Move to Jagran APP

बिहार में लाल आतंक का एक ट्रेंड यह भी, चुनावी आहट मिलते ही खूंखार हो जाते नक्सली

बिहार में जब-जब चुनाव आते हैं, नक्‍सली विशेष सक्रिय हो जाते हैं। नक्‍सली हमलों के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 08:54 PM (IST)
बिहार में लाल आतंक का एक ट्रेंड यह भी, चुनावी आहट मिलते ही खूंखार हो जाते नक्सली
बिहार में लाल आतंक का एक ट्रेंड यह भी, चुनावी आहट मिलते ही खूंखार हो जाते नक्सली

गया [विकाश चन्द्र पाण्डेय]। संसदीय चुनावों से पहले नक्सली ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। अभी तक का यही रिकॉर्ड है। तात्कालिक प्रमाण है औरंगाबाद की घटना। औरंगाबाद वैसे भी नक्सलियों का एक मजबूत गढ़ है। हर चुनाव से पहले वहां लाल आतंक का खौफ होता है। 

loksabha election banner

हाल में विधान पार्षद के चाचा को मार डाला

पिछले सप्ताह औरंगाबाद जिला के देव में भाजपा के विधान पार्षद राजन सिंह के घर नक्सलियों के हथियारबंद दस्ते ने हमला किया। उनके चाचा नरेंद्र सिंह की जान ले ली। उस हमले के कुछ निहितार्थ भी हैं। विधायी व्यवस्था का विरोध करने वाले नक्सली चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए बेताब होते हैं। अपने नेटवर्क के कारण औरंगाबाद में वे ज्यादा कारगर हो जाते हैं।

रणवीर सेना के पूर्व कमांडर सहित सात को मारा

पिछले लोकसभा चुनाव से पहले की एक वारदात याद करनी चाहिए। फिजा में चुनावी रंग घुल रहा था। उसी दरम्यान 17 अक्टूबर, 2013 को भाकपा माओवादी की मगध जोनल कमेटी ने एक बयान जारी कर हथियारबंद आंदोलन तेज करने की अपील की। उसके तत्काल बाद औरंगाबाद में लैंड माइंस विस्फोट हुआ। रणवीर सेना के पूर्व कमांडर सुशील पांडेय सहित सात लोग नक्सली हिंसा के शिकार हो गए।

2010 में नक्सलियों ने किए रिकार्ड 307 हमले

उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी नक्सली हिमाकत करते रहे। तब सांसद सुशील कुमार सिंह को नक्सली संगठनों द्वारा धमकी दिए जाने की खबरें मिली थीं। सन् 2010 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ था। उस साल नक्सलियों ने 307 हमले किए। सन् 2004 के बाद वह सर्वाधिक हमलों का रिकॉर्ड है।

2005 में 27 पुलिसकर्मियों व 94 लोगों की हत्‍या

2005 में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए और उस साल नक्सलियों द्वारा 183 हमले किए गए थे। तब 27 पुलिसकर्मियों के अलावा 94 लोगों की जान गई थी। 2010 में 97 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए।

इस साल भी चुनाव को ले नक्‍सली एक्टिव

इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा का चुनाव होना है। गिनती के दिन बचे हैं, ऐसे में नक्सलियों की बेताबी समझी जा सकती है। सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति भी नक्सलियों को बेचैन किए हुए है।

केंद्रीय गृह सचिव का पुलिस को निर्देश

पिछले साल अगस्त में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने राज्य पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था। स्पष्ट निर्देश था कि बिहार में नक्सलियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई तेज की जाए। पड़ोसी झारखंड के साथ संयुक्त रणनीति बनाकर कार्रवाई हो।

2011 के बाद से लाल आतंक में कमी

दरअसल, नक्सलियों के आर्थिक स्रोत पर पाबंदी के साथ उनकी संपत्ति जब्त करने की रणनीति कारगर साबित हुई है। इसी का नतीजा रहा कि 2011 के बाद से लाल आतंक में कमी आई है, लेकिन चुनाव से पहले नक्सली अपनी ताकत के इजहार की भरसक कोशिश भी करते हैं। लाल आतंक में भाकपा (माओवादी) की हिस्सेदारी वैसे भी 80 फीसद है। बिहार में नक्सलियों का यही संगठन कहर ढा रहा है।

बिहार के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र

- गया : डुमरिया और इमामगंज प्रखंड

- औरंगाबाद : देव, मदनपुर, गोह और रफीगंज प्रखंड

- जमुई : नगर थाना को छोड़कर शेष सभी 11 थाना परिक्षेत्र

- लखीसराय : नगर मुख्यालय को छोड़कर जिला का अधिकांश हिस्सा

बिहार में उग्रवाद प्रभावित जिले: तब और अब

- 2010: 32

- 2016: 10 (देश का तीसरा नक्‍सल प्रभावित राज्‍य)

- 2017: 07 (देश का पांचवां नक्‍सल प्रभावित राज्‍य)

- 2018: 20

बिहार में नक्सली उत्पात

(साल-दर-साल हमले और मौत)

वर्ष         नक्‍सली हमले     मौत

2004:    323                   171

2005:    183                   94

2009:    232                   72

2010:    307                   97

2014:    163                   32

2015:    109                   17

2016:    129                   28

2017:    99                     22

(स्रोत : केंद्रीय गृह मंत्रालय)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.