मोहाने नदी में चुआं खोद पेयजल की व्यवस्था कर रहे ग्रामीण
बेतहाशा गर्मी व बढ़ते तापमान से प्रखंड में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रखंड के नदी तालाब सूख चुके हैं। जलस्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकाश हैंडपंपों का पानी पाताल में चला गया है। प्रखंड मुख्यालय से 16 किमी दूर भलुआचट्टी की 1100 आबादी को गंभीर रूप से जल संकट से जूझना पड़ रहा है।
गया। बेतहाशा गर्मी व बढ़ते तापमान से प्रखंड में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रखंड के नदी, तालाब सूख चुके हैं। जलस्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकाश हैंडपंपों का पानी पाताल में चला गया है। प्रखंड मुख्यालय से 16 किमी दूर भलुआचट्टी की 1100 आबादी को गंभीर रूप से जल संकट से जूझना पड़ रहा है। ग्रामीण मोहाने नदी में चुआ खोदकर प्यास बुझाने को विवश हैं।
भूजल स्तर गिरने से यहा लगे सभी चार चापाकल सूख गए हैं। घर से काफी दूरी होने के कारण नहाने, कपड़े धोने का काम नदी पर ही कर लेते हैं। बाद में पीने के लिए पानी लेकर घर लौटते हैं।
ग्रामीण कविता देवी, चादों देवी, नगीया देवी, दिनेष भुइया, कृष्णा माझी कहते हैं, चुएं से हर दिन सुबह-शाम पानी लाने के लिए हमलोग नदी में जाते हैं। नित्य दिन चुएं को साफ करते हैं। उसके बाद पानी से बर्तन साफ क रना, स्नान आदि कार्य करते हैं। अंत मे पीने के लिए पानी लाते हैं। इसके लिए तड़के से ही महिला, पुरुष और बच्चे नदी में पहुंच जाते हैं। हालांकि, गाव के किनारे पर पूर्व मुखिया का एक चापाकल चालू है, जहां से कुछ लोग पानी भरते हैं। ज्यादा चलने पर बीच-बीच में यह चापाकल भी पानी छोड़ देता है। यही हाल गाव के स्वास्थ्य उपकेंद्र के निकट की बस्ती का भी है।
पूर्व मुखिया सरजू साव कहते हैं, भूजल स्तर गिरकर सौ फीट नीचे चला गया है। पिछले वर्ष कहीं 60 तो कहीं 80 फीट पर पानी मिल रहा था। इस साल और नीचे चले जाने से चापाकल सूख गए हैं।
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नहाने के लिए अलग चुआ
मोहाने नदी में बडे़-बडे़ पत्थर के चट्टान हैं। इनके बीच में चुएं खोदकर महिलाएं स्नान करती हैं। ग्रामीण कहते हैं, हर काम के लिए यहां से पानी घर ले जाना संभव नहीं है। इसलिए कपड़े धोने, नहाना या फिर अन्य कार्य यहीं कर लिए जाते हैं। दूरी अधिक होने के कारण सिर्फ पीने के लिए यहां से बर्तन में पानी भरकर घर ले जाते हैं।
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क्या करें चापाकल तो बस्ती में कई लगे हैं, लेकिन सभी बेकार है। कोई मरम्मत के लिए नहीं आता है। हमलोग क्या करें। मोहाने नदी नहीं रहती तो पीने के लिए पानी भी नसीब नहीं होता। दूर ही सही पानी की जरूरत पूरी तो हो जाती है। हालांकि, अकेले आने-जाने में डर लगता है। इसलिए समूह में आते-जाते हैं।
-आषा देवी, ग्रामीण
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स्थिति काफी भयावह है। ग्रामीणों के पास कोई और विकल्प भी तो नहीं है। रोज नदी से पानी लाकर पी रहे हैं। भूजल स्तर गिरने से गाव के सभी चापकल पानी छोड़ चुके हैं। लगातार जलस्तर नीचे जा रहा है। अब तो सबमर्सिबल भी बंद होने के कगार पर हैं।
-राजेश कुमार, पूर्व सरपंच, भलुआ पंचायत
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भलुआचट्टी में भूजल स्तर काफी नीचे से गिरने के कारण पेयजल की समस्या गंभीर हो रही है। ग्रामीणों ने इस बात की जानकारी दी है। भूजल स्तर सौ फीट से नीचे चले जाने के कारण अधिकाश चापाकल सूख गए हैं। पीएचईडी को इस बात की जानकारी दी गई है। मंगलवार को मिस्त्री को भेजकर चापाकल की मरम्मत की जाएगी।
पंकज कुमार, बीडीओ, बाराचट्टी