चुनौतीपूर्ण रहा डॉक्टर से डीएसपी बनने का सफर, बोलीं अनु- थाना आने में महिलाओं की हिचक करेंगी दूर
दानापुर में पशु चिकित्सा पदाधिकारी रहीं। अब जब वह डीएसपी पद को ज्वाइन करेंगी तो उनका लक्ष्य संदेश प्राथमिकता क्या है संघर्ष कैसा रहा? इस पर दैनिक जागरण ने उनसे बातचीत की। वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमीश्नर का पद भी काफी महत्वपूर्ण होता है।
[उपेंद्र कश्यप] दाउदनगर (औरंगाबाद)। दाउदनगर की पुत्रवधू डॉ. अनु कुमारी बीपीएससी की 64 वीं की परीक्षा में सफल होकर एसडीपीओ बन गईं। इससे पहले 63 वीं परीक्षा में सफल होकर वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बनी और ज्वाइन की। इससे पहले झारखंड में वेटरनरी डॉक्टर बनी और फिर गोपालगंज में सेवा दी।
दानापुर में पशु चिकित्सा पदाधिकारी रहीं। अब जब वह डीएसपी पद को ज्वाइन करेंगी तो उनका लक्ष्य, संदेश, प्राथमिकता क्या है, संघर्ष कैसा रहा? इस पर दैनिक जागरण ने उनसे बातचीत की। वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमीश्नर का पद भी काफी महत्वपूर्ण होता है, इसके बावजूद डीएसपी बनने का संघर्ष क्यों किया। बोलीं-उनकी पोस्टिंग गांव में भी रही है। महिलाओं को करीब से देखा और समझा है। थाना तक जाने में महिलाओं में हिचक होती है। अपने सीमित संसाधनों के बावजूद वे महिलाओं के लिए काम करती हैं।
अब जब डीएसपी बनी हैं तो महिला को शिक्षित और सफल बनाना उनका लक्ष्य है, ताकि वे बेहिचक होकर अपने मामले पुलिस प्रशासन में रख सकें। यही उनकी प्राथमिकता होगी। उनका संदेश है कि महिलाएं खुद को पुरुषों के बराबर समझे, कभी हार न मानें, अपने कैलिबर को पहचानें, और कभी रुके नहीं। जितनी शक्ति महिला में होती है उतनी किसी में नहीं। ऐसा डॉक्टर अन्नू का कहना है। बस जरूरत है कि अपनी शक्ति को पहचानें। स्मार्ट वर्क करते रहना जरूरी है।