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साहित्यकार देश व समाजहित में सोचें : डॉ. राम सिंहासन

साहित्य महापरिषद के बैनर तले अशोक विहार कॉलोनी में साहित्य एवं समाज विषय पर परिचर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता डॉ. राम सिंहासन सिंह ने की। उन्होंने कहा कि यदि समाज में सत्य सुंदर सुविचार स्थापित करना है तो साहित्य को सम्मान देना होगा। आज की परिस्थिति में साहित्यकार का दायित्व और बढ़ गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 02:32 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:38 AM (IST)
साहित्यकार देश व समाजहित  में सोचें : डॉ. राम सिंहासन
साहित्यकार देश व समाजहित में सोचें : डॉ. राम सिंहासन

गया। साहित्य महापरिषद के बैनर तले अशोक विहार कॉलोनी में साहित्य एवं समाज विषय पर परिचर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता डॉ. राम सिंहासन सिंह ने की। उन्होंने कहा कि यदि समाज में सत्य, सुंदर सुविचार स्थापित करना है तो साहित्य को सम्मान देना होगा। आज की परिस्थिति में साहित्यकार का दायित्व और बढ़ गया। साहित्यकार को स्वार्थ एवं स्वहित छोड़कर देशहित एवं समाजहित में सोचने की जरूरत है।

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राजीव रंजन ने कहा कि जब तक साहित्य में हम जन समस्या, जनसंवेदना एवं जनआकाक्षा को स्थान नहीं देंगे, तब तक साहित्य सामाजिक परिवर्तन करने का हथियार नहीं बन सकता। इसके बाद कवि-गोष्ठी एवं मुशायरे की शुरुआत नौशाद सदफ ने गजल से की। मौके पर कुमार कांत, गजेन्द्र लाल अधीर, राजीव रंजन, कन्हैया लाल मेहरवार, आसिफ अली, रामसिंहासन सिंह, नीरज, हरिशकर ने अपनी रचनाएं पढ़ीं।


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