बारह एकड़ के कुष्ठ आश्रम में एक भी शौचालय नहीं
छोटकी नवादा में गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम सह ओपीडी अस्पताल की स्थिति चिंताजनक है। अंग्रेजों के शासन काल 1814 में बने इस बहुप्रतिष्ठित कुष्ठ आश्रम में मरीजों के रहने के लिए भवन बेड शौचालय पानी जैसी हर तरह की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। 12 एकड़ में यह पूरा कुष्ठ आश्रम फैला हुआ है।
गया । छोटकी नवादा में गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम सह ओपीडी अस्पताल की स्थिति चिंताजनक है। अंग्रेजों के शासन काल 1814 में बने इस बहुप्रतिष्ठित कुष्ठ आश्रम में मरीजों के रहने के लिए भवन, बेड, शौचालय, पानी जैसी हर तरह की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। 12 एकड़ में यह पूरा कुष्ठ आश्रम फैला हुआ है। इसकी क्षमता 170 मरीजों के रहने की है। मौजूदा वक्त में यहां अलग-अलग जिलों से 33 मरीज भर्ती हैं। इनमें कई महिलाएं भी हैं। पानी के लिए दो चापाकल है, लेकिन शौचालय के नाम पर कुछ भी नहीं है। शौचालय की जरूरत पड़ने पर यहां के महिला व पुरुष मरीजों को इधर-उधर खुले में जाना पड़ता है, जो पूरे व्यवस्था पर सवाल उठाती है। अरवल के बुजुर्ग मरीज राजेश्वर सिंह, भोजपुर के परमानंद सिंह, खगड़िया की बुजुर्ग मरीज भोलिया देवी, गोह निवासी केदार पासवान व अन्य कहते हैं कि खाना तो यहां रोज मिलता है, लेकिन शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। बहुत दिक्कत होती है। शरीर से भी लाचार हैं। इनकी मांग है कि आश्रम में महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय बनना चाहिए।
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खंडहर दिखता है
आश्रम का भवन
इस कुष्ठ आश्रम में बने हुए अनेक भवन जर्जर हाल में हैं। ये भवन खंडहर मालूम पड़ते हैं। बरामदा से लेकर अंदर का कमरा सभी खतरनाक स्थिति में है। वर्षो से इन कमरों की मरम्मत नहीं हुई। गरीब कुष्ठ मरीज इसी में रहते हैं। इनके बेड भी खस्ताहाल स्थिति में हैं। बिजली की वायरिग भी ठीक नहीं है। साफ-सफाई का घोर अभाव है।
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ओपीडी में हर रोज औसतन
20 मरीज पहुंचते हैं दवा लेने
कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल परिसर के एक हिस्से में ओपीडी चलती है। यहां से 33 तरह की दवा दी जाती हैं। जानकारी के मुताबिक, हर रोज यहां औसतन 20 मरीज दवा लेने आते हैं। कई इलाज के साथ जांच कराने के लिए भी पहुंचते हैं। यहां के मेडिकल स्टाफ बताते हैं कि गया के मेडिकल अस्पताल से भी यहां मरीज आते हैं। नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, चतरा व दूसरे जगहों से भी मरीज दवा और इलाज के लिए यहां आते हैं। यहां एक प्रभारी हैं। ओपीडी व इंडोर में भर्ती मरीजों को देखने के लिए फार्मासिस्ट, एएनएम, एग्रेड नर्स, फिजियोथेरेपी व चतुर्थवर्गीय कर्मी हैं। ओपीडी में ड्रेसर नहीं हैं। अस्पताल के इंडोर में आश्रम में भर्ती मरीज रहते हैं। कई मरीज दशकों से यहीं रहते आ रहे हैं।
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कुष्ठ आश्रम में रहने वाले मरीजों को शौचालय की सुविधा दिलाने के लिए पहल की जाएगी। नगर निगम के साथ ही वरीय अधिकारियों से भी इस मसले पर बात की जाएगी।
डॉ. सुरेंद्र चौधरी, प्रभारी एसीएमओ, गया।
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