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विजय कुमार मांझी : जनवितरण प्रणाली विक्रेता से संसद तक का सफर

गया संसदीय (सुरक्षित) क्षेत्र से सांसद विजय कुमार माझी कभी जनवितरण प्रणाली के विक्रेता हुआ करते थे। इनकी राजनैतिक जीवन की बात करें तो इनकी मा स्व. भगवती देवी 1996 में गया संसदीय क्षेत्र से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर सासद चुनी गई थीं। भगवती देवी 1956 से बेलागंज से अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत सोशलिस्ट पार्टी से की थीं। मां के सांसद रहते इनका पूरा कार्यभार विजय कुमार माझी ही संभालते रहे। छोटे बेटे होने के नाते इन्हें ज्यादा प्यार करती थीं। भगवती देवी जहा भी जातीं विजय मांझी को अपने साथ रखती थीं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 12:22 AM (IST)
विजय कुमार मांझी : जनवितरण प्रणाली विक्रेता से संसद तक का सफर
विजय कुमार मांझी : जनवितरण प्रणाली विक्रेता से संसद तक का सफर

गया । गया संसदीय (सुरक्षित) क्षेत्र से सांसद विजय कुमार माझी कभी जनवितरण प्रणाली के विक्रेता हुआ करते थे। इनकी राजनैतिक जीवन की बात करें तो इनकी मा स्व. भगवती देवी 1996 में गया संसदीय क्षेत्र से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर सासद चुनी गई थीं।

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भगवती देवी 1956 से बेलागंज से अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत सोशलिस्ट पार्टी से की थीं। मां के सांसद रहते इनका पूरा कार्यभार विजय कुमार माझी ही संभालते रहे। छोटे बेटे होने के नाते इन्हें ज्यादा प्यार करती थीं। भगवती देवी जहा भी जातीं विजय मांझी को अपने साथ रखती थीं। यही वजह रही कि विजय कुमार मांझी को राजनीतिक की अच्छी सूझबूझ और इस पर पकड़ है।

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2005 के विधानसभा चुनाव के बाद राजनीति से दूर चले गए

2005 में विजय कुमार माझी राजद के टिकट पर बाराचट्टी विधानसभा से चुनाव लड़े। जदयू के प्रत्याशी रहे विजय पासवान को 29 हजार वोट से हराया था। उस वक्त विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गई। इनके साथ साथ जितने भी विधायक निर्वाचित हुए थे वे शपथ नहीं ले पाए थे। इसके बाद जब चुनाव हुआ तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इनकी जगह उनकी छोटी बहन समता देवी समता देवी को टिकट दे दिया। समता देवी को जदयू के प्रत्याशी रहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने हरा दिया। 2010 के चुनाव में भी राजद ने समता देवी को उम्मीदवार बनाया। यह चुनाव भी हार गई। इसके बाद बार बार बहन को टिकट मिलने का विरोध विजय कुमार माझी करते रहें। परंतु इनकी एक न चली तो अंत में जदयू में शामिल हो गए। एक आम कार्यकर्ता बनकर पार्टी को मजबूती दी। जदयू से जुड़ने के बाद आम कार्यकर्ता की तरह काम करते हुए पार्टी को मजबूत किया।

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2003 में ही बहन से हुआ राजनीतिक विरोध आज भी बरकार

22 जुलाई 2003 विजय कुमार माझी के परिवार के लिए बेहद दुखद दिन था। इनकी मा पूर्व सांसद भगवती देवी की मौत पटना में हो गई। मां के देहंात के बाद बाराचट्टी विधानसभा में हुए उपचुनाव में राजद सुप्रीमो ने स्व. भगवती देवी की पुत्री व विजय कुमार मांझी की छोटी बहन समता देवी को टिकट दिया और वे जीत गईं। विजय कुमार माझी का कहना है कि पुत्र होने के नाते इसके उत्तराधिकारी वे हैं, इसलिए बहन की जगह टिकट उन्हें टिकट मिलना चाहिए था।

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पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के कारण नहीं मिला था विधानसभा चुनाव में टिकट, आज उन्हीं को हरा सांसद बने

