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हत्या के मामले में सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा, सभी पर लगा 20-20 हजार का जुर्माना

जिला व्यवहार न्यायालय के फास्ट ट्रैक् कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश ओम प्रकाश सिंह की अदालत ने मंगलवार को हत्या के मामले में दोषी पाए गए सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 05:25 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 05:25 PM (IST)
हत्या के मामले में सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा, सभी पर लगा 20-20 हजार का जुर्माना
हत्‍या के मामले में सात अभियुक्‍तों को मिली सजा। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, भभुआ। जिला व्यवहार न्यायालय के फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश ओम प्रकाश सिंह की अदालत ने मंगलवार को हत्या के मामले में दोषी पाए गए सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर अभियुक्तों को छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

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सजा पाने वालों में रामगढ़ थाना क्षेत्र के देवहलियां गांव निवासी बेचू राम का पुत्र भोरिक राम, स्व. राम नगीना राम का पुत्र जय प्रकाश राम, काशी राम का पुत्र रामाशीष राम, दशमी राम का पुत्र जितेंद्र राम और मुन्ना राम, बालकेश्वर राम का पुत्र रविकांत राम व मोहनियां थाना क्षेत्र के अंवारी गांव निवासी मु्द्रिका राम का पुत्र उमेश राम शामिल हैं।

इस मामले में सूचक रामगढ़ थाना क्षेत्र के देवहलियां गांव निवासी स्व. राज किशोर सिंह के पुत्र उदय प्रताप सिंह ने बताया है कि गांव में स्थित 3.70 डिसमिल जमीन का विवाद चल रहा था। 25 नवंबर 2011 की रात साढ़े 11 बजे पिता राज किशोर सिंह अपने चेंबर पर सोए हुए थे। उदय प्रताप व उनका चचेरा भाई अनिल कुमार सिंह गांव से थोड़ी दूर पर घास का पटवन कर रहे थे। तभी चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। आवाज सुन दोनों लोग चेंबर की तरफ दौड़ते हुए गए। बल्ब की रोशनी में सूचक ने अपने पिता राज किशोर सिंह को चारपाई के चारों तरफ घेर कर झूका हुआ देखा। सूचक तथा उनके साथ के लोग हल्ला करते हुए पहुंचे तो राज किशोर सिंह मृत पड़े थे तथा सिर से खून बह रहा था।

सूचक द्वारा मारते वक्त दो अभियुक्तों की पहचान कर ली गई थी और दोनों को पकड़ लिया गया था। जिसमें भोरिक राम और उमेश राम थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या करने की बात सामने आई थी। इसके बाद रामगढ़ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। मामला विचारण के दौरान विद्वान न्यायाधीश ने हत्या के मामले में उक्त सातों लोगों को दोषी पाते हुए उपरोक्त सजा सुनाई। इस केस में अपर लोक अभियोजक कामता प्रसाद सिंह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रहलाद सिंह थे।


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