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Kaimur: अच्‍छा, तो ये बात थी, इस वजह से पाई-पाई को मोहताज थे मुखिया जी, जानकर रह जाएंगे हैरान

कैमूर के चैनपुर प्रखंड में सिरबिट पंचायत के मुखिया के निधन के बाद स्‍वजनों ने मुखिया प्रतिनिधि पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा है कि प्रतिनिधि ही एक तरह से मुखिया बन गया था। कबीर अंत्‍येष्टि की राशि भी नहीं दी।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 06:24 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 06:24 PM (IST)
Kaimur: अच्‍छा, तो ये बात थी, इस वजह से पाई-पाई को मोहताज थे मुखिया जी, जानकर रह जाएंगे हैरान
दिवंगत मुखिया के घर के बाहर जुटी भीड़। फाइल फोटो

चैनपुर (कैमूर), संवाद सूत्र। मुखिया के अंतिम संस्‍कार के लिए भी परिवार के पास पैसे नहीं हो तो, अचंभा होना लाजिमी है। सिरबिट पंचायत के म‍ुुुुुखिया शिवमूरत मुसहर के निधन के बाद लोग भौंचक थे। ग्रामीणों ने चंदा जुटाकर मुखिया की अंत्‍येष्टि की। अब ग्रामीणों, स्‍वजनों नेे जब पोल खोल कर रख दी तो बात लोगों की समझ में आ गई। आरोप है कि मुखिया के सारे कार्य उनका प्रतिनिधि करता था। धेाखे में मुखिया जी को रखकर वह योजनाओं में जमकर लूटपाट करता रहा। इधर मुखिया जी के निधन के बाद परिवार को उसने पांच सौ रुपये दिए। बता दें कि ग्राम पंचायत सिरबिट के मुखिया शिवमूरत मुसहर जिन्हें सांस की बीमारी थी, सोमवार को उनका निधन हो गया। मुखिया शिवमुरत मुसहर खुद अनुसूचित जनजाति के लिए बनाई गई कॉलोनी मेंं रहते थे। विकास का आलम यह कि उनके घर के सामने गंदा पानी जमा रहता था। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस मुखिया के दरवाजे पर ही मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत नली गली की ढलाई तक नहीं हो सकी उस पंचायत के अन्य वार्डों में क्या विकास हुआ होगा।

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पांच बीघा जमीन का दिया था लालच

दिवंगत मुखिया शिवमूरत मुसहर की पत्नी सुखिया देवी ने बताया कि इनके पति अक्सर बीमार रहते थे। गांव केे एक व्‍यक्ति ने पति को लालच दिया कि इन्हें पांच बीघा जमीन देंगे। इससे इनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाएगी और जीवनयापन भी सही तरीके से होगा। यही लालच देकर इन्हें मुखिया पद के लिए खड़ा करा दिया। जब शिवमूरत मुसहर जीत गए तो वह व्‍यक्तिमुखिया प्रतिनिधि बन गया। मुखिया को घर में रहने की हिदायत दे दी। इसके बाद सभी योजनाओं का कार्य प्रतिनिधि स्‍वयं कराने लगा। शिवमूरत मुसहर के नाती ने यह बताया कि मुखिया बनने के बाद सरकार की योजनाओं का कार्य उसके नाना कराने लगे तो प्रतिनिधि व उनके भाइयों के द्वारा दरवाजे पर आकर धमकी दी। कहा कि योजना का सारा कार्य वह खुद कराएंगे। उसके बाद से यह सिलसिला लगातार चलता रहा। सारी योजनाओं का कार्य मुखिया प्रतिनिधि एवं उनके परिवार के सदस्यों ने कराए।

मुखिया प्रतिनिधि पर लगाया लूटखसोट का आरोप 

स्थानीय ग्रामीण सहित वार्ड संख्या चार के वार्ड सदस्य के पति नारद प्रसाद ने बताया कि मुखिया प्रतिनिधि ने मुखिया को इतना धमका दिया गया था कि उनकी हिम्मत नहीं थी कि मुखिया प्रतिनिधि के बिना इजाजत वह एक भी कार्य करें। मुखिया इतना डरे रहते कि कोई साधारण कार्य के लिए साइन भी करवाने आता था तो मुखिया खुद अपने प्रतिनिधि यहां उसे भेज देते थे। मुखिया का पैड मुहर सभी चीजें उसके पास ही रहती थी। राशि निकालने के समय मुखिया को वह ले जाता था और जहां मर्जी वहां अंगूठे का निशान लगाकर जितनी मर्जी उतनी राशि निकलवा कर कार्य किया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुखिया के नाम पर योजनाओं में लूटपाट करते हुए मुखिया प्रतिनिधि ने अपना बिल्डिंग खड़ा कर लिया। जबकि वास्तविक मुखिया एवं उनका परिवार दाने-दाने को तरसते रहे।

कबीर अंत्येष्टि की राशि भी नहीं हुई उपलब्ध

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुखिया प्रतिनिधि के द्वारा जमकर लूटपाट की गई और जब मुखिया का निधन हो गया तो दाह संस्कार के लिए मुखिया प्रतिनिधि ने मृतक मुखिया की पत्नी को पांच सौ रुपए दिया गया। जबकि कबीर अंत्येष्टि के तहत भी गरीबों को तीन हजार रुपए दिए जाते हैं। पैसे के अभाव के कारण दाह संस्कार में समस्या उत्पन्न हो रही थी। जिस पर स्थानीय ग्रामीण चंदा जुटाकर शव का दाह संस्कार किए। इस संबंध में जिला पंचायती राज पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि ऐसी जानकारी उन्हें नहीं है। अगर मामले में थोड़ी भी सच्चाई है और मृतक मुखिया के स्‍वजन शिकायत करते हैं तो रे मामले की विस्तृत रूप से जांच कराई जाएगी एवं गड़बड़ी पाए जाने पर दोषियों पर कार्रवाई होगी।


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