कानपुर के तिल से निर्मित तिलकुट बिखेर रही सौंधी खुशबू
- फोटो 804 -मकर संक्रांति नजदीक आते ही बढ़ी मांग दिन-रात तैयार करने में जुटे हैं कारीगर -रमना रोड में तिलकुट खरीदने के लिए उमड़ी है ग्राहकों की अधिक भीड़ -220 से लेकर 450 रुपये तक बिक्री रहा तिलकुट ------------ -03 से साढ़े तीन लाख रुपये के तिलकुट की बिक्री प्रतिदिन -10 जनवरी के बाद बिक्री में और इजाफा होने की उम्मीद -------
संजय कुमार, गया
गया तिलकुट के लिए भी मशहूर है। यहां आने वाले तिलकुट का स्वाद जरूर चखते हैं। तिलकुट की सौंधी खुशबू ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रखी है। जैसे-जैसे मकर संक्रांति पर्व नजदीक आ रहा है, तिलकुट की बिक्री में इजाफा हो रहा है। तिलकुट बनाने में कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं। शहर के रमना रोड में तिलकुट खरीदने के लिए ग्राहकों की सबसे अधिक भीड़ रहती है। सुबह में दुकान खुलते ही ग्राहक तिलकुट की खरीदारी प्रारंभ कर देते हैं, जो रात तक चलते रहता है। तिलकुट व्यवसायी संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद ने कहा कि तिलकुट बनाने में सबसे अधिक कानपुर के तिल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां का तिल पूरी तरह से साफ और दाना भी बड़ा होता है। इससे अच्छ तिलकुट तैयार होता है।
ग्राहक सबसे अधिक कानपुर के तिल बने तिलकुट पंसद करते हैं। उन्होंने कहा कि तिलकुट की बिक्री एक दिसंबर से अधिक मात्रा में प्रारंभ होती है, जो मकर संक्रांति तक होती है। प्रत्येक दिन तीन से साढ़े तीन लाख रुपये के तिलकुट की बिक्री हो रही है। दस जनवरी के बाद बिक्री में और इजाफा होने की उम्मीद है।
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ऐसे होता है तैयार
चीनी या गुड़ को कोयले के भट्टी पर रखकर चासनी तैयार की जाती है। उसके बाद चासनी को ठंडी करने के लिए पत्थर पर रखा जाता है। ठंडी होने पर चासनी को खूंटी पर टांग कर पट्टी बनाई जाती है। उसके बाद तिल के साथ पट्टी को भूना जाता है। भूने हुए पट्टी को कूट कर तिलकुट बनाया जाता है। तिल की मात्रा जितनी अधिक होती है तिलकुट उतना मुलायम और खास्ता होता है।
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रमना रोड में
सबसे अधिक दुकान
शहर में तिलकुट की करीब 250 दुकानें हैं। सबसे अधिक दुकानें रमना रोड में है। यहां कई तरह के तिलकुट की बिक्री हो रही है। तिलकुट में मेवा, केशर एवं ड्राई फ्रुट का भी प्रयोग किया जाता है। बाजार में 220 से लेकर 450 रुपये तक तिलकुट की बिक्री हो रही है।
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कई राज्यों में होती है सप्लाई
गया के तिलकुट कई राज्यों में भेजा जाता है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्यों में तिलकुट भेजा जाता है। अध्यक्ष लालजी प्रसाद कहते हैं, इसके अलावा दूसरे देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंग्लैंड, अमेरिका, जापान में रह रहे लोगों को भी स्वजन भेजते हैं।
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पांच हजार हाथों को मिला रोजगार
तिलकुट व्यवसाय से काफी संख्या में लोग जुड़े हैं। इससे पांच हजार से अधिक हाथों को रोजगार मिला है। यह व्यवसाय मुख्य रूप से ठंडे माह का है। इसके बाद व्यवसाय से जुड़े कारीगर एवं मजदूर दूसरे कार्यो में लग जाते हैं। हालांकि, डेढ़ माह में ही अच्छी कमाई हो जाती है।