Transportation in Gaya: टिकारी में नगर पंचायत प्रशासन शीघ्र शुरू करेगी ई-रिक्शा परिवहन सेवा
टिकारी नगर पंचायत क्षेत्र में राहगीरों को शीघ्र ई-रिक्शा की सुविधा मिलेगी। यह निर्णय नगर पंचायत अध्यक्ष शीला देवी की अध्यक्षता में आयोजित सशक्त स्थायी समिति की पहली बैठक में लिया गया। नपं अध्यक्ष कक्ष में हुई बैठक में विकास से संबंधित कई प्रस्ताव पारित किए गए।
गया, जेएनएन। टिकारी नगर पंचायत क्षेत्र में राहगीरों को शीघ्र ई-रिक्शा की सुविधा मिलेगी। यह निर्णय नगर पंचायत अध्यक्ष शीला देवी की अध्यक्षता में आयोजित सशक्त स्थायी समिति की पहली बैठक में लिया गया। नपं अध्यक्ष कक्ष में हुई बैठक में विकास से संबंधित कई प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में नपं के सेवानिवृत्त कॢमयों अतिशीघ्र नियमा के अनुकूल पेंशन भुगतान करने और दैनिक मजदूरों की पारिश्रमी प्रतिदिन 292 रुपये करने का निर्णय लिया गया। कार्यपालक पदाधिकारी को दोनों निर्णय को अविलंब लागू करने का निर्देश दिया गया।
इन प्रस्तावों को भी किया गया पारित
इसके अलावा राज इंटर स्कूल प्रशासन से अनुमति प्राप्त कर चिल्ड्रन पार्क का सौंदर्यीकरण करने का प्रस्ताव पारित किया गया। शहर में संचालित दुकानों का डोर टू डोर सर्वे कर लाइसेंस निर्गत करने, जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र 42 घंटे के भीतर निर्गत करने, बायोमिट्रिक मशीन लगाकर नपं कॢमयों की उपस्थिति दर्ज कराने, 45 दिनों के भीतर नपं की स्वामित्व वाली भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए उक्त स्थल पर चौहद्दी अंकित कर बोर्ड लगाने, परती भूमि पर पाॄकग की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया।
हर बार से अलग रही पहली बैठक
बैठक में नपं अध्यक्ष शीला देवी ने कार्यपालक पदाधिकारी को विवाह मंडप एवं बस स्टैंड की बंदोबस्ती में बरती गई अनियमितता की जांच कर आगामी बोर्ड की बैठक में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने, निॢमत किये गये प्याऊ की राशि भुगतान करने सहित अन्य आदेश पारित किया गया। बैठक में कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष अर्चना सिंह, वार्ड पार्षद रंजीत कुमार, फिरोज आलम, संध्या गुप्ता, प्रभारी लेखापाल उत्तम कुमार उपस्थित थे। गौरतलब है कि पहली बैठक पिछली कई बैठकों से अलग रही। इस बार कोई हंगामा नहीं हुआ। महापर्व छठ को लेकर बैठक का माहौल भी भक्तिमय था। सदस्यों ने कहा कि आने वाले दिनों में एक-एककर आम लोगों की समस्याओं को इंगित किया जाएगा और उनके निवारण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे पंचायती राज व्यवस्था पर ग्रामीणों का विश्वास बढ़ेगा और उन्होंने छोटे कार्यों के लिए बड़े दरवाजे खटखटाने नहीं पड़ेंगे।