शहर की हलचल में गुमसुम है गाव गेरे की व्यथा
- फोटो 37 से 42 -स्टोन क्रशर से उड़ रही धूल से अधिकतर ग्रामीण सांस की बीमारी से हैं पीड़ित और भी कई समस्याएं ----------- अनदेखी -स्वास्थ्य और उच शिक्षा का अभाव नाली-गली भी जर्जर -आहर पोखर और पइन के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट -------- -03 किमी मानपुर प्रखंड मुख्यालय से गांव की दूरी -01 दिन सप्ताह में खुलता है अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र -02 दर्जन से अधिक सरकारी हैंडपंप से बुझा रहे प्यास ----------- संवाद सूत्र मानपुर
गया । देश के विकास का रास्ता गाव की गलियों से होकर गुजरता है। देश को विकास की राह पर आगे बढ़ाना है तो सबसे पहले गावों का चहुंमुखी विकास करना होगा। आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोग सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सरकारी योजनाओं से उनका दूर-दूर तक वास्ता नहीं है।
आज हम बात कर रहे हैं पहाड़ों से घिरे गेरे गांव की। शहर की हलचल में इस गाव के ग्रामीणों की व्यथा गुमसुम है। हो भी क्यों न, सुविधाओं का जो घोर अभाव है। मानपुर प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किमी दूर इस गांव में स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, नाली-गली समेत कई समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। हालांकि, भूजलस्तर ठीक होने के कारण इस गांव में लगे दो दर्जनों से अधिक सरकारी हैंडपंप चालू हैं, जिससे लोग प्यास बुझा रहे हैं।
दस साल पहले तक गांवों के चारों ओर पहाड़ों पर सैकड़ों पेड़ थे। हवा स्वच्छ थी। आज सब कुछ बदल गया है। पहाड़ों को तोड़कर स्टोन क्रशर से गिट्टी तैयार किए जा रहे हैं। इस कारण धूल से वायु प्रदूषित हो रही है। गांव में रहने वाले अधिकांश लोग सांस संबंधी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। ग्रामीणों को समुचित इलाज में इस उद्देश्य से एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र खोला गया। आज उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है, क्योंकि यहां डॉक्टर नहीं आते। सप्ताह में एक दिन नर्स एवं अन्य स्टाफ आकर केंद्र का दरवाजा खोलकर एक-दो घंटे बैठकर चले जाते हैं।
शिक्षा व्यवस्था का हाल भी कुछ ऐसा ही है। गांव में कहने को तो दो विद्यालय हैं। इनमें प्राथमिक विद्यालय में सभी सुविधाएं हैं और शिक्षक भी हैं। यहां प्रतिदिन गांव के बच्चे गुणवत्तायुक्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन उच्च विद्यालय की दशा दयनीय है। दो मंजिला भवन वर्षो से बनकर तैयार है, लेकिन मानक के अनुसार शिक्षकों की नियुक्तिनहीं होने के कारण गांव के बच्चों को तीन किलोमीटर दूर मानपुर जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है।
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सिंचाई की व्यवस्था नहीं
गांव में 2400 बीघा खेती योग्य भूमि है। ग्रामीण खेतीबारी पर ही निर्भर हैं। सभी जमीन तीन फसला है। सिंचाई के समुचित साधन नहीं होने से किसान परेशान हैं। उनका मानना है कि अगर फल्गु से निकलने वाली मोराटाल पइन को अतिक्रमण मुक्त करा उसका जीर्णोद्धार कर दिया जाए तो कुछ हद तक समस्या का समाधान हो जाएगा। गांव में कुल आठ आहर, एक पोखर भी हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में सभी के अस्तित्व पर संकट है। यदि इनका जीर्णोद्धार कर बारिश का पानी संचित किया जाए तो हालात बदल सकते हैं।
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इतिहास
इस गांव में टिकारी राजा का एक कचहरी था। इसमें एक गोमस्ता रहा करते थे। वह राजा की संपत्ति की देखरेख किया करते थे। गांव में आज भी कचहरी का कुछ अवशेष बच रहे हैं।
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एक नजर में गांव
विद्यालय : 2
घर : 500
स्वास्थ्य केंद्र : 1
आंगनबाड़ी केंद्र : 4
पोखर : 1
आहर : 8
कुआं : 3
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विपिन बिहारी सिंह
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वार्ड आठ में बसे लोगों के घरों तक नल का जल पहुंचाने का कार्य शुरू किया गया। गांव के एक व्यक्ति द्वारा बाधा डालने के कारण कार्य अधर में है। सरकारी जमीन को चिह्नित करने के लिए सीओ के पास आवेदन दिया गया पर कई माह गुजर गए, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अनिरूद्ध सिंह
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आज भी गांव के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए तीन किमी दूर जाना पड़ रहा है। गांव में उच्च विद्यालय के लिए दो मंजिला भवन बनकर तैयार है। शिक्षक के अभाव के कारण पढ़ाई नहीं होती।
पंकज सिंह
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शराब बंदी के बाद भी गेरे गांव के धनकुट्टी के समीप अवैध रूप से शराब बेची जा रही है। यहां साम ढलते ही शराबियों का जमावड़ा लग जाता है। शराबियों के उपद्रव से इस राह से गुजरने वाले राहगीर काफी डरे सहमे रहते हैं। ज्यादा परेशानी इस मार्ग से गुजरने वाले विद्यार्थियों को हो रही है। कई बार थाने में आवेदन देकर शराब के अवैध धंधे बंद कराने की गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
नरेंद्र सिंह
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प्रस्तुति : विश्वनाथ प्रसाद
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