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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान का शेरघाटी में शुभारंभ, निकाली गई कलश यात्रा

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान का कार्यक्रम शेरघाटी में शुक्रवार को कलश यात्रा से प्रारंभ हुआ। कलश यात्रा शहर के तीन शिवाला से प्रारंभ हुआ जो मुख्य मार्ग होते हुए प्रकाश विद्यालय परिसर मे समारोह स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुआ।

By Prashant KumarEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 03:31 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 03:31 PM (IST)
श्रीराम जन्‍मभूमि के लिए अभियान का शुभारंभ करते लोग। जागरण।

संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान का कार्यक्रम शेरघाटी में शुक्रवार को कलश यात्रा से प्रारंभ हुआ। कलश यात्रा शहर के तीन शिवाला  से प्रारंभ हुआ जो मुख्य मार्ग होते हुए प्रकाश विद्यालय परिसर मे समारोह स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुआ। विद्यालय परिसर में आयोजित निधि समर्पण अभियान कार्यक्रम का शुभारंभ पूज्य स्वामी सत्य प्रकाश जी महाराज भागलपुर, दक्षिण बिहार प्रांत के प्रचारक राणा प्रताप, नगर संचालक डॉ राजेश सिंह, राम जन्मभूमि के ट्रस्टी सदस्य कामेश्वर चौपाल जिला कार्यवाह कमल किशोर स्थानीय चिकित्सक डॉ उदय प्रसाद डॉक्टर तपेश्वर प्रसाद डॉ शशि रंजन, चंद्र भानु प्रसाद गुप्ता सामाजिक कार्यकर्ता माया देवी द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।

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इस मौके पर स्वामी सत्य प्रकाश जी ने कहा कि 500 वर्षों के संघर्ष और कई पीढ़ियों के शहादत के बाद हम लोगों के समय में श्री राम जन्मभूमि पर अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। शहादत देने वालों को हम सब श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होते देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि विवादित स्थान पर कभी नमाज नहीं पढ़ा जाता लेकिन कुत्सित प्रयास किया गया। जिसका हम सभी हिंदुओं ने डटकर विरोध किया और हमारी जीत हुई है। संत ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत कमजोर होने पर बौद्धिक और आध्यात्मिक के साथ आत्मिक दृष्टि भी कमजोर हो जाती हैं। राम एक ऐसे महापुरुष थे जिनका संपूर्ण जीवन साहस और धैर्य से भरा है। उनसे हमें शिक्षा लेनी चाहिए। संत ने बताया कि वेदों से उपनिषद उपनिषद से पुराण और भगवान श्री राम संपूर्ण मानवता के उद्धारक थे। जब राजा बने तो उन्होंने कहा कि जिस राज्य के प्रजा दुखी हों वह राजा नरकवासी के समान है। इसलिए राजा कभी अपनी प्रजा की दुख नहीं देख सकता। संत ने कहा कि आप सब सामर्थ से बढ़कर भगवान के चरणों में समर्पित हो जाएं। अयोध्या का राम मंदिर हिंदू समाज के लिए राष्ट्र निर्माण धरोहर और हिंदू प्रतीक के रूप में जाना जाएगा। देश मे रामराज्य की स्थापना हो चुकी है। जिसकी कड़ी में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का प्रारंभ होना है। इसलिए हम सब हिंदू ऊंच-नीच अमीर गरीब जात पात भेदभाव से ऊपर उठकर हिंदुत्व के लिए अपना योगदान दें। इस मौके पर मुख्य अतिथि कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मैं राम भक्त हूं। पूरी मगध की धरती पावन भूमि है।

यह मोक्ष और ज्ञान की भूमि है। इसीलिए स्वयं राम को भी यहां आना पड़ा था। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि राम मंदिर के निर्माण में गया की प्रथम चांदी शीला शिलान्यास के रूप में लगाई गई है। अब समय आ गया है कि हम सचेत होकर जो काम प्रारंभ किए हैं राम मंदिर का निर्माण के लिए वह राष्ट्र जागरण के काम आएगा। इसलिए हिंदू राष्ट्र के निर्माण में आप सब अपना अपना योगदान अवश्य दें। दक्षिण बिहार के प्रांत प्रचारक राणा प्रताप ने कहा श्री राम बड़े दयालु होते हैं। राम जी हमेशा सदैव अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि 1528 से मुगल शासक बाबर के द्वारा अयोध्या के राम मंदिर पर आक्रमण कर मंदिर को नष्ट किया गया था। उस समय से हमारी लड़ाई चल रही है। मुगलों के साथ हुए लड़ाई में हमारे पूर्वजों ने लंबी कुर्बानी दी है। अयोध्या का पवित्र सरयू नदी हिंदुओं के रक्त से लाल हो गया था। राम मंदिर को बचाने में 76 युद्ध हुए। 492 साल तक पूर्वजों ने संघर्ष किया। लगभग चार लाख हिंदू पूर्वज इस कार्य में शहीद हुए। तब जाकर आज यह सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि 1989 में जब राम शिला पूजन के लिए पूरे देश से ईंट संग्रह करने का काम किया जा रहा था तो तत्कालीन कई राज्यों की सरकारें विरोध किया। राम भक्त गिरफ्तार किए गए। लेकिन हमारी लड़ाई चलती रही। 30 अक्टूबर 1990 को कार सेवा प्रारंभ हुई। तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार जो उत्तर प्रदेश में सत्ता में थी। राम भक्तों के साथ अन्याय की।

जगह-जगह उन्हें गिरफ्तारियां कराई गई और अयोध्या पहुंचने से रोका गया। लेकिन 6 दिसंबर 1992 को वह स्वर्णिम दिन आया जब कथित विवादित बाबरी मस्जिद को विध्वंस कर राम लला की पूजा अर्चना शुरू की गई। इसमें कई राम भक्तों को अपनी शहादत  देनी पड़ी। फिर उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय ने तीन ट्रस्टों को अलग-अलग भूखंड देने पर फैसला सुनाया। लेकिन राम भक्तों को यह मंजूर नहीं था। सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि श्री राम भगवान का जन्मस्थली का स्थान वही है और राम जन्मभूमि मंदिर न्यास समिति को विजय मिला तथा उस पर मंदिर का निर्माण कार्य प्रशस्त हुआ। 5 अगस्त 2020 को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि विधान से श्री राम मंदिर का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए अलग-अलग जगह से धन संग्रह करने की जरूरत इसलिए है कि उसमें पूरे भारत के हिंदुओं का अंशदान शामिल रहे।

अंशदान का कार्यक्रम 15 जनवरी 2021 से 27 फरवरी 2021 तक लगातार घर घर जाकर राम भक्तों की टोली संग्रह करेंगे। इस मौके पर नगर के डॉक्टर तपेश्वर प्रसाद 1 लाख 25000 डॉ उदय प्रसाद 1 लाख, डॉक्टर राजेश सिंह व प्रियंका सिंह 1लाख 11000 डॉ शशि रंजन कुमार 51 हजार विनय प्रसाद गुप्ता इंडेन गैस अधिस्वामी 51 हजार तथा 10 वर्षीय बालक यशस्वी कुमार ने भरा हुआ गुल्लक दान किया। इसके पूर्व आगत अतिथियों को अंग वस्त्र देकर नगर के राम भक्तों ने स्वागत किया।


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