विजय माझी का कहना है कि 2005 में भी बहन को राजद ने टिकट दे दिया। जीतनराम माझी ने हमें राजद से टिकट नहीं मिले, इसकी वकालत की और उसी वर्ष से बहन और उनमें राजनीतिक विरोध शुरू हुआ जो आज तक बरकरार है। 23 मई को जब चुनाव परिणाम आया तो निकटतम प्रतिद्वंद्वी वहीं जीतनराम मांझी रहे जो इन्हें टिकट से वंचित करने का राजनीतिक षडयंत्र रचा। हम सेक्यूलर के उम्मीदवार के रूप में सामना करने आए महागठबंधन के प्रत्याशी जीतनराम मांझी को मुंह के बल गिराकर अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया।

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बाराचट्टी मध्य विद्यालय

से ली प्रारंभिक शिक्षा

विजय कुमार माझी के घर के पास ही बाराचट्टी मध्य विद्यालय है, जहां से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ की। इसके बाद राज्य संपोषित उच्च विद्यालय, बाराचट्टी में दाखिला लिया। 1985 में यहीं से मैट्रिक पास की। इसके बाद सोभ कॉलेज, सोभ बाराचट्टी में इंटर तक की पढ़ाई की। विजय मांझी बताते हैं कि इसके बाद मा के साथ राजनीतिक कार्य में जुड़ गए।

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मां के देहांत के बाद जनवितरण की दुकान चलाने लगे थे विजय मांझी

मा भगवती देवी के देहात के बाद विजय कुमार मांझी जनवितरण प्रणाली की दुकान चलाने लगे थे, जो इनके रोजगार का साधन बना। सांसद विजय मांझी बताते हैं कि मा के देहात के बाद राजनीतिक कार्य में लगातार मिल रहे धोखे के कारण उन्होंने अपने प्रयास से पीडीएस की दुकान की लाईसेंस ली। तब परिवार को दो जून की रोटी का जुगाड़ होने लगा। इस दुकान को वे और उनकी पत्नी देवरानी देवी और तीनों पुत्र मिलकर चलाने लगे। दुकान संचालन को लेकर आज तक किसी लाभुक ने कोई शिकायत नहीं की। विजय मांझी कहते हैं सांसद बनने के बाद भी इस दुकान को नहीं छोडेंगे। क्योंकि यही हमारी मूल पूंजी है, जो हर भले बुरे वक्त में साथ रहा है।

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किसानों के मुद्दे पर

बराबर रहे सक्रिय

सांसद विजय कुमार माझी को भले ही विधानसभा के सदन में पहुंचने का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन स्थानीय लोगों के साथ उनकी हर समस्या या सुख दुख में हमेशा साथ रहे। किसानों के किसी भी मुद्दे को लेकर बढ़ चढ़कर साथ दिया करते हैं। चाहे खेतों में पटवन के लिए पानी की व्यवस्था के लिए घोड़डुब्बा बाध को बनाने की बात हो या फिर सोभ-धनगाई पथ निर्माण को लेकर आवाज उठाने की। लोगों की हर समस्या का हल निकालने में साथ रहे हैं।

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2011 में पत्‍‌नी जिला पार्षद बनीं

तो पुन: राजनीतिक में सक्रिय हुए

2011 में विजय कुमार माझी की पत्‍‌नी देवरानी देवी जिला परिषद की सदस्य चुनी गई। इसके बाद इनके घर में पुन: राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई। इस जीत ने विजय कुमार माझी के परिवार को राजनीतिक बल दिया। जब तक पत्‍‌नी जिला पार्षद रहीं, हर एक समस्या को मजबूती के साथ उठाते रहीं। आज पति को सासद बनाने में सहयोगी बनी हैं।

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नैली गाव में हुआ विजय

मांझी का जन्म

गया शहर से सटे नैली दुबहल गाव में विजय कुमार माझी का पुस्तैनी घर है। यहीं इनका जन्म 4 जनवरी 1970 को हुआ। सांसद निर्वाचित होने से पहले भगवती देवी नैली गाव के ठेकेदार रामलखन सिंह के यहां पहाड़ का पत्थर तोड़ने की काम करती थीं। इससे मिलने वाली मजदूरी से अपने बडे पुत्र रामप्रवेश माझी, मंझले पुत्र सुरेश माझी और छोटे पुत्र विजय माझी का पालन पोषण कीं।

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पूर्व मंत्री उपेंद्र कुमार

वर्मा का रहा है अहसान

1968 में भगवती देवी को उपेंद्र नाथ वर्मा नैली गाव से गुजरने के दौरान भगवती देवी को राजनीतिक से जुड़ने को कहा। आज परिणति सामने है। भगवती देवी तो सांसद बनी हीं साथ साथ बेटी समता देवी दो बार विधानसभा का सदस्य बनीं और विजय माझी सासद।

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शुरू से ही सरल और मिलनसार

स्वभाव के हैं विजय मांझी

राज्य संपोषित उच्च विद्यालय बाराचट्टी के सेवानिवृत्त शिक्षक रघुनंदन प्रसाद यादव कहते हैं कि उन्होंने विजय को पढ़ाया है। पढ़ने में सामान्य छात्र की श्रेणी में गिनती में आता था, पर इसका स्वभाव शुरू से ही शांत और मिलनसार रहा है। स्कूल में जब पढ़ाई कर रहा था उस वक्त उनकी मा भगवती देवी विधायक हुआ करती थीं, लेकिन विजय को विधायक का बेटा होने का जरा भी घमंड नहीं था। उन्होंने कहा मां और शिक्षक बच्चों में संस्कार देते हैं। विजय जब भी स्कूल आता और छुट्टी के बाद जाता था तो सभी शिक्षकों को पैर छूकर नियमित प्रणाम किया करता था। ये आचरण आज भी उसमें है। आज विजय सांसद बन गया, इससे बढ़कर हमारे लिए और बडी खुशी क्या हो सकती है।

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भवगती देवी के दो पुत्र के

परिवार करते हैं मजदूरी

पूर्व सासद स्व. भगवती देवी के बड़े पुत्र व सांसद विजय मांझी के भाई रामप्रवेश माझी परिवार मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं। रामप्रवेश की पत्नी चिंता देवी कहती हैं, मजदूरी करते हैं तो दो जून की रोटी का जुगाड़ हो पाता है। नहीं तो कर्जा महाजन करते हैं। मा को सरकार द्वारा मिले परवाना की जमीन में कुछ पैदावार कर लेते हैं। तब कहीं घर का चूल्हा जल रहा है। मंझले भाई सुरेश माझी की मृत्यु मा की मौत के चार माह पहले वर्ष 2003 में हो गई थी।

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आज सांसद के परिवार कहलाने का गौरव

रामप्रवेश कहते हैं, जो भी हो आज हम बहुत खुशी है कि भाई एमपी साहेब हो गया, और बहन विधायक है। इससे ज्यादा हमको कुछ नहीं चाहिए। कम से कम विधायक और एमपी का भाई या परिवार तो कहलाएंगे।

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खून का रिश्ता कभी खत्म नहीं होता, हर परिस्थिति में परिवार की करेंगे सहायता

सांसद विजय कुमार माझी अपनी जीत के बाद कहते हैं खून का रिश्ता कभी खत्म नहीं होता है। भईया के पोता-पोती और बच्चों को गुणात्मक शिक्षा मिले, इसका वे भरपूर प्रयास करेंगे। अपने दोनों भाई के परिजनों को कृषि में बढ़ चढ़कर हिस्सा दिलाने का प्रयास करेंगे ताकि जो खेत हमारी मा को मिला है, उसमे ढंग से पैदावार होने पर इन लोगों को कभी कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसी में ये लोग जमकर मेहनत करेंगे तो खाने से ज्यादा पैदावार होगा, और इससे इनलोग अपना जीवन व्यापार अच्छे ढंग से करेंगे। बच्चों की पढ़ाई और पहनावे की पूर्ण जिम्मेदारी हम अपने उपर लेते हैं। जब तक वे सभी अपने पैर पर खड़ा नही होंगे।

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बाराचट्टी प्रखंड मुख्यालय के पीछे

है भगवती देवी का समाधि स्थल

प्रखंड मुख्यालय के पीछे गोखुला नदी के तट पर पूर्व सांसद भगवती देवी का समाधि स्थल है। यहा देवरानी देवी अपने जिला पार्षद के कोटे से उसके प्रागण को पीसीसी कराया। साथ ही पुत्री समता देवी यहीं पर सामुदायिक शेड का निर्माण कराई है। उनकी पुण्यतिथि पर परिवार के लोग श्रद्धा के पुष्प अर्पित करने हर साल आते रहे हैं।

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