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ताजमहल बनवाने वाले शाहजहां ने बेगम के साथ यहां बिताए थे दिन, रोहतास गढ़ किले को देख हुए थे मुग्‍ध

बिहार के रोहतास जिले में स्थित रोहतास गढ़ किला आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दूर-दूर से लोग इस किले का दीदार करने पहुंचते हैं। इसकी भव्‍यता और विशालता देख लोग लोग प्रभावित हो जाते हैं। मुगल शासक शाहजहां भी इसे देख प्रभावित हुए थे।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 03:51 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 03:51 PM (IST)
ताजमहल बनवाने वाले शाहजहां ने बेगम के साथ यहां बिताए थे दिन, रोहतास गढ़ किले को देख हुए थे मुग्‍ध
18 वर्गमील में फैला है रोहतासगढ़ किला। जागरण

ब्रजेश पाठक, सासाराम। दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल (The Taj Mahal) को बनवाने वाले शाहजहां और उनकी बेगम ने कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतास गढ़ किला (Rohtasgarh fort) पर कुछ दिन बिताए थे। इसकी सुंदरता और खूबसूरती देख उनकी बेगम मोहित हो गई थी। यह किला लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इस किले का निर्माण आज भी इतिहासकारों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। इस किले के बारे में कई किवदंतियां हैं, तो यहां से शासन चलाने का कई प्रमाणिक साक्ष्य  भी हैं।  कैमूर पहाड़ी की शीर्ष पर स्थित यह किला आदिकाल से साहस, शक्ति व सर्वोच्चता के प्रतीक के रूप में खड़ा है।

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(रोहतासगढ़ किले का एक हिस्‍सा।)

त्रेतायुग में इसका हुआ था निर्माण 

स्थानीय लोग जहां इस किले का निर्माण त्रेतायुगीन राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व का कराया गया मानते हैं। वहीं आदिवासी इसे अपनी मातृभूमि करार देते हैं। वनवासियों के अनुसार रोहतास गढ़ किला त्रेता युग का माना जाता है। इसके इतिहास के संदर्भ में किला के मुख्यद्वार के पास दो बोर्ड लगे हुए हैं। उस पर लिखा हुआ है कि यह किला सत्य राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने बनवाया था। विभिन्न कालखंडों में यह किला आदिवासी राजा (खरवार, उरांव, चेरो ) के अधीन रहा है। आदिवासी इस किले को शौर्य का प्रतीक भी मानते है। 

 

(रोहतासगढ़ किले के कोने-कोने से जुड़ी है कहानी।)

28 वर्गमील में फैला है यह विशाल किला 

कुल 28 वर्गमील क्षेत्र में फैले इस किले में 83 दरवाजे हैं। ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार सातवीं सदी में बंगाल के शासक शशांक देव ने यहीं से अपना शासन चलाया था। उनका मुहर भी प्राप्त हुआ है। वहीं अकबर के शासन में राजा मान सिंह इसी किले से बिहार-बंगाल पर शासन चलाते थे। इसे प्रांतीय राजधानी घोषित किया था। दो सौ वर्ष से पूर्व जब सर्वेक्षण के क्रम में रोहतासगढ़ किला पर पहुंचे फ्रांसिस बुकानन को स्थानीय ग्रामीणों ने बताया था कि इस किले की दीवार से खून टपकता है तथा रात में आवाज आती है तो वे भी इनकी बात पर विश्वास कर गए थे। जिसका वर्णन उन्होंने अपनी डायरी में भी किया है। हालांकि अब जागरूक लोग इसे अंधविश्वास करार देते हैं।

(रोहतासगढ़ किले का बाहरी हिस्‍सा।)

शासन सत्ता का केंद्र रहा है रोहतासगढ़ का किला 

इस किला का निर्माण राजा रोहिताश्व ने करवाया इसका वर्णन हरिवंश पुराण में है।  रोहितपुर के नाम पर ही इस क्षेत्र का नामकरण रोहतास होता रहा है। कभी भारत के बादशाह शाहजहां भी इस किले में अपनी बेगम के साथ रहे हैं। मुगल साम्राज्य से पूर्व भी 1494 ई. में दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी ने राजा शालिवाहन को चैनपुर व रोहतास का राज्य सौंपा था। सर्वप्रथम 1764 ई. में मीर कासिम को बक्सर युद्ध में अंग्रेजों से पराजय के बाद यह क्षेत्र अंग्रेजों के हाथ आ गया। 1774 ई. में अंग्रेज कप्तान थामस गोडार्ड ने रोहतास गढ़ को अपने कब्जे में लिया और उसे तहस-नहस किया।

(किले के अंदर की नक्‍काशी देख प्रभावित होते हैं दर्शक।)

बिहार-बंगाल की थी संयुक्त राजधानी 

सम्राट अकबर के शासन काल 1582 ई. में रोहतास सरकार थी, यहीं से राजा मान सिंह बिहार और बंगाल का शासन चलाते थे। तब रोहतास किला उनकी प्रांतीय राजधानी हुआ करता था। यहां से बिहार-बंगाल के निवासियों के विकास के फैसले लिए जाते थे। इस रोहतास सरकार में सात परगना शामिल थे। बाद में 1784 ई. में तीन परगना को मिलाकर रोहतास जिला बना। इसके बाद यह शाहाबाद का अंग बना और 10 नवंबर 1972 से पुन : रोहतास जिला कायम है।  

(किले के संबंध में जानकारी देता बोर्ड)

दो महीने यहां रुके थे शाहजहां  

इतितहासकार डा. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि इस किला पर भारत के बादशाह शाहजहां खुर्रम 1621 में अपनी बेगम के साथ यहां दो महीना रहे। यहीं पर मुराद बख्श का जन्म हुआ। इस किला की खूबसूरती पर काफी प्रभावित हुए थे। इस किला का निर्माण सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के पुत्र रोहिताश्व के द्वारा कराया गया। इस जगह पर उन्होंने रोहितपुर बसाया था। जिसका वर्णन हरिवंश पुराण में भी आया है। रोहतास गढ़ के नाम पर ही इस क्षेत्र का नामकरण रोहतास होता रहा है।


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