देश पहुंचा चांद तक, चांदपुरा में स्कूल तक पहुंचने के लिए रास्ते नहीं
45 से 50 -घर से निकलते ही दलदल न जाने कब गिरकर चोटिल होकर ग्रामीण पहुंच जाएं अस्पताल ------- -विद्यालय की व्यवस्था भी चैपट यदा-कदा ही आते हैं शिक्षक -दिव्यांगता विधवा व वृद्धा पेंशन से ग्रामीण वंचित सुध लेने वाला कोई नहीं ----------- संवाद सूत्र अतरी
गया । घर से निकलते ही दलदल। न जाने कब गिरकर चोटिल होकर अस्पताल पहुंच जाएं। यदि बारिश हो गई तो स्थिति और बदतर। बाकी कार्य तो जैसे तैसे हो जाते हैं, लेकिन बच्चों का स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है। कोई बीमार पड़ जाए तो राम ही जाने। ग्रामीण करें तो क्या करें, किससे अपनी दुखड़ा सुनाएं।
यह हाल मोहड़ा प्रखंड के सारसु पंचायत के चादपूरा गाव का है। गाव की गलिया कच्ची है। गाव में स्थित मध्य विद्यालय तक पहुंच पथ नहीं होने से बच्चे तो दूर, बरसात के दिनों में अभिभावकों और शिक्षकों को भी पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीण कहते हैं, हर साल बरसात के मौसम में दो-तीन महीने तक बच्चों का विद्यालय आना-जाना बंद हो जाता है। ग्रामीण गुहार लगाकर थक चुके हैं पर आज तक जनप्रतिनिधियों को खोज खबर लेने के लिए समय नहीं मिला।
विद्यालय की व्यवस्था भी चैपट है। शिक्षक यदा-कदा ही आते हैं। मध्याह्न भोजन भी प्राय: बंद ही रहता है। चापाकल नहीं होने से पानी के लिए बच्चों को तरसना पड़ रहा है। हाल सुधरे भी तो कैसे आज तक वरीय पदाधिकारी यहां का निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई। वहीं, स्वास्थ्य सुविधा का हाल भी कुछ ऐसा ही है। आठ किलोमीटर दूर एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है, जहा से कोई एएनएम बच्चों को नियमित टीकाकरण करने आती हैं। इस ज्यादा कुछ नहीं।
कृषि पर आधारित गांव के लोगों को फसल की सिंचाई करने की चिंता रहती है। भूजलस्तर काफी नीचे चला गया है। आहर, पोखर, पइन एवं नदी सब हैं पर उनमें पानी नहीं है। गाव के निकट से मांगुरा नदी गुजरती है। 84 एकड़ रखबा के एक अहार में जल भंडारण का माध्यम मंगुरा नदी है। नदी से निकलने वाली पईन जिससे होकर आहार में पानी पहुंचता है। उसके मुंह आगे से दूसरे गाव वालों ने पक्का बाध बना दिया। चादपुरा के ग्रामीण इसके लिए बीडीओ, सीओ से लेकर जिलाधिकारी तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। बाध बनाए जाने को लेकर सारसु के ग्रामीणों के साथ लंबा विवाद भी चलता रहा है।
ग्रामीण बताते हैं, करीब 50 वर्ष पूर्व इस पईन के मुहाने को खोलने को लेकर दोनों गावों के बीच हिंसक झड़पें हुई। इस दौरान कई लोगों की हत्याएं भी हो चुकी हैं, लेकिन सरकारी तंत्र है कि जागता ही नहीं। हालांकि, गाव में पेयजल के लिए सात निश्चय योजना से घर-घर नल-जल की व्यवस्था होने से लोगों को राहत मिल रही है। वहीं, गाव से दो किलोमीटर दूर पर सारसु में जनवितरण प्रणाली की दुकान है। ग्रामीण बताते हैं कि जनवितरण से हर तीन महीने पर अनाज मिलता है।
-------
मांगुरा नदी पर अतिक्रमण
गाव के निकट से निकलने वाली मांगुरा नदी पर तेजी से अतिक्रमण हो रहा है। करीब 80 फीट चौड़ी नदी महज 15-20 फीट की रह गई है। किसानों का कहना है कि नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराकर निकलने वाले सहायक पईन का यदि मुहाना खोल दिया जाए तो कृषि कार्य के लिए कभी जल संकट नहीं होगा। गाव में बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से है।
-----------
आबादी : 2000
आगनबाड़ी केंद्र : 02
मध्य विद्यालय : 01
सामुदायिक भवन : 01
मतदान केंद्र : 02
अतिरिक्त टोला : 02
------------
दिव्यांगता, विधवा व वृद्धा पेंशन से लोग वंचित हैं। पहले पेंशन मिलता था, लेकिन ऑनलाइन होने पर सब बंद हो गया है। इसके लिए प्रखंड व अनुमंडल मुख्यालय का कई बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
अंबुज कुमार, समाजसेवक
----------
पिछड़ा गाव होने के कारण सरकार द्वारा चलाई गई कई कल्याणकारी योजनाएं की जानकारी लोगों को नहीं है। इस के करण लोग लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
पुनिया देवी
-----------
गया जिले के अंतिम छोर पर बसे रहने के कारण विकास योजनाएं गांव तक नहीं पहुंचती है। न ही कोई पदाधिकारी गांव पहुंचते हैं। जनप्रतिनिधियों ने भी आज तक सुध नहीं ली। लोग परेशानी झेल रहे हैं।
प्रतुल देवी, ग्रामीण
-------
सेवतर अस्पताल बंद हो जाने के कारण हमलोग 15 किलोमीटर दूर चल कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कजूर जाते हैं। आसपास में कहीं उप स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
देवनंदन राम बलराम, ग्रामीण
---------
हम लोग नया शौचालय बनवाए हैं। छह माह बीत गए पर अभी प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है। चार बार हमलोग फार्म भरकर दे चुके हैं। दलालों को घूस नहीं देने के कारण प्रोत्साहन राशि खाते में नहीं आई है।
सकलदेव राजवंशी, ग्रामीण
-------
प्रस्तुति : गौरव कुमार
मोबाइल नंबर :7979772568