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जदयू सांसद ने दो करोड़ से खरीदी थी छह एंबुलेंस, रखे-रखे हो गई बेकार, वजह जान रह जाएंगे हैरान

अप्रैल 2013 में सांसद निधि से छह बीएलए की खरीदारी एक करोड़ 92 लाख रुपये से की गई थी। लेकिन ये बेकार हो गईं। निबंधन ना होने के कारण कभी इस्तेमाल न किया जा सका। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन इस बर्बादी का जिम्‍मेदार है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 29 Apr 2021 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 01:20 PM (IST)
जदयू सांसद ने दो करोड़ से खरीदी थी छह एंबुलेंस, रखे-रखे हो गई बेकार, वजह जान रह जाएंगे हैरान
ओबरा पीएससी परिसर में खड़ी एंबुलेंस। जागरण

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। कोविड-19 के इस दौर में मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है। पूरी चिकित्सा व्यवस्था हांफ रही है। आम अवाम  संकट में है। इसके बावजूद जिले में एक करोड़ 92 लाख रुपये से वर्ष 2013 में खरीदी गई छह एंबुलेंस बेकार पड़ी है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। काराकाट लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 में सांसद बने महाबली सिंह (JDU MP Mahabali Singh) ने अप्रैल 2013 में दाउदनगर, ओबरा, हसपुरा, गोह, बारुण और नवीनगर पीएचसी के लिए बेसिक लाइफ एंबुलेंस (Basic Life Ambulances) दी थी। प्रत्येक की खरीद पर 32 लाख रुपये की लागत आई थी।लेकिन खरीदे जाने के बाद  एक दिन भी किसी मरीज की सेवा में इन एंबुलेंसों को बीते आठ वर्ष में एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। समस्या सिर्फ परिवहन विभाग से इन एम्बुलेंसों का पंजीकरण न किया जाना बताया जाता रहा है। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी रकम की बर्बादी के लिए जिम्मेदार कौन है और किसी की जवाबदेही बीते 8 वर्ष में क्यों नहीं तय की गई?

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प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली: सांसद 

एंबुलेंस देने वाले सांसद महाबली सिंह ने बताया कि उन्होंने जब एंबुलेंस दी उसके बाद वे चुनाव हार गए। बाद में किसी ने प्रयास नहीं किया। जब दोबारा चुनाव जीत कर आए तो स्वास्थ्य मंत्री, जिला पदाधिकारी और सिविल सर्जन से इन्हें चालू करने के लिए बातचीत की लेकिन सफलता नहीं मिली है। इनके अनुसार औरंगाबाद के डीएम सौरभ जोरवाल ने पहल की किंतु कामयाबी नहीं मिली। समस्या वाहन के निबंधन को लेकर है। परिवहन विभाग ने निबंधन करने से इंकार कर दिया है।

बर्बाद होना ही एंबुलेंस की नियति:- विधायक 

ओबरा से राजद विधायक (RJD MLA) ऋषि कुमार ने बताया कि विधायक बनने के बाद जब पहली बार जिला मुख्यालय में दिशा की बैठक हुई, जिसमें सांसद, विधायकों के अलावा डीएम के अधीन काम करने वाले तमाम विभाग के नुमाइंदे उपस्थित थे। उसमें एंबुलेंस न चलने का सवाल उठाया था। बताया गया था कि निबंधन की समस्या है। एक अधिकारी ने यह तक कहा कि इसका बर्बाद होना ही नियति है। तकनीकी कारणों से निबंधन नहीं हो रहा। सदन शुरू होगा तो इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे।

निबंधन नहीं हो सकता इनका:-डीएम

डीएम सौरभ जोरवाल ने बताया कि विभाग से बताया गया है कि कोर्ट के आदेश से उनका निबंधन नहीं हो सकता है। ये एम्बुलेंस पुराने मॉडल की थी जिन पर रोक है। आपदा में सरकार ने आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त एम्बुलेंस क्रय करने की अथवा किराये पर लेने की अनुमति दे दी है। एम्बुलेंस को लेकर समस्या नहीं है।


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