभावना है। तिलहन फसलों की बात करें तो सरसों और तीसी की फसल भी इस बारिश से प्रभावित होगी। वहीं दलहन में चना, मसूर की खेती को बहुत अत्यधिक नुकसान हो सकता है।

- खेतों में नहीं जमा हो पानी इसके लिए पूर्व से तैयार रहें किसान:

- जिला के कृषि परामर्शी सुदामा सिंह ने बारिश और खराब मौसम को लेकर किसानों से कहा कि खेतों में जल निकासी प्रबंधन की व्यवस्था कर लें। खेत में पानी जमा होने से पौधों को अत्यधिक नुकसान होता है। गेहूं के खेतों को अधिक नुकसान हो सकता है। बता दें जिले में इसी माह की 12 तारीख को बारिश और ओलावृष्टि से हजारों एकड़ में लगी फसल को पहले ही नुकसान पहुंच चुका है।

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दुधारू पशुओं की करें देखभाल

-ठंड को देखते हुए पशुपालकों से भी सावधानी बरतने की अपील की गई है। पशुओं को जिस जगह पर रखा जाता है उस जगह को सूखा रखें। ताकि पशुओं को ठंड नहीं लगे। पशुओं को हरा चारा और मिनरल्स आहार के रूप में जरूर दें।


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