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वारिसलीगंज गौशाला के मृत होने से सड़क पर आवारा पशुओं को हो रही परेशानी, सड़क पर घूम रहे बेसहारा

जिले का एकमात्र गौशाला होने का गौरव प्राप्त वारिसलीगंज का श्री गौशाला प्रबंधन की लापरवाही से जीर्ण शीर्ण हो चुका है। इस कारण बाजार की सड़कों पर छुट्टा घूमने वाले आवारा पशुओं की इस ठंड भारी रात में परेशानी बढ़ गई है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 09:39 AM (IST)
वारिसलीगंज गौशाला के मृत होने से सड़क पर आवारा पशुओं को हो रही परेशानी, सड़क पर घूम रहे बेसहारा
गौशाला नहीं होने के कारण सड़क पर बैठे बेसहारा पशु। जागरण।

नवादा, जेएनएन। जिले का एकमात्र गौशाला होने का गौरव प्राप्त वारिसलीगंज का श्री गौशाला प्रबंधन की लापरवाही से जीर्ण शीर्ण हो चुका है। इस कारण बाजार की सड़कों पर छुट्टा घूमने वाले आवारा पशुओं की इस ठंड भारी रात में परेशानी बढ़ गई है। करीब एक दर्जन छोटे बड़े पशु जिसमें अधिकांश गाय शामिल है बाजार की सड़कों समेत देहाती इलाके में दिनरात भ्रमण करते देखा जाता है। इन पशुओं की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इसके कारण दिनभर तो इधर उधर विचरण करने के बाद ठंड भरी रात में पशु खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करता है। इन पशुओं के चारे की कोई व्यवस्था नहीं होती है।

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भोजन के लिए घूमते रहते हैं बेसहारा पशु

फलतः सड़कों के किनारे फल सब्जी मंडी में विचरण कर कूड़े कचड़े के ढेरों में अपना भोजन की तलाश करता है। इस दौरान बाजार के घरों से कूड़े में फेंका गया बासी भोजन खाने के चक्कर में कई बार पॉलीथिन के बैग को साथ निगल जाता है। जिससे उसकी असमय मौत हो जाती है। बाजार के लोगों का कहना है कि वारिसलीगंज के गौशाला जब चालू होता था, तब वृद्ध विकलांग जानवरों को लोग वहीं पहुंचा देते थे। जिसके भोजन आदि का प्रबंध गौशाला प्रबंधकारिणी समिति करती थी। लेकिन, गौशाला की कुव्यवस्था के कारण दर्जनों पशु शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में आवारा की तरह घूमते मिलते हैं। जो किसानों  के खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

हवा-हवाई साबित हुआ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का दावा

तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन नवादा सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वारिसलीगंज गौशाला का जीर्णोद्धार कर पुनर्जीवित करते हुए दो दुधारू गाय देने की घोषणा वारिसलीगंज में किया था। केंद्रीय मंत्री का दावा सिर्फ घोषणा तक ही सिमट कर रह गया। गौशाला के पदेन अध्यक्ष एसडीएम होते हैं। जिनका भी ध्यान गौशाला के विकास पर नहीं है। गौशाला के सचिव देवकीनंदन कमलिया है अब वृद्ध हो चुके हैं। बावजूद प्रबंधकारिणी समिति का नए सिरे से गठन नहीं किया जा रहा है। फलतः जिले का एकमात्र गौशाला आज अपनी बदहाली पर आँशु बहाने को विवश है।


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