ऐसी व्यवस्था से ले सकती है जान, बंध्याकरण करने के बाद महिलाओं को जमीन पर सुला रहे स्वास्थ्यकर्मी
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम देखिए कि कड़ाके की ठंड में 29 महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन करने के बाद शुक्रवार की रांत उन्हें जिंदगी और मौत से जुझने की स्थिति में जमीन पर सुला दिया गया। दर्जनभर मरीजों का ऑपरेशन किया गया था।
संवाद सहयोगी, रजौली(नवादा)। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम देखिए कि कड़ाके की ठंड में 29 महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन करने के बाद शुक्रवार की रांत उन्हें जिंदगी और मौत से जुझने की स्थिति में जमीन पर सुला दिया गया। परिवार नियोजन के तहत बंध्याकरण के ऑपरेशन के लक्ष्य को पूरा करने को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रजौली के द्वारा शुक्रवार को दर्जन भर मरीजों का ऑपरेशन किया गया था।
ऑपरेशन के बाद पीएचसी का लक्ष्य तो पूरा हो गया, लेकिन बंध्याकरण करा चुकी महिलाओं के जीवन दांव पर लग गए। कड़ाके की ठंड में जब लोगों को गर्म कपड़े और अलाव की जरूरत होती है, तो ऐसे वक्त में बंध्याकरण करा चुकी महिलाओं के ऊपर क्या बीत रही होगी। जिन महिलाओं के बंध्याकरण ऑपरेशन किए गए उनमें रजौली के एकंबा गांव निवासी बिरजू राजवंशी की पत्नी नीतू कुमारी, वीरू राजवंशी की पत्नी कोसमी देवी व रजौली थाना के पास के रहने वाले संतोष कुमार की भाभी पूजा देवी आदि शामिल है। मरीजों के परिजनों ने बताया कि पीएचसी प्रभारी डॉ बी एन चौधरी द्वारा सभी महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन किया गया है और अस्पताल में बेड नहीं है। की बात कह कर सभी महिलाओं को जमीन पर सुला दिया गया।
शुक्रवार की रात लगभग 9 बजे मीडियाकर्मियों द्वारा एसडीओ चंद्रशेखर आजाद को सूचना दी गई। एसडीओ ने सूचना दिए जाने के बाद सिविल सर्जन विमल प्रसाद सिंह से बात की। जिसके बाद सिविल सर्जन ने सभी मरीजों को अनुमंडलीय अस्पताल में शिफ्ट करने की बात कही। एसडीओ ने बीडीओ प्रेम सागर मिश्र को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। लेकिन लगभग एक घंटा बीत जाने के बाद सीओ अनिल कुमार निरीक्षण करने पहुंचे उन्होंने मरीज से बात बात की और उन्हें अनुमंडल अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए कहा लेकिन मरीजों ने यह कहते हुए मना कर दिया 11 बज गया है मुझे शिफ्ट करने में 12 बज जाएगा और सुबह में हमें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा जबकि बहुत सारे मरीज बेहोशी की हालत में जमीन पर पड़े हुए थे।
लापरवाही का आलम इतना ही नहीं बल्कि ऑपरेशन के बाद महिलाओं का हालचाल जानने के लिए ना तो कोई कंपाउंडर वहां पर थे और ना ही डॉक्टर ऐसे में अगर जिन महिलाओं को ऑपरेशन किया गया था उनके साथ कोई परेशानी होती तो इसका जवाब देहि कौन लेता यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी इस तरह की लापरवाही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देखी गई है लेकिन कार्रवाई के नाम पर स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा कर देते हैं। गौरतलब है कि अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में 75 मरीजों के लिए बेड उपलब्ध है। बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत क्षेत्र से आई महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन करने के बाद उन्हें जमीन पर सुला देना वाकई स्वास्थ्य व्यवस्था के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।