तुलसी आहर की भराई करा धड़ल्ले से बनाए जा रहे मकान, जल-संरक्षण के मार्ग में अटकाया जा रहा रोड़ा
खतियान में यह भी स्पष्ट है कि एक फसल के अलावे तुलसी आहर में किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होगा। लेकिन जमीन की कीमत में बेतहाशा वृद्धि होने से भू-स्वामी द्वारा जमीन को बेचा गया। जमीन के खरीददार धड़ल्ले से मकान का निर्माण कार्य करा रहे हैं।
संवाद सूत्र, हिसुआ (नवादा)। जल संरक्षण एवं जल स्तर में सुधार को लेकर सरकार द्वारा नई-नई योजना चलाई जा रही है। जबकि नगर पंचायत हिसुआ स्थित तुलसी आहर की भराई करा सैकड़ों मकान बनाए जा चुका है और दर्जन भर मकान निर्माणाधीन है। जिस तुलसी आहर में साल के छः माह से अधिक दिनों तक पानी रहता था। वर्तमान समय में वर्षा ऋतु में भी जल जमाव नजर नहीं आता है, जबकि तुलसी आहर के खतियान में स्पष्ट लिखा है कि इसमें सिर्फ और सिर्फ एक फसल उगाया जाएगा तथा शेष दिन करीब एवं भदई फसल के लिए जल भरा रहेगा।
खतियान में यह भी स्पष्ट है कि एक फसल के अलावे तुलसी आहर में किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होगा। लेकिन जमीन की कीमत में बेतहाशा वृद्धि होने से भू-स्वामी द्वारा जमीन को बेचा गया। जमीन के खरीददार धड़ल्ले से मकान का निर्माण कार्य करा रहे हैं। तुलसी आहर को देखने से लगता नहीं है कि कभी इसके पानी से सैकड़ों एकड़ जमीन की सिंचाई होती थी।
सरकार ने जल संरक्षण को लेकर नल-जल हरियाली योजना चलाई है। जब पर्यावरण संतुलित होगा तो अच्छी बारिश होगी। जिससे भूमिगत जल स्तर बरकरार रहेगा। जल स्तर में सुधार को लेकर सरकार ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में नाली एवं नल के पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए सोख्ता बनबा रही है। सरकार 4 इजार 500 रुपये का प्रति सोख्ता अनुदान भी दे रही है।
जल स्तर में सुधार को लेकर सरकार नल-जल हरियाली योजना के माध्यम से नए-नए कुआं का निर्माण, पुराने कुआं का जीर्णोद्धार, आहर, पइन, पोखर, टेड़ुआ की खुदाई के साथ-साथ नए-नए तालाब एवं पोखर की खोदाई कराई जा रहा है। लेकिन, तुलसी आहर की ओर ध्यान नहीं जा रहा है। इसी प्रकार निर्माण कार्य जारी रहा तो आने वाले कुछ महीनों बाद तुलसी आहर घनी आबादी का मोहल्ला हो जाएगा। और फिर सैकड़ों एकड़ जमीन प्यासी रहेगी। इस मामले में अंचलाधिकारी नीतेश कुमार ने कहा कि जमीन खरीद-बिक्री का मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है।