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अनाज उत्पादन में अव्वल गाव की धरती प्यासी, कई एकड़ रह जाती परती

37 से 43 लोगो गांव की पाती --------- -परैया प्रखंड के फुरहुरिया गाव में उड़ाही के अभाव में 52 बीघे में फैले ढाब तालाब खो रहा अस्तित्व ----------- परेशानी -घोड़ाघट से निकली नहर को गांव तक पहुंचाने की ग्रामीण कर रहे मांग -गांव के स्कूल में शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई प्रभावित --------- -02 हजार से अधिक आबादी वाले गाव में संसाधन की कमी नहीं -14 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय से बसे गाव को सुरक्षा की जरूरत -0

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 08:03 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 11:35 PM (IST)
अनाज उत्पादन में अव्वल गाव की धरती प्यासी, कई एकड़ रह जाती परती
अनाज उत्पादन में अव्वल गाव की धरती प्यासी, कई एकड़ रह जाती परती

गया । वर्तमान में सिंचाई सुविधाओं के संचालन, अनुरक्षण, विस्तार व आधुनिकीकरण की दिशा में प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। सिंचाई प्रबंधन के अभाव में कृषि क्षेत्र की वर्षा जल पर निर्भरता घातक सिद्ध हो रहा है। गया मेडिकल से अंबा राजमार्ग 101 पर स्थित फुरहुरिया गाव के रकबे में चार सौ एकड़ खेतिहर भूमि है। सिंचाई के अभाव में महज तीन सौ एकड़ पर ही खेती हो रही है। कई बार तो पानी के अभाव में लहलहाती फसल सूख जाती है। अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर गाव की धरती सोना उगलने लगे यदि घोड़ाघट से निकली नहर मात्र 10 किलोमीटर दूर खण्डल से चलकर यहा तक आ जाए।

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दो हजार से अधिक आबादी वाले गाव में संसाधन के नाम पर एक उत्क्रमित उच्च विद्यालय व आगनबाड़ी केंद्र है। गाव के पूरब स्थित विशाल ढाब तालाब पूर्वजों का दिया एक अनमोल उपहार है। उड़ाही के अभाव में 52 बीघे में फैले ढाब तालाब अस्तित्व खो रहा है। जानकर किसी को हैरत होती है कि इस गाव में 52 बीघे का एक तालाब है, जो वर्षो से उड़ाही के अभाव में पूरी तरह से उथला हो गया है। परिणाम आज भूजल स्तर गिरने से लोगों के कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं। पानी की भी समस्या से लोग जूझ रहे हैं। हालांकि, नल जल योजना के तहत पानी की किल्लत दूर करने का प्रयास जारी है।

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भव्य मंदिर और विशाल खेल

मैदान आकर्षण का केंद्र

फुरहुरिया गाव पौराणिक समय से क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। प्रखंड व जिला मुख्यालय के बीच स्थित गाव की शोभा आकर्षक प्रवेश द्वार, भव्य मंदिर और विशाल खेल के मैदान बढ़ा रही है। परैया व गया से भले ही गाव की दूरी पाच कोस है लेकिन गाव के अंदर की व्यवस्था समृद्धि को दर्शाती है।

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इसी गांव के हैं मैराथन

धावक रमेश कुमार

एकलव्य की तरह यहा के ग्रामीण अपनी प्रतिभा को धार देते रहे हैं। ऐसे ही हैं यहा के मैराथन धावक रमेश कुमार उर्फ विमलेश सिंह, जिन्होंने अपने कारनामे से राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में अपनी विशेष पहचान बनाई है। गाव की भौगोलिक स्थिति देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होता कि कितने संघर्ष के बाद रमेश कुमार ने अपने जुनून को परवान दिया होगा। उनकी दिनचर्या में शामिल खेतों खलिहान की दौड़ ने उनकी सास और धैर्य को इतना मजबूत बनाया कि सभी मैराथन दौड़ में उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली।

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ओपी खोलने की मांग

नक्सल और अपराध से यह क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित रहा है। ऐसे में गया शहर और परैया प्रखंड से करीब 14.15 किलोमीटर दूर बसे इस गाव को अपराध और अपराधी तत्वों का भय रहता है। ऐसे में ग्रामीण एक पुलिस ओपी खोलने की मांग करते रहते हैं।

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स्टेडियम बनाने की मांग

खेल के विकास की अच्छी है संभावना

गाव के पूरब स्थित विशाल आठ एकड़ के समतल भूखंड में ग्रामीण स्टेडियम बनाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार कभी फुटबॉल खेल में दिग्गज रहे फुरहुरिया गाव के युवा अच्छे खेल मैदान के अभाव से फुटबॉल में रुचि नहीं लेते। फुटबॉल खिलाड़ी रहे जयराम सिंह उर्फ प्रभात बताते हैं, अब युवा फुटबॉल में रुचि नहीं लेते।

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उपस्वास्थ्य केंद्र की जरूरत

छोटी-छोटी बीमारियों के उपचार के लिए ग्रामीणों को शहर का रुख करना पड़ता है। गाव की दो हजार आबादी व आस पड़ोस के आधा दर्जन टोलों कस्बों के हजारों ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को लेकर चिंतित रहते हैं। सड़क की उपलब्धता में गाव से शहर जाना आसान है, लेकिन मामूली बीमारी के लिए ज्यादा किराया खर्च कर शहर जाना गरीबों के बस की बात नहीं है। इसके कारण लोग आस पड़ोस की दुकान से दवा लेकर घरेलू उपचार का खतरा उठा लेते हैं।

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गाव में मध्य विद्यालय विगत कई वषरें से संचालित था। हमेशा शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित रही। इस वर्ष मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर उच्च विद्यालय बना दिया गया पर किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई।

मुरारी सिंह, समाजसेवी

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गाव में कई वर्ष पहले नाली व गली का निर्माण हुआ है। नालियां खुली हैं। इसके कारण गली से दो व चार पहिया वाहन का गुजरना संभव नहीं है। इसके अलावा पुरानी नालिया जर्जर हैं, जो बारिश में मच्छरों के प्रकोप को बढ़ा देती हैं। साथ ही गाव की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाती है।

संजू देवी, वार्ड छह की सदस्या

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परैया का यह क्षेत्र काफी संवेदनशील था। आज भी गाव के पूरब स्थित कमलदह अपराधियों का शरणस्थल से विख्यात है। इस भयावह स्थिति में प्रखंड व जिला मुख्यालय से कोसों दूर ग्रामीण असुरक्षित महसूस करते हैं। ग्रामीणों को यह आस है कि सरकार द्वारा यहा एक पुलिस आउटपोस्ट की स्थापना की जाएगी।

अर्जुन सिंह, बुजुर्ग ग्रामीण

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गाव के रकबे में चार सौ एकड़ खेतिहर भूमि है। सिंचाई के अभाव में महज तीन सौ एकड़ पर खