पर्यावरण के लिए गया के नक्सल क्षेत्र में पौधारोपण, पांच एकड़ भूमि में दो साल से लगाए जा रहे पौधे
मानपुर प्रखंड के भदवर गांव में दो वर्षों से पांच एकड़ जमीन पर पौधारोपण किया जा रहा है। इसका नतीजा है कि आज यह जमीन पूरी तरह हरी-भरी हो गई है। इस जमीन पर कई तरह के फलदार और छायादार पौधे लहलहा रहे हैं।
मानपुर (गया), जागरण संवाददाता। जिला मुख्यालय से करीब 95 किमी की दूरी पर स्थित अतिनक्सल प्रभावित डुमरिया का भदवर गांव। यहां मनुआही पहाड़ की गोद में पांच एकड़ भूमि कई वर्षों से बंजर बनी थी। पर्यावरण को संतुलित रखने के उद्देश्य से उक्त भूमि पर दो वर्ष पूर्व विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाने की पहल शुरू की गई। आज उसमें दो हजार से अधिक पौधे लहलहा रहे हैं। पांच जून को वहां नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक उदय कुमार पहुंचे तो बंजर भूमि की हरियाली देख मुग्ध हो गए। उन्होंने भी कई पौधे लगाए।
ग्रामीण ने दी अपनी पांच एकड़ जमीन और हो गई शुरुआत
समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी एवं अध्यक्ष सह डुमरिया के पूर्व प्रमुख रामचंद्र प्रसाद व अन्य लोग दो साल पूर्व भदवर गांव पहुंचे। गांव के चारों ओर अवलोकन करने के बाद एक स्थान पर ग्रामीणों के साथ बैठक की गई। जहां पर्यावरण को संतुलित रखने के पौधे लगाने पर विचार विमर्श किया गया। गांव के विरेद्र कुमार ने अपनी पांच एकड़ बंजर को संस्था को सौंपते हुए पौधा लगाने की बात कही। बंजर भूमि पर दूसरे दिन से विभिन्न प्रजाति के पौधा लगाने की शुरुआत की गई। लगाए गए पौधा की सुरक्षा का पुरा ख्याल रखने की बात ग्रामीणों से कही गई।
पौधा लगाने से हो रहे बेहद फायदा, ग्रामीणों को मिलता छांव
बंजर भूमि में पौधा लगाने से ग्रामीण इलाके में काफी फायदा हो रहा है। इस इलाका में बसे लोगों को पर्याप्त आक्सीजन मिल रहा है। लोगों का कहना है कि दो साल से गांव में बीमार पड़ने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। कीमती लकड़ी भी मिलना शुरू हो गया। गर्मी के मौसम में इलाके के लोग पौधों से भरे बगीचे में आराम फरमाते हैं।
कभी बंजर भूमि आज हो गया है हरा-भरा
समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी का कहना है पर्यावरण को संतुलित रखने के उदेश्य से शुरू किया गया मिशन कारगर साबित हुआ। पांच एकड़ बंजर भूमि में विभिन्न प्रजाति के पौधा दो साल से लगाया जा रहा है। सारे भूमि में आम, सागवान, सिसम आदि लगाया जा रहा है। इसके अलावा और भी बंजर भूमि की तलाश की जा रही है। जिसमें संस्था के पहल से विभिन्न तरह के पौधा लगाया जाएगा।