Gaya News: धर्म प्रचार का द्योतक है बौद्ध धर्मावलंबियों का धर्म चक्र, दलाई लामा भी आते रहे हैं इसे घुमाने
धर्म चक्र का बौद्ध धर्म में अहम स्थान है। दलाई लामा जब भी यहां आते तो इसे जरूर घुमाते हैं। इसे एक ओर धर्म के प्रचार का माध्यम बताया जाता है तो दूसरी ओर भगवान बुद्ध के पंचवर्षीय उपदेश से भ्ाी यह जुड़ा है।
जागरण संवाददाता, बोधगया। तिब्बती बौद्ध धर्म में धम्मचक्र का बहुत महत्व है। इसे धर्म प्रचार का द्योतक माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बोधगया स्थित प्राचीन तिब्बत मंदिर में विशालकाय धर्म चक्र लगाया गया है।वैसे तो बदलते परिवेश में धर्मचक्र के छोटे और बड़े स्वरूप भी बोधगया में दिखाई पड़ते हैं। बौद्ध समुदाय के लोगों का मानना है कि धर्मचक्र को घुमाने मात्र से दुखों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। वही बौद्ध मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध द्वारा ऋषि पतन मृग दाव विहार अर्थात सारनाथ में दिए गए अपने पंचवर्षीय भिक्षुओं को उपदेश को ही धर्म चक्र कहा जाता है।
बोधगया स्थित प्राचीन तिब्बत मंदिर के प्रभारी लामा अमजी बताते हैं कि धर्मचक्र में विभिन्न चक्र दिखाई पड़ते है जो हजारो देवी देवताओं को प्रदर्शित करता है और उसमें लाखों मंत्र अंकित होता है। बोधगया में तिब्बत और भूटान के मंदिर में छोटे-बड़े कई धर्म चक्र दृष्टिगत होते हैं। वैसे बदलते समय के अनुसार भूटान और तिब्बत के बुजुर्ग लोग अपने हाथों में छोटे-छोटे धर्म चक्र को लेकर घुमाते देखे जाते हैं,यह एक साधना का रूप भी है।
उन्होंने कहा कि एक समय में तिब्बत में एक राजा हुआ करता था, जो धर्म को नहीं मानता था और पूजा पाठ से लेकर माला जाप करने वालों पर उसने प्रतिबंध लगा दिया था। तिब्बत के लोग भगवान बुद्ध के अवतार भगवान अवलोकितेश्वर को भी मानते हैं और उनकी पूजा एक मंत्र ॐ माने पेमे हो का जाप कर करते है। राजा के रोक लगा दिए जाने पर चतुर जनता गाय के चमड़े में छिपाकर माला जाप किया करती थी, उससे राजा के सेवक गंदगी के कारण दूर ही रहते थे।
उन्होंने कहा कि बोधगया स्थित प्राचीन तिब्बत मंदिर में साठ के दशक में विशालकाय धर्म चक्र की स्थापना की गई। यह बॉल बेयरिंग पर आधारित है और उसे आसानी से घुमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राजा द्वारा 60 के लगभग बौद्ध मॉनेस्ट्री को नष्ट किया गया था और कई लोगों को मारा गया था। एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि 14वें दलाई लामा जब भी आते हैं तो वह इस विशालकाय धर्म चक्र को घुमाना नहीं भूलते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनके घुटनों में दिक्कत है जिसके चलते हो धर्म चक्र घुमाने नहीं आते हैं लेकिन देखते अवश्य हैं। जानकार बताते हैं कि भगवान बुद्ध ने अपने पंचवर्गीय भिक्षुओं को सारनाथ में ज्ञान और धर्म की दीक्षा दी। यह घटना बौद्ध धर्म के इतिहास में धर्म चक्रप्रवर्तन के नाम से जाना गया।। इसे बौद्ध साहित्य में धर्मचक्र प्रवर्तन कहते हैं । भगवान बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाएं रही, जिसमें गृहत्याग की घटना को महाभिनिष्क्रमण, दूसरा ज्ञान प्राप्ति की घटना को संबोधि लाभ, तीसरे उपदेश देने की घटना को धम्मचक्र प्रवर्तन और चौथा निर्माण को महापरिनिर्वाण की कहा जाता है।