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औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में नये कृष‍ि कानून के खिलाफ किसान महासभा का धरना

Aurangabad News नया कृषि कानून खत्म करने और एमएसपी पर सौ फीसदी खरीदारी को ले दाउदनगर में किसान महासभा का धरना किसानों की मांग पर भारत सरकार एकदम संवेदनहीन जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक जारी रहेगा देशभर में आंदोलन

By Shubh NpathakEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 04:15 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 04:15 PM (IST)
औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में नये कृष‍ि कानून के खिलाफ किसान महासभा का धरना
दाउदनगर में धरना देते किसान महासभा के नेता। जागरण

गया/औरंगाबाद/ दाउदनगर, जेएनएन। नये बने तीनों कृषि कानून को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 100 प्रतिशत फसल की खरीदारी करने की गारंटी देने और बिजली संशोधन कानून 2020 वापस लेने की मांग को लेकर सोमवार को अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा औरंगाबाद जिले के दाउदनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में धरना दिया गया। इस संबंध में एक स्मार पत्र बीडीओ को सौंपा गया। धरना की अध्यक्षता कामता प्रसाद यादव ने की। जनार्दन प्रसाद सिंह, दूधेश्वर मेहता, वीरेंद्र कुमार वर्मा, चंद्रमा पासवान, राजकुमार भगत, धर्मेंद्र कुमार, राजद प्रखंड अध्यक्ष देवेंद्र सिंह, मेहंदी इमाम, शिवदानी पंडित एवं अन्य धरना में शामिल हुए।

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नेताओं ने कहा-किसानों को गुलाम बनाने वाला कानून

धरना में शामिल सभी वक्‍ताओं ने कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार की खिलाफत की। कहा कि किसानों को गुलाम बनाने वाले तीनों कानून अविलंब वापस लिया जाना चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी खरीद बिहार में अविलंब कराने और शत-प्रतिशत सरकार द्वारा खरीदने की गारंटी देने एवं बिजली संशोधन कानून 2020 वापस लेने की मांग की गई। कहा गया कि मांगें पूरी नहीं हुईं तो बिहार में भी चरणबद्ध किसान आंदोलन तेज किया जाएगा। इसमें कहा गया कि किसानों की मांग को लेकर भारत सरकार का चेहरा संवेदनहीन साबित हो रहा है। सरकार कॉरपोरेट को मदद कर रही है। और इस ठंड के बावजूद उसे किसानों की कोई चिंता नहीं है। कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कॉरपोरेट को बढ़ावा देने वाले सरकार के तीन कानून वापस नहीं ले लिए जाते।

एमएसपी पर झूठा आश्‍वासन दिए जाने का लगाया आरोप

किसान नेताओं ने कहा कि एमएसपी पर झूठा आश्वासन बार-बार दिया जा रहा है। बार-बार कहा जा रहा है कि यह कानून किसानों के लिए लाभदायक है। 14 दिन से सरकार के पास कुछ भी नया कहने को नहीं है। धरनार्थियों ने कहा कि सरकार किसान के विरोध के बिंदु पर जवाब नहीं दे रही। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि राज्य सरकारें कुछ सुधार कर सकती हैं। तब सवाल उठता है कि खेती में केंद्रीय कानून क्यों बनाया गया। केवल कॉरपोरेट को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया। किसानों के विरोध और उसके सवालों का उत्तर देने से सरकार बच रही है। इनका कहना है कि नए कानून से एक तरफ सरकारी मंडिया समाप्त हो जाएंगी और दूसरी और किसान बर्बाद हो जाएंगे।


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