बच्चों में कुपोषण कम करने को हर माह चलेगा अभियान
जिले में पोषण क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने विशेष पोषण अभियान शुरू किया है।
गया। जिले में पोषण क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने विशेष पोषण अभियान शुरू किया है, ताकि इसके प्रति आम जागरूकता बढ़ा सके।
फरवरी 2020 तक के अलग-अलग माह के लिए थीम आधारित पोषण कैलेंडर राज्य स्तर पर जारी किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने वार्षिक कैलेंडर जारी किया है। पत्र में कहा गया है कि अभियान का उद्देश्य देश से कुपोषण को खत्म करना है। इसके लिए 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में वर्तमान राष्ट्रीय कुपोषण की दर 38.4 प्रतिशत में कमी लाकर 2020 तक 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। जागरूकता एवं व्यवहार परिवर्तन के जरिए सामुदायिक स्तर पर पोषण में सुधार संभव है।
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कब-कब कौन कार्यक्रम होंगे आयोजित
22 से 27 अप्रैल तक टीकाकरण सप्ताह
15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस।
01 जून को सुपोषित दिवस व भोजन की विविधता पर किशोर एवं किशोरियों को सलाह और शपथ।
10 जून को आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रवेश।
1 से 7 अगस्त विश्व स्तनपान दिवस।
1 से 7 सितंबर एनीमिया सप्ताह।
2 अक्टूबर स्वच्छता दिवस।
21 अक्टूबर को आयोडीन डेफिशियेंसी डिसऑर्डर डे।
14 से 19 नवंबर आईसीडीएस सप्ताह एवं दिसंबर प्रथम सप्ताह में अनुपूरक आहार पर आधारित गतिविधियां।
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किस माह में कौन सी थीम
प्रत्येक माह थीम आधारित गतिविधियां होंगी। बाल्यावस्था में बेहतर देखभाल मई माह की थीम होगी। इसमें पंचायत स्तर पर बैठक, स्कूल आधारित गतिविधियां एवं पोषण रैली होंगी। बच्चों, किशोरों एवं महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम जून माह की थीम होगी। इस दौरान पोषण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें पोषण मेला, पोषण पर कार्यशाला, नुक्कड़ नाटक एवं एनीमिया कैंप जैसी कुछ प्रमुख गतिविधियां होंगी। डायरिया प्रबंधन जुलाई माह की थीम होगी। अगस्त में सर्वाधिक स्तनपान थीम होगी। सितंबर में पिछले वर्ष की तरह पोषण माह मनाया जाएगा। अक्टूबर में स्वच्छता, साफ-सफाई एवं शुद्ध पेयजल सेवन पर जोर दिया जाएगा। नवंबर माह में बच्चों में विकास निरीक्षण एवं इसमें सुधार पर बल दिया जाएगा। दिसंबर में बच्चों को छह माह के बाद दिए जाने वाले अनुपूरक आहार पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अगले वर्ष 2020 के जनवरी में संपूर्ण टीकाकरण एवं विटामिन ए अनुपूरण पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाई जाएगी। फरवरी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता पर बल देते हुए विभिन्न सामुदायिक गतिविधियों के जरिए जागरूकता फैलाई जाएगी।