पीएम मोदी पर भरोसा ने विजय मांझी को दिलाई जीत
जागरण संवाददाता गया
गया । देश और देशवासियों का भविष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में ही सुरक्षित है। यह बात गया संसदीय क्षेत्र के एनडीए के प्रत्याशी विजय कुमार मांझी की जीत शत प्रतिशत साबित कर दी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रत्याशी जदयू के विजय कुमार मांझी की जीत प्रधानमंत्री के उन सिद्धांतों व विचारों की जीत कही जा सकती है जो देश की सुरक्षा व और जनमानस में उनके प्रति विश्वास 2014 के चुनाव में जताया था। इस बार के चुनाव नतीजे ने यह स्पष्ट कर दिया कि गया के हर समुदाय व वर्ग के लोगों की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं। हालांकि 11 अप्रैल को जब यहां वोट डाले जा रहे थे मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के उत्साह बता रहे थे कि लोग कैसी और किसकी सरकार चाहते हैं। स्थानीय मुद्दे की बात करें तो गया उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी रही है। सनातन धर्मावलंबी गया को आदर के साथ गयाजी कहकर पुकारते हैं। इसकी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर उसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने हृदय योजना बनाई। आज गयाजी में जितने भी सांस्कृतिक विरासत कहें या धरोहर हैं, उसे संरक्षित करने का बीड़ा नरेंद्र मोदी की सरकार ने उठाया है। उसके लिए उन्हें वक्त चाहिए था। यही वक्त फिर एक बार गया के लोगों ने उन्हें विजय कुमार मांझी को जीत दिलाकर दिया है।
हालांकि, विजय कुमार मांझी के खिलाफ चुनाव मैदान में महागठबंधन ने जिस प्रत्याशी पर भरोसा कर हम(सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को टिकट दिया। उन पर गया की जनता ने भरोसा नहीं जताया। नतीजा है कि पूर्व मुख्यमंत्री को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। यदि गत विधानसभा चुनाव की बात करें तो जीतनराम मांझी के प्रति इमामगंज विधानसभा के मतदाताओं ने अपनी आस्था जताते हुए विधानसभा में भेजा। देखा जाए तो इमामगंज विधानसभा से राजद के टिकट पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर भरोसा जताया था, लेकिन इमामगंज के मतदाताओं ने राजद को एक सिरे से खारिज करते हुए जीतनराम मांझी को अपना नेता चुना। लोकसभा 2019 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने जीतनराम मांझी पर भरोसा जताया और महागठबंधन के तहत गया संसदीय सीट उनके भरोसे छोड़ दिया। नतीजों में न तो राजद का वजूद दिखा और न हम की साख बचाने स्वयं जीतनराम मांझी में सफल रहे।