उत्तरी कोयल नहर के पास गांव, पानी के अभाव में बंजर हो गए खेत
पेज- फोटो 3031323334353637383941 -------- सरकारी योजनाओं से विश्वनाथपुर गाव का दूर-दूर तक वास्ता नहीं मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव ---------- अनदेखी -गांव में सामुदायिक भवन नहीं होने से शादी व अन्य कार्य में परेशानी - स्वास्थ्य सुविधा का हाल भी बेहाल लोग परेशान ----------- -20 किमी प्रखंड मुख्यालय से दूर है विश्वनाथपुर गाव -05 सौ गज की दूरी से गुजरी है उत्तरी कोयल नहर -1970 से अधूरी पड़ी है नहर परियोजना ----------- संवाद सूत्र कोंच
गया । उग्रवाद प्रभावित कोंच प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर ददरेजी काबर इस्माइलपुर पथ पर अवस्थित है विश्वनाथपुर गाव। सिंचाई के अभाव में लगभग दो सौ एकड़ जमीन बंजर है। उत्तर कोयल नहर परियोजना गाव से महज पाच सौ गज की दूरी से गुजरी है, जिसमें यहां के किसानों के हजारों एकड़ जमीन नहर की खोदाई में चली गई। यह नहर परियोजना 1970 से अधूरी पड़ी है। ग्रामीण कहते हैं, विश्वनाथपुर आहर की उड़ाही नहीं होने से जल संचय नहीं हो पा रहा है। इससे भूजलस्तर काफी नीचे चला गया है। पानी का घोर अभाव है। सरकारी व गैर सरकारी चापाकल भी पानी कम दे रहा है या कई बंद हैं।
गांव के पश्चिम विश्वनाथपुर व मुबारकपुर के बीच मध्य विद्यालय है। इसमें 250 सौ बच्चे नामांकित हैं। ग्रामीणों ने बताया कि छात्र सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। विद्यालय में अनियमितता बरती जाती है। गाव में एक भी सरकारी भवन नहीं है। एक सामुदायिक भवन तक नहीं बनाया गया है। इसके अभाव में ग्रामीणों को बैठक करने, शादी ब्याह व अन्य मौके पर उचित स्थान नहीं मिल पाता है। स्वास्थ्य सुविधा का हाल भी बेहाल है। गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं होने से मरीजों को यहां से काफी दूर इस्माइलपुर, गुरारू या फिर 20 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है। गांव का आंगनबाड़ी केंद्र मध्य विद्यालय भवन में चलता है। आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं है। विद्यालय गांव की सड़क के उस पार है। छोटे छोटे बच्चों को सड़क पार कर जाना पड़ता है। दुर्घटना की आशका बराबर बनी रहती है। विश्वनाथपुर गाव ददरेजी-काबर-इस्माइलपुर पथ पर अवस्थित है। इस सड़क के निर्माण हुए एक वर्ष ही हुआ है। जगह जगह गड्ढे बन गए हैं। इससे वाहन हिचकोले खाते गुजरते हैं और दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। ग्रामीण इसकी जाच करने की मांग कर रहे हैं।
--
पंचायत क्षेत्र के विकास में लगे हैं। सरकार द्वारा दी जा रही राशि से नल जल, नाली, गली व अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। कुछ और समस्याएं हैं। राजा बिगहा, खवासपुर, बतसपुर, घोघीमठ से चबूरा व राजमलचक में सड़क निर्माण कराने की जरूरत है। आहर, पईन आदि की उड़ाही भी जरूरी है।
अमित कुमार यादव, मुखिया, चबुरा पंचायत
---------
विश्वनाथपुर में नल जल योजना का कार्य अंतिम चरण में है। मुबारकपुर वार्ड में नल जल योजना के लिए पंचायत को पत्र लिखा गया है। यह वार्ड गांव से दूर है। इस कारण नल जल योजना के कार्य में बाधा आ रही है।
रेखा देवी, वार्ड सदस्य
--------
गाव के पश्चिम में शिव व देवी मंदिर है। उसकी जमीन पर तालाब है। इसको कुछ लोग अतिक्रमण कर चुके हैं। अंचलाधिकारी को जमीन की मापी कर मंदिर की जमीन को बचाने का काम करना चाहिए ताकि जल संचय हो सके।
मुसाफिर दास, पुजारी
---------
शौचालय बना लिए पर प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पा रही है। जो व्यक्ति इसके लिए दलाल या संबंधित कर्मियों को नाजायज राशि देते हैं, उन्हें यह राशि मिल रही है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना चाहिए।
नगीना साव, ग्रामीण
-----------
गांव में उर्दू विद्यालय नहीं है, जिसके कारण बच्चे उर्दू नहीं पढ़ पाते। यदि उर्दू विद्यालय खोल दिया जाए तो मुस्लिम बच्चे बच्चियों को तालिम लेने में परेशानी नहीं होगी। फिलहाल बच्चे मस्जिद में जाकर मौलवी से पढ़ते हैं।
मो. अहमद रजा
----------
गांव के चार पाच किलोमीटर की दूरी तक एक उच्च विद्यालय नहीं है। इसके कारण लड़के व लड़कियों को गुरारू, इस्माइलपुर या फिर आंती उच्च विद्यालय में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है। खासकर छात्राओं को काफी परेशानी होती है। इस कारण उच्च शिक्षा से लड़कियां वंचित रह जाती हैं। गांव में उच्च विद्यालय होना चाहिए।
मो. तनवीर, बी.टेक छात्र
------------
उत्तर कोयल नहर परियोजना को चालू करने को लेकर केवल राजनीति हो रही है। चुनाव के पहले इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने राशि भी दी। बाद में पता चला कि चुनाव के बाद सरकार राशि वापस कर ली, जो किसान के साथ धोखेबाजी है।
वैद्यनाथ यादव किसान
-------------
सांप्रदायिक सौहार्द का
मिसाल है यह गांव
विश्वनाथपुर का इतिहास ग्राम कैथी के जमींदार विश्वनाथ सिंह से जुड़ा है। इनके नाम पर डेढ़ सौ साल पहले गाव की नींव रखी गई थी। इनके द्वारा गाव में कई कार्य किए गए हैं। इसमें एक बात यह है कि यहां के लोगों में हिंदू मुसलमान का भेदभाव आज भी नहीं है। गाव की सबसे खासियत यह है कि मुहर्रम के समय कारीगरों द्वारा विशाल व भव्य तजिया बनाया जाता है, जिसकी उंचाई लगभग 30 से 35 फीट हाती है। यहां बनने वाले तजिया औरंगाबाद, गया, सासाराम व धनबाद जैसे शहरों में ले जाए जाते हैं। तजिया को उठाने में 32 लोग लगाते हैं। इनमें हिंदू और मुसलमान दोनों आपसी सद्भावना के तहत लगे होते हैं, जो मिसाल है। लक्ष्मी पूजा में भी मुस्लिम धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं। इस गांव में आज सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ते न तो देखा गया और न ही सुना गया है। गांव में एक आकर्षक मस्जिद भी है।
------------
प्रस्तुति : एन.के. राही
मोबाइल नंबर 7372833671