हमने साहब को बचाने के लिए नक्सलियों से लिया था लोहा, उनकी जान बख्श देने की लगाती रही गुहार
रोहतास के डीएफओ रहे जांबाज और कर्तव्यनिष्ठ संजय सिंह की हत्या को 19 वर्ष बीत गए हैं। लेकिन उनकी स्मृति आज भी वनवासियों के जेहन में है। उनकी पुण्यतिथि 15 फरवरी 2002 को नक्सलियों ने कर दी थी।
जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे संजय सिंह की शहादत को 19 साल बीत गए हैं। लेकिन ये जांबाज अधिकारी आज भी अधिकारियों और कर्मचारियों समेत क्षेत्र की जनता के हृदय में हैं। यहां के डीएफओ रहे संजय सिंह ने अपनी कार्य कुशलता की बदौलत जंगल व पहाड़ी की कीमत लोगों को समझाई। वे पत्थर व जंगल माफिया के कट्टर दुश्मन माने जाते थे। पत्थर माफिया और जंगल में उत्पात मचाने वाले नक्सलियों के दबाव के आगे नहीं झुके। कर्तव्य पथ से कभी विचलित नहीं हुए। ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से कभी समझौता नहीं किया। यही वजह है कि शहादत के 19 वर्ष बाद भी डीएफओ संजय सिंह की कुर्बानी कर्मवीरों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
15 फरवरी 2002 को कर दी गई थी हत्या
15 फरवरी 2002 को कैमूर पहाड़ी पर बसे नौहट्टा प्रखंड के रेहल गांव में नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी। उनमें से अबतक आधा दर्जन को कोर्ट से सजा मिल चुकी है। अन्य अभी ट्रायल सामना कर रहे हैं। यही वजह है कि ड्यूटी के दौरान शहीद हुए संजय सिंह वनवासियों के बीच आज भी आदर से याद किए जाते हैं। सोमवार को उनकी 19 वीं पुण्यतिथि विभागीय कार्यालय से ले शिक्षण संस्थानों में मनाई जाएगी।
वनवासी महिलाओं ने भी लिया था लोहा
रेहल गांव के लोगों ने डीएफओ को बचाने की पूरी कोशिश की। इसमें महिलाएं सबसे आगे रहीं। उन्हें बचाने के लिए कुछ समय तक महिलाओं ने नक्सलियों से लोहा भी लिया था, लेकिन संजय सिंह के कहने पर उन्हें अपना पांव पीछे खींचना पड़ा था। ग्रामीण उस दिन को जब भी याद करते हैं, तो उनकी आंखें भर आती हैं। रेहल की कई महिलाएं बताती हैं कि हम सभी ग्रामीण संजय सिंह की जिंदगी की भीख नक्सलियों से मांगते रहे, उनका पीछा भी किया। पर उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। गांव की दर्जनभर महिलाओं ने उनसे लोहा भी लिया। जिससे क्रोधित नक्सलियों ने बेल्ट व डंडे से उनकी पिटाई भी की। जिस जगह पर साहब की हत्या हुई, वह शहादत स्थल हमारे लिए पूजनीय रहेगा।
रेंज आफिस व गेस्ट हाउस तक को भी नहीं छोड़ा
कर्तव्य के आगे उन्होंने नक्सलियों से भी हार नहीं मानी थी। शायद यही वजह थी कि हत्या की खबर मिलते ही हर कोई मर्माहत हो उठा था। लगभग एक सप्ताह तक धरना-प्रदर्शन का सिलसिला चलता रहा। नक्सलियों ने डीएफओ की हत्या तो की ही, रेहल में स्थापित वन विभाग के रेंज आफिस व गेस्ट हाउस को भी नहीं छोड़ा था। उसे भी विस्फोट कर उड़ा दिया था।
हम सबके लिए हमेशा रहेंगे प्रेरणास्रोत
रोहतास के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव कहते हैं कि शहीद डीएफओ संजय सिंह हम सब के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे। उनकी कुर्बानी हमसब को सदैव अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढऩे का संदेश देती है। इस पर आज भी विभाग के अधिकारी अमल कर रहे हैं। वन संपदा व पर्यावरण की सुरक्षा के कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। उनके द्वारा जो भी कार्य प्रारंभ किए गए हैं उसे आज भी जारी रखा गया है।