बिहार का एक गांव जहां हर युवा देखता है देश सेवा का सपना, सीमाओं की पहरेदारी कर रहे दो सौ सपूत
नवादा का डुमरावां गांव जिले में काफी चर्चित है। चर्चा में रहने की वजह है कि यहां के हर चौथे-पांचवें घर से एक बेटा देश की हिफाजत में लगा है। सेना की नौकरी यहां के युवाओं की पहली पसंद है।
राजेश प्रसाद, पकरीबरावां (नवादा)।पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय से लगभग 05 किलोमीटर दूरी पर एक डुमरावाँ गाँव है। यह गांव प्रखंड ही नहीं जिले में भी चर्चित गांव है। चर्चा में रहने की वजह है कि यहां के हर चौथे पांचवें घर से एक-एक बेटे देश की हिफाजत में लगे हैं। सेना की नौकरी यहां के युवाओं की पहली पसंद है। देश में सेना की जहां पर भी भर्ती हो इस गांव के युवाओं का दबदबा होता है। कुछ का चयन लगभग पक्का होता है। युवाओं के जोश के चलते यह गांव एक तरह से सैनिक गांव के रूप में जाना जाता है। अब तक यहां से लगभग दो सौ से अधिक युवा देशभर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं।
सेना के सभी अंग में तैनात हैं डुमरावाँ के जवान
देशभक्ति में अग्रिम माने जाने वाले डुमरावाँ के युवाओं ने हर युद्ध में अपने बलिदान से इतिहास लिखा है। कुछ तो ऐसे हैं जहां एक घर से दो बेटा सेना में मिलेगा। ऐसे परिवार भी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में अपनी सेवाएं निभा रहे हैं। इन परिवारों के लिए यह परंपरा बन चुकी है। जिसे हर पीढ़ी अपने कंधों पर लेकर चल रही है। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि जब जब देश के लिए बलिदान देने की बात आई है तो डुमरावाँ के युवाओं ने कभी पीठ नहीं दिखाई और भारत मां की आन, बान व शान के लिए हंसते हंसते शहादत का जाम पिया है। सेना के सभी अंग में तैनात हैं डुमरावाँ के जवान डुमरावाँ के युवा देश की सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
गांव और जिले का बड़ा रहे मान-सम्मान
यहां के युवा देश के विभिन्न हिस्सों में देश सेवा कर मान बढ़ा रहे हैं। कोई आर्मी तो कोई सीआरपीएफ तो कोई पुलिस बल में अपनी सेवा दे रहे हैं। गांव के लोगों को यहां के युवाओं पर गर्व होता है, क्योंकि बड़ी तादाद मैं यहां सैनिक मौजूद है। यहां का बेटा राज्य के साथ देश का बेटा कोने कोने में नक्सलियों और आतंकवादियों से लोहा ले रहे हैं।
चंद्रशेखर आजाद, सीआरपीएफ
डुमरावाँ की बेटियां भी नहीं है किसी से कम
यदि डुमरावाँ के बेटियों की बात की जाए तो देश के प्रति सेवा भाव का जज्बा उनमें बेटों से कम नहीं है। राजेश शर्मा की बेटी संगम श्याम ने सीआरपीएफ में बतौर सब-इंस्पेक्टर पद पदभार संभाले हुए हैं।
संगम श्याम सब इंस्पेक्टर सीआरपीएफ
एक ऐसा गांव जहां हर युवा देखता है देश सेवा का सपना
ऐसा गांव जहां हर युवा सेना में जाकर देश सेवा का सपना देखता है। युवा प्रतिदिन कठिन अभ्यास करते हैं। गांव के अभिभावक भी बच्चों की हर जरूरत को पूरा करते हैं ताकि वे अपने सपने को पूरा कर सके। रवि शंकर कुमार एवं संतोष दोनों भाई सीआरपीएफ में कमान्डेंट तो वहीं रमेश कुमार और राजेश कुमार दोनों भाई आर्मी सेना में क्लर्क पद पर देश की सेवा कर रहे हैं। रजनीश कुमार एसएसबी में इंस्पेक्टर, चंद्रा शेखर आजाद सीआरपीएफ, राजीव कुमार सीआरपीएफ, संगम श्याम सब-इंस्पेक्टर समेत दर्जनों अन्य देश की सीमा पर तैनात है।
रवि शंकर कुमार, कमांडेंट
एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़
गांव के युवाओं में यह जज्बा इन्हीं सैनिकों ने भरा है। सपना पूरा हो, इसके लिए युवक दिनरात एक कर अभ्यास में जुटे रहते हैं। सुबह और संध्या पहर जब प्रैक्टिस के समय आमना-सामना होता है तो एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच जाती है। छुट्टियों में घर आने वाले सैनिक इन्हें प्रशिक्षित करते हैं। डुमरावाँ गांव के शिक्षाविद विपिन सिंह ने बताया कि गांव का बच्चा-बच्चा देश सेवा का सपना देखता है। अपनी मेहनत के दम पर कई युवाओं ने मंजिल हासिल की है। आशा है यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।