Move to Jagran APP

गया में पिंड व मुंड अर्पण की परंपरा लॉकडाउन में भी रही कायम, चिता जलने में भी नहीं हुआ व्यवधान

लॉकडाउन में सबकुछ ठप हो गया मगर गयाजी को पिंड व मुंड अर्पण की परंपरा बदस्तूर कायम रही। विष्णुपद मंदिर के बाहरी परिसर में प्रत्येक दिन पिंडदान होता रहा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 09:28 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 08:23 AM (IST)
गया में पिंड व मुंड अर्पण की परंपरा लॉकडाउन में भी रही कायम, चिता जलने में भी नहीं हुआ व्यवधान
गया में पिंड व मुंड अर्पण की परंपरा लॉकडाउन में भी रही कायम, चिता जलने में भी नहीं हुआ व्यवधान

गया, जेएनएन। कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन में सबकुछ ठप हो गया। आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए विष्णुपद सहित अन्य मंदिरों के दरवाजे तक बंद हो गए। फल्गु नदी के तट पर दूरदराज से तर्पण के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की आवक भी ठप हो गई। इसके बाद भी गयाजी को पिंड व मुंड अर्पण की परंपरा बदस्तूर कायम रही।

loksabha election banner

हर दिन होता रहा पिंडदान

विष्णुपद मंदिर के बाहरी परिसर में लॉकडाउन के दौरान भी हर दिन पिंडदान होता रहा। वैसे तो यहां पिंडदान के लिए हर दिन देश-विदेश से करीब पांच हजार पिंडदानी गया शहर में आते रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण तीन माह से पिंडदानी नहीं आ रहे हैं। फिर भी गयापाल पंडा की ओर से परंपरा को कायम रखा गया। पंडा की ओर से प्रत्येक दिन पिंडदान संपन्न कराया जा रहा है।

दानव को शांत रखने के लिए एक पिंड व एक मुंड जरूरी

गयापाल पुरोहित शंभूलाल विट्ठल का कहना है कि गयासुर दानव को शांत रखने के लिए एक पिंड व एक मुंड प्रत्येक दिन जरूरी है। दरअसल, भगवान श्रीहरि विष्णु ने गयासुर को यही वरदान दे रखा है। अगर एक पिंड व एक मुंड की परंपरा कायम नहीं रही तो गया में बड़ी आपदा आ सकती है। इसी कारण गयापाल पंडा की ओर से हर दिन पिंडदान किया जा रहा है। पिंडदानियों के नहीं आने के कारण पिंडदान की विधि गयापाल पंडा कर रहे हैं।

मंदिर के बाहरी परिसर में हो रहा पिंडदान

विष्णुपद मंदिर बंद है, इस कारण उसके बाहरी परिसर में पिंडदान हो रहा है। वहीं फल्गु नदी स्थित श्मशान घाट पर चिता भी जल रही है। लॉकडाउन में शव के अंतिम संस्कार में किसी तरह का व्यवधान नहीं है। अब आठ जून से मंदिर खुल जाने के बाद रौनक बढऩे की उम्मीद है। मंदिर खुलने से पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान व तर्पण कर सकेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.