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गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के गुण ही खराब, शिक्षकों की कमी का पढाई पर असर, गुरुजी हाईस्‍कूल में बांट रहे ज्ञान

गया के ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार ने भले ही कई योजनाएं चला रखी है। हालांकि शिक्षकों के अभाव में मोहनपुर प्रखंड मे यह योजना फीकी पड़ती दिख रही है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:00 AM (IST)
गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के गुण ही खराब, शिक्षकों की कमी का पढाई पर असर, गुरुजी हाईस्‍कूल में बांट रहे ज्ञान
गया के मोहनपुर का प्रखंड संसाधन केंद्र। जागरण।

संवाद सूत्र, मोहनपुर (गया)। गया के ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार ने भले ही कई योजनाएं चला रखी है। हालांकि, शिक्षकों के अभाव में मोहनपुर प्रखंड मे यह योजना  फीकी पड़ती दिख रही है। शिक्षा अधिकार कानून के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को दी जा रही है। इसके लिए 30.1 अनुपात में शिक्षक के संख्या घोषित की गई है। लेकिन, मोहनपुर प्रखंड मे प्राथमिक विद्यालय 90, मध्य विद्यालय 76 एवं उच्च विद्यालय 22 कुल 188 विद्यालयों में 47135 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र 698  शिक्षक ही लगे हुए हैं। इस तरह 67.52 छात्रों पर एक शिक्षक आते हैं जो कि निधारित मापदंड के अनुरूप नहीं है।

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इतना ही नहीं प्रखंड के कुल 698 शिक्षकों में 120 को स्थाई रूप से बीएलओ 13 को संकुल समन्वयक तथा तीन को प्रखंड समन्वयक का कार्य भार दे दिया गया है। प्रत्येक विद्यालय प्रभारी को भवन निर्माण, मध्याह्न भोजन, सीआरसी व बीआरसी बैठक से समय नहीं बचता है। अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित एवं मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कर दिया गया है। जहां पर सिर्फ कांगजी घोड़ा दौड़ रही है। कई प्राथमिक विद्यालय एवं मध्य विद्यालयों में सिर्फ़ एक ही शिक्षक है। जहां  सिर्फ ताला  खोलने का ही काम आता है।  जो मध्य विद्यालय का उत्क्रमित उच्च विद्यालय में किया गया है। वहां पर एक भी उच्च विद्यालय के शिक्षक नहीं दी गई है। सभी जगह पर मध्य विद्यालय के शिक्षक से उच्च विद्यालय काम कराया जाता है। यह  स्थिति में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिले यह कहना बड़ा ही मुश्किल साबित होता है।

क्या कहते हैं अभिभावक

सुनील सिंह, शंभूनाथ सिंह, राजकुमार केसरी, अखिलेश कुमार, मनोज भारती आदि अभिभावकों का कहना है, कि सरकार ने भले ही शिक्षा अधिकार कानून बनाया है की 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। परंतु आज की शिक्षा अच्छी नहीं है। शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को बिना पढ़े या परीक्षा दिए गए कक्षा से उत्तीर्ण कर दिया जाता है। आज कोरोना में 1 साल से विद्यालय बंद है। फिर भी सभी बच्चों को एक दूसरे कक्षा में उत्तीर्ण कर दिया गया। जबकि बच्चों को उस कक्षा में पठन-पाठन ही नहीं की गई है।

अधिकारी बोले

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बलमुकुन प्रसाद ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। पोशाक की योजना मध्यान्ह भोजन छात्रवृति निशुल्क पुस्तक वितरण आदि के कारण विद्यालय में शत-प्रतिशत नामांकन तो हो गया परंतु शिक्षक के अभाव में गुणवत्ता शिक्षा नहीं दी जा रही है।

प्रखंड में शिक्षा की स्थिति

 संसाधन                             संख्या

प्रखंड संसाधन केंद्र.               1

संकुल संसाधन केंद्र.              13

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी.         1

प्रखंड समन्वयक.                   3

नियम शिक्षाक                     84

नियोजित शिक्षकों.              614

प्राथमिक विद्यालय.              90

मध्य विद्यालय.                   76

+2 विद्यालय की संख्या.      3

उच्च विद्यालय की संख्या.    19

कुल पंचायत की संख्या.      18


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