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शेरशाह के रौजा को गोद ले पॉवर ग्रिड और निखारे इसकी सूरत, भाजपा सांसद ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र

शेरशाह के रौजा के दिन बहुरने के आसार हैं। इसको लेकर रोहतास के भाजपा सांसद छेदी पासवान ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा है। उनसे आग्रह किया है कि पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन इसको गोद ले ले ताकि इसका विकास हो सके।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 10:42 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 10:42 AM (IST)
रोहतास के सासाराम स्थित शेरशाह का रौजा। जागरण

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। अफगान स्थापत्य कला के अप्रतिम नमूना सासाराम स्थित शेरशाह के रौजा को विकसित करने के लिए स्थानीय भाजपा (BJP) सांसद छेदी पासवान ने प्रयास शुरू किया है। इसके लिए उन्‍होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री (Minister of Power) को पत्र लिख आग्रह किया है इसे पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Power grid corporation of India) गोद ले ले। पत्र में कहा है कि पावरग्रिड इसे गोद ले पर्यटन सुविधाओं को विकसित करता है तो यहां देश-विदेश के हजारों पर्यटक पहुंचेंगे। इससे एक तो इस ऐतिहासिक धरोहर की खूबसूरती निखर जाएगी साथ ही रोजगार के साधन भी विकसित होंगे।

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अब तक उपेक्षित है ऐतिहासिक धरोहर

सांसद ने ऊर्जा मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश के कई ऐतिहासिक धरोहरों को नवरत्न कंपनियाें ने गोद ले विकसित किया है। शेरशाह रौजा देश के महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है। बावजूद यह उपेक्षा का शिकार है। यहां गर्मी व बरसात के दिनों में धूप तथा बारिश से बचने के लिए कोई जगह नहीं है। इस वजह से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है। जबकि इसके चारों तरफ 50 एकड़ से अधिक भूमि परती पड़ी हुई है। अगर इस भूमी का उपयोग पार्क व पर्यटक सुविधाएं विकसित करने में हो तो इस खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल को देखने काफी संख्या में पर्यटक आएंगे । उन्होंने ऊर्जा मंत्री से पावरग्रिड प्रबंधन को आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की है।

स्‍थापत्‍य कला का बेजोड़ नमूना है यह मकबरा  

मालूम हो कि रोहतास के जिला मुख्‍यालय सासाराम में शेरशाह सूरी का मकबरा (रोजा) है। यह करीब 52 एकड़ के तालाब के बीच में स्थित है। इसे विश्‍व के एेतिहासिक धरोहर में शामिल किया जाता है। जमीन से इसकी ऊंचाई 122 फीट है। कहा जाता है क‍ि मकबरा का गुंबद विश्‍व में दूसरे स्‍थान पर आता है। पहले नंबर पर बीजापुर का गुंबद है। इतिहास की ओर देखें तो प्रसिद्ध अफगानी आर्किटेक्‍ट मीर मोहम्‍मद अलीवाग खान ने इसका डिजाइन तैयार किया था। शेरशाह सूरी की मृत्‍यु के बाद उसके पुत्र ने इसका निर्माण पूर्ण कराया था।


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