SNCU:नवजात के लिए वरदान है औरंगाबाद सदर अस्पताल में बना एसएनसीयू, अब तक तीन हजार बच्चों को मिला नया जीवन
औरंगाबाद सदर अस्पताल में बना एसएनसीयू नवजात शिशुओं को नया जीवन दे रहा है। इसमें 13 बच्चों को एक साथ भर्ती किए जाने की व्यवस्था है। इलाज के तमाम संसाधन होने की वजह से यह काफी उपयोगी साबित हो रहा है।
जेएनएन, औरंगाबाद। सदर अस्पताल स्थित विशेष एसएनसीयू (Sick Newsborn Care Unit) नवजात शिशुओं को नया जीवन दे रहा है। खासकर गरीब घरों के बच्चों के लिए तो यह वरदान से कम नहीं। यहां 13 बच्चों के भर्ती होने की व्यवस्था है। यहां वैसे नवजात को भर्ती किया जाता है जो जन्म लेने के बाद उनकी हालत नाजुक होती है।एसएनसीयू के संचालन के लिए प्रशिक्षित नर्स एवं शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गई है। जो बच्चे भर्ती होते हैं उन्हें हर तरह की सुविधा दी जाती है।
गरीबों के लिए बड़ा सहारा है सदर अस्पताल का एसएनसीयू
सदर अस्पताल के इस एसएनसीयू से वैसे लोगों को अधिक फायदा होता है जो निजी अस्पतालों के एसएनसीयू में अपने बच्चों को नहीं रख सकते हैं। निजी अस्पतालों में एक दिन का औसतन एक से डेढ़ हजार रुपये लिया जाता है। यह आर्थिक रूप्ा से कमजोर माता-पिता के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में सदर अस्पताल का एसएनसीयू उनके लिए बड़ा सहारा है। अंबा से पहुंची रीना देवी ने बताया कि उनका बच्चा एसएनसीयू में भर्ती है। सांस लेने में परेशानी थी। लेकिन एसएनसीयू में इलाज के बाद उसमें सुधार हो रहा है।
बच्चों की आंखों में नहीं लगाएं काजल
एसएनसीयू में कार्यरत डॉक्टर कहते हैं कि नवजात शिशुओं के मामले में कई तरह की सावधानी जरूरी है। वे कहते हैं कि बच्चों की आंख में काजल नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चे की आंख खराब हो सकती है। जन्म के बाद बच्चों को मां का पहला दूध जरूर देना चाहिए। डाॅ. दिनेश बताते हैं कि यहां बच्चों का हर तरह से ख्याल रखा जाता है। इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सको का पदस्थापन किया गया है। यह एसएनसीयू 24 घंटे खुला रहता है। एसएनसीयू के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले डीपीएम मनोज कुमार ने बताया कि एसएनसीयू बच्चों के लिए जीवनदायी बन गया है। जब से खुला है तब से अब तक तीन हजार बच्चों को नया जीवन मिला है। यह गरीबों को आर्थिक शोषण से भी बचाता है। बच्चों के इलाज के लिए तमाम संसाधन यहां उपलब्ध हैं।