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कैमूर जिले में लक्षण वाले मरीज भी नहीं करा रहे जांच, इनसे संक्रमण की रफ्तार बढ़ने की आशंका

कैमूर जिले में लॉकडाउन की अवधि में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमी है लेकिन कुछ इलाके के लोगों की लापरवाही से यह बढ़ सकती है। वे न तो जांच कराते हैं और न ही टीकाकरण। मेडिकल टीम को लौटा देते हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 07:54 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 07:54 AM (IST)
कैमूर जिले में लक्षण वाले मरीज भी नहीं करा रहे जांच, इनसे संक्रमण की रफ्तार बढ़ने की आशंका
बड़ौरा पंचायत से लौटी मेडिकल टीम। जागरण

भभुआ, जागरण संवाददाता। जिले में लॉकडाउन के चलते फिलहाल कोरोना का संक्रमण कुछ कम हुआ है। लेकिन अभी खतरा टला नहीं है। अभी भी प्रतिदिन जिले में पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। लेकिन लोगों में लापरवाही खूब देखी जा रही है। शहरी क्षेत्र के बाजारों में लॉकडाउन के गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कोरोना संक्रमण को गंभीरता से नहीं ले रहे। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंचकर लोगों की कोरोना जांच और वैक्सीनेशन का कार्य कर रही है। लेकिन कई गांव के लोग लक्षण दिखने पर भी जांच नहीं करा रहे। वे मेडिकल टीम को बैरंग लौटा देते हैं।

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ग्रामीण चिकित्‍सक भी नहीं करते जागरूक 

गांव में लोग सर्दी जुखाम बुखार होने के बाद भी कोरोना की जांच नहीं करा रहे हैं। वे ग्रामीण चिकित्सकों के यहां अपना इलाज करा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण चिकित्सक भी बीमार ग्रामीणों को टाइफाइड व सामान्‍य बुखार बता कर इलाज कर रहे हैं। बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों ने ग्रामीण चिकित्सकों के साथ बैठक की। ग्रामीण चिकित्सकों से यह आग्रह किया गया कि गांव में जिन लोगों को सर्दी जुकाम बुखार हो उन्हें वह कोरोना की जांच के लिए अस्पताल भेजें। लेकिन ग्रामीण चिकित्सक इस निर्देश का पालन भी नहीं कर रहे। 

कई गांवों से वापस लौट आ रही मेडिकल टीम

जिले में कोरोना की जांच व वैक्सीनेशन की गति को बढ़ाने के लिए  मेडिकल टीमों का गठन किया गया है। जिसके द्वारा गांवों में पहुंच कर लोगों की कोरोना जांच व वैक्सीनेशन का कार्य किया जा रहा है। जिले के कई गांवों में मेडिकल टीम दिन भर कैंप कर रही है, लेकिन कोई भी ग्रामीण ना जांच कराने पहुंच रहा है और ना ही वैक्सीनेशन कराने। ऐसे में कोरोना मरीजों की पहचान कर उनका समुचित इलाज करना स्वास्थ्य विभाग के लिए भी चुनौती बन चुका है। 

कोरोना से बचाव के लिए सतर्क नहीं हैं ग्रामीण

कोरोना से बचाव के लिए मास्क और शारीरिक दूरी का अनुपालन अनिवार्य किया गया है। साथ ही साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही जा रही है। लेकिन गांव में साफ सफाई का अभाव दिख रहा है। गांव में ग्रामीण सिर्फ अपने घरों की सफाई कर रहे हैं। लेकिन गांव की गलियों में गंदगी का अंबार है। नालियां जाम है। कई गांव की गलियों में जलजमाव है। इससे तरह तरह की बीमारी होने का खतरा बना हुआ है। पंचायत स्तर से गांव में साफ सफाई या दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। अब तक सिर्फ मास्क का वितरण किया जा रहा है। वह भी अभी गांव में सभी घरों तक मास्क का वितरण नहीं किया गया। गांव में महिला हो या पुरुष अधिकांश लोग बिना मास्क के ही गलियों में निकल रहे हैं। सुबह शाम बिना शारीरिक दूरी का पालन किए लोग बैठकर बातचीत भी कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि शहर से ज्यादा इस बार गांवों में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है।


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