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औरंगाबाद में लक्ष्‍य था 35 हजार का, लेकिन 2200 किसानों से हो सकी 11 हजार एमटी गेहूं की खरीदारी

जिले में इस वर्ष भी गेहूंं खरीद का लक्ष्‍य पूरा नहीं हो सका। जहां 35 हजार मिट्रिक टन की खरीदारी का लक्ष्‍य था वां 22 सौ किसानों से केवल 11000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी की जा सकी।बीते वर्ष केवल 11 किसानों से गेहूं का हुआ था क्रय

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 08:35 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 08:35 AM (IST)
औरंगाबाद में लक्ष्‍य था 35 हजार का, लेकिन 2200 किसानों से हो सकी 11 हजार एमटी गेहूं की खरीदारी
औरंगाबाद में गेहूं की खरीदारी का लक्ष्‍य नहीं हुआ पूूरा।प्रतीकात्‍मक फोटो

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता।  कोरोना काल में गेहूं क्रय (Wheat Procurement in Covid Perio) की रफ्तार धीमी रही। किसानों से गेहूं की खरीदारी नहीं हो सकी। सरकार के लक्ष्य के अनुरूप किसानों से गेहूं की खरीदारी नहीं की गई। सरकार ने औरंगाबाद जिले में किसानों से 35,000 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था। कोरोना के कारण एवं जानकारी के अभाव में किसानों ने गेहूं क्रय केंद्र पर नहीं बेचा जिस कारण लक्ष्य हासिल नहीं हो सका।

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अगले वर्ष मिलेगा इस वर्ष के प्रचार का लाभ  

जिला सहकारिता पदाधिकारी (DCO) श्रीन्द्र नारायण ने बताया कि जिले में 2200 किसानों से 11,000 एमटी गेहूं की खरीदारी हुई है। किसान क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने को लेकर इच्छुक नहीं रहते हैं। बताया कि बीते वर्ष मात्र 11 किसानों से गेहूं की खरीदारी हुई थी। गेहूं खरीद के लिए  पिछले वर्ष 102 समितियों का चयन किया गया था। तीन पैक्सों पर गेहूं क्रय हो सका था। बताया कि इस वर्ष गेहूं खरीद का रिकॉर्ड बना है। अधिकांश किसान यह नहीं जानते थे कि पैक्स के माध्यम से धान की तरह गेहूं बेचे जा सकते हैं। इस वर्ष प्रचार किया गया है जिसका लाभ अगले वर्ष किसानों को मिलेगा।राज्य खाद्य निगम के पास नहीं है गोदाम

डीसीओ श्रीन्द्र नारायण ने बताया कि गेहूं की खरीदारी में सबसे बड़ी बाधा गोदाम है। राज्य खाद्य निगम के पास गोदाम नहीं है। एसएफसी के पास मात्र 6000 मीट्रिक टन गेहूं रखने का गोदाम है। जिले में 11 हजार एमटी गेहूं की खरीदारी हो गई जिसे रखने में परेशानी हुई। गेहूं को खुले मैदान में रखा नहीं जा सकता है, कारण इस वर्ष मानसून पहले से बरस रही है। गेहूं की खरीदारी के लिए गोदाम की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। किसानों की भी मानसिकता क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने की नहीं थी। गेहूं क्रय के मामले में किसानों को जागरूक किए जाने की जरूरत है।


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