स्कूल हाजिरी भर के लिए, पांच साल से शिक्षक नहीं
गया। प्रखंड की दिवनीया पंचायत का उत्क्रमित माध्यमिक उच्च विद्यालय, दिवनियां बाहर से भले ठीक लगता
गया। प्रखंड की दिवनीया पंचायत का उत्क्रमित माध्यमिक उच्च विद्यालय, दिवनियां बाहर से भले ठीक लगता है, अंदर से हालत उतनी ही खराब है।
विद्यालय परिसर में चारदीवारी नहीं होने से यहां के सामान गायब हो गए। उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की जा सकी है। हालत यह है कि मध्य विद्यालय के दो शिक्षक यहां आकर कक्षा नौ और दस के छात्रों को पढ़ाते हैं।
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2014 में मिला उच्च विद्यालय का दर्जा
इस विद्यालय की स्थापना 1930 में हुई थी, जिसे 2014 में उत्क्रमित कर उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दिया गया। यहां छात्र-छात्राओं की संख्या 469 है, जिन्हें पढ़ाने के लिए विभाग ने अब तक शिक्षक नहीं उपलब्ध कराया है। यहां के छात्र निजी कोचिंग सेंटर में पढ़ने को मजबूर हैं।
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दो एकड़ भूमि पर बना है विद्यालय भवन
दो एकड़ भूमि पर विद्यालय का भव्य भवन है, जिसमें सोलह कमरे हैं। शौचालय, पानी की व्यवस्था के लिए समरसिबल मोटर लगाकर पांच-पांच हजार गैलन की दो पानी टंकी भी लगाई गई। लेकिन असामाजिक तत्व सब उठाकर ले गए।
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प्रयोगशाला में जम रही धूल
तीन-चार महीने पहले उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के लिए बनाई गई प्रयोगशाला में प्रायोगिक विषयों से संबंधित सामान लाए गए हैं। इसका प्रयोग नहीं होने से उपकरणों पर धूल जम रही है।
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विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं हैं। हम सभी सोभ बाजार में संचालित कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाते हैं। यहां से पढ़ने के बाद केवल नाम के लिए स्कूल जाते हैं।
मंजू कुमारी, वर्ग नवम
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स्कूल में न तो पानी की व्यवस्था नहीं है। खेल व मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। सशस्त्र सीमा बल के लोगों ने खेल सामग्रियां दी। इसी से खेलते हैं। कोई स्पोर्ट्स टीचर नहीं हैं।
इंदरावाजी कुमारी, वर्ग नवम
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वर्ग कमरे में श्यामपट तक नहीं है। जो टीचर आते हैं कॉपी पर लिखकर पढ़ाते हैं। पानी के लिए गाव जाना पड़ता है। जो चापानल लगा है, उससे गंदा पानी आता है। यह पीने योग्य नहीं है।
सूरज कुमार, वर्ग नवम
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स्कूल भवन के आसपास ग्रामीण शौच करते हैं, जिससे कक्षा में बदबू आती है। चारदीवारी रहने से यह समस्या नहीं होती। कई बार तो कक्षा के आसपास गंदगी फैली रहती है, जिसे बच्चे मिलकर साफ करते हैं।
आयुष कुमार, वर्ग नवम
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शिक्षकों की कमी की वजह से कोचिंग सेंटर जाना पड़ता है। शिक्षकों की व्यवस्था और नियमित पढ़ाई शुरू कर दी जाए तो छात्रों का भविष्य बन जाए।
रवि कुमार, वर्ग नवम
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विभाग को कई बार विद्यालय की समस्या से अवगत कराया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बावजूद मध्य विद्यालय के शिक्षकों को भेजकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। अब तक 373 बच्चों ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है। भवन की स्थिति खराब है। मध्य विद्यालय से उच्च विद्यालय भवन की दूरी करीब डेढ़ किमी है। शिक्षकों को यहा हाजिरी बनाकर वहा आना-जाना पड़ता है।
परमेश्वर दुसाध, प्रभारी प्रधानाध्यापक