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करें सूर्य की आराधना कि फल्गु में हो जल

कमल नयन, गया छठ महापर्व पर अ‌र्घ्य देने के लिए फल्गु में थोड़ा भी जल नहीं है। प्रशासन द्वारा कई

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 01:42 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 01:42 AM (IST)
करें सूर्य की आराधना कि फल्गु में हो जल
करें सूर्य की आराधना कि फल्गु में हो जल

कमल नयन, गया

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छठ महापर्व पर अ‌र्घ्य देने के लिए फल्गु में थोड़ा भी जल नहीं है। प्रशासन द्वारा कई कुंड खोदकर किसी तरह अ‌र्घ्य देने की व्यवस्था की गई है, पर यह गंभीर स्थिति सबके लिए गंभीर चिंतन-मंथन का विषय है।

अभी सात से दस-बारह फीट गड्ढा खोदने पर थोड़ा-बहुत पानी निकला है। यह दर्शाता है कि फल्गु का जलस्तर किस कदर तेजी से सूख रहा है। इस महापर्व के मौके पर यह कामना भी जरूरी है कि फल्गु का अस्तित्व बचे, उसमें जल हो। यह नदी शहर की लाइफलाइन है। यहां के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों की धरोहर है। छठ जैसे महापर्व में अ‌र्घ्य के लिए नदी में जल नहीं हो, इसकी पीड़ा भी लोग झेल रहे हैं। इस समस्या का त्वरित निदान जरूरी है। हाल के वर्षो में नदी के लगातार अतिक्रमण और प्रदूषण के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। जिस नदी में तर्पण और अ‌र्घ्य जैसे पवित्र कार्य होते हैं, उसमें नाली का पानी बहाकर तो कचरा फेंककर उसके अस्तित्व पर ही संकट पैदा कर दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2011 में इस पर चिंता जताई थी। उनके निर्देश पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिकारियों की टीम ने नदी की दुर्दशा का जायजा लेने के बाद अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंपी थी। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को इस पर कार्रवाई का निर्देश भी दिया, पर बहुत ज्यादा कुछ नहीं हुआ। स्वयंसेवी संस्था प्रतिज्ञा ने न्यायालय में एक जनहित यचिका दायर कर फल्गु को बचाने का अनुरोध किया। न्यायालय ने 2015 में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। फल्गु पर डैम बनाने, नदी की मापी कर दोनों ओर दीवार, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि के निर्देश के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हो सका है। इस साल भी यही हालत है कि छठ में अ‌र्घ्य के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है।


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