15 हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बना लगाए तीन हजार पपीते के पौधे, इसके पीछे की कहानी जान होगा आश्चर्य
कई गांवों के समीप करीब 15 हेक्टेयर भूमि बंजर थी। जिसमें किसी तरह के फसल नहीं उपजते थे। उक्त भूमि में केवल काशी प्लास आदि उगे रहते थे। छह माह पूर्व समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी वहां पहुंचे। जानिए इन्होंने कैसे बदली किसानों की किस्मत।
जागरण संवाददाता, मानपुर : जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी की दूरी पर अति नक्सल प्रभावित डुमरिया प्रखंड स्थित है। इस इलाका के कई गांव जंगल-पहाड़ के गोद में बसा है। जहां की काफी भूमि बंजर होने के कारण किसानों की स्थिति दयनिय थी। कुछ उपजाऊ भूमि में किसान खाने भर विभिन्न तरह के अनाज उपजाते थे। जिससे किसान किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। लेकिन आज इन किसानों का रहन-सहन से लेकिन जीवन-यापन करने का स्तर बदल गया। यह बदलाव समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी के सुझाव, नवार्ड की पहल और किसानों की मेहनत से हुई।
समन्वय तीर्थ संस्था, नाबार्ड और किसानों की मेहनत लाई रंग
भदवर , वरवाडीह, दुधपनीया, सरईटाड़ औरवाटाड़ गांव के समीप करीब 15 हेक्टेयर भूमि बंजर थी। जिसमें किसी तरह के फसल नहीं उपजते थे। उक्त भूमि में केवल काशी प्लास आदि उगे रहते थे। छह माह पूर्व समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी वहां पहुंचे। इतना काफी बंजर भूमि को देख वे दंग रह गए। उन्होंने उक्त बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की मंथन शुरू कर दी। किसानों के साथ बैठक कर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की पहल शुरू की गई। संस्था के सचिव ने किसानों की समस्या को नवार्ड के अधिकारियों के समक्ष रखा गया। उसके बाद 15 हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की पहल शुरू की गई। किसानों द्वारा श्रमदान से बंजर भूमि को समतल बनाया गया। कुदाल-गईता से कोड़ाई कर उपजाऊ लायक बनाया गया। उसमें नावार्ड के द्वारा उपलब्ध कराया गया रेड लेडी प्रजाति के तीन हजार पपीता का पौधा लगाया गया। जो आज काफी बेहतर है। जिससे किसानों का अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है।
स्प्रीक्लर से होती सिंचाई
फुहारे की हल्की पानी से सिंचित करने से पपीता का उपज काफी बेहतर होता है। इसके लिए नावार्ड की पहल से किसानों की भूमि में स्प्रीक्लर लगाया गया है। नावार्ड के द्वारा खोदे गए तालाब में जमा पानी को पाइप के सहारे स्प्रीक्लर तक ले जाया गया। जिसे बिजली के मोटर से संचालित कर स्प्रीक्लर से किसान जरूरत के अनुसार पपीता के पौधे का सिंचाई करते हैं। इससे पानी की काफी बचत हो रही है।
क्या कहते किसान
वीरेंद्र प्रसाद, कमलेश प्रसाद, मदन प्रसाद, सूर्जी देवी मुखदेव प्रसाद आदि किसानों का कहना है कि 15 हेक्टेयर भूमि बंजर रहने की वजह से हमलोग काफी चिंतित थे। किसानों के द्वारा कई बार प्रयास किया गया लेकिन सिंचाई साधन के अभाव में सफलता नहीं मिली। समन्वय संस्था और नावार्ड के अधिकारी गांव में पहुंचे। भू-गर्भ में सिंचाई लायक पानी नहीं रहने के कारण तालाब की खोदाई करवाकर स्प्रीक्लर लगाया गया। जिससे आज पपीता के पौधा के साथ अन्य फसल भी सिंचित हो रहे हैं।
क्या कहते संस्था के अधिकारी
समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी ने बताया कि नवार्ड के अधिकारियों को डुमरिया के कई गांव में भ्रमण करवाया गया। उसके बाद सिंचाई के लिए तालाब खोदा गया। जिसमें पानी भरा हुआ है। उक्त पानी से स्प्रीक्लर के माध्यम विभिन्न तरह के फसल सहित पपीते के पौधे की सिंचाई हो रही है। जिसे देख किसान काफी प्रसन्न हैं।