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झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे पर आई मुस्कान, नवादा में भी अच्‍छी फसल होने की बढ़ी उम्‍मीद

एक पखवाड़े बाद मंगलवार की शाम से रुक रुक कर हो रही मौसमी झमाझम बारिश से क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों के चेहरे पर मुस्कान फैल रही है। पिछले दिनों बारिश के अभाव के कारण खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी।

By Prashant KumarEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 03:48 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 03:48 PM (IST)
झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे पर आई मुस्कान, नवादा में भी अच्‍छी फसल होने की बढ़ी उम्‍मीद
मकनपुर गांव के खेतों में लहलहाती धान की फसलें। जागरण।

संवाद सहयोगी, वारिसलीगंज (नवादा)। एक पखवाड़े बाद मंगलवार की शाम से रुक रुक कर हो रही मौसमी झमाझम बारिश से क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों के चेहरे पर मुस्कान फैल रही है। पिछले दिनों बारिश के अभाव के कारण खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी। धान की फसलों पर कीटो का प्रभाव एवं रंग पीला पड़ने लगा था। सकरी नहर में पानी आना बंद होने के बाद क्षेत्र के किसान काफी चिंतित होने लगे थे। गांव देहातो के बूढ़े किसान कहने लगे थे कि फुलही काश सकल महि जानि, जनु बर्षा कृत प्रकट बुढाई। यानी आहार अलंग पर जमे कांश के पौधे में फूल निकल आये हैं, इसलिए बर्षा के बूढ़े होने का प्रमाण मिल रहा है।

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इस उक्ति को सुनकर किसान खासकर नवोदित किसानों को अब बारिश नहीं होने की चिंता खाये जा रही थी। लेकिन, मंगलवार की शाम मौसम ने करबट लिया और झमाझम बारिश शुरू होकर किसानों की दुखती रग पर मरहम का काम किया। फिलहाल क्षेत्र के किसान बारिश रुकने के बाद अपने खेतों से खर पतवार की निकासी बाद यूरिया का छिड़काव करने की तैयारी में हैं। ग्रामीण लोगो की माने तो प्रखंड के जिस इलाके में सकरी नदी का पानी नहीं पहुंच पाता है वहां के किसानों की खेती पूर्णतः मानसून आधारित होता है, जबकि बारिश नहीं होने की स्थिति में गांव गांव पहुंची बिजली भी कुछ मददगार साबित होती है।

पिछले एक पखवाड़े से क्षेत्र में बारिश के अभाव में सड़कों पर धूल उड़नी शुरू हो गई थी। किसान फसल को झुलसते देख परेशान हो रहे थे। बारिश की कमी से खेतों की मिट्टी शख्त हो गई थी फलतः खर पतवार  (निकॉनी) निकलने में परेशानी होने लगी थी। किसानों की माने तो कड़ाके की गर्मी से धान की फसलों में कई प्रकार को कीटाणु का प्रभाव देखने को मिलने लगा था। लेकिन झमाझम बारिश एवं हल्की हवा के थपेड़ों ने फसलों को रोग मुक्त कर दिया है। यह वारिश धान की फसलों के लिए संजीबनी का काम किया है।


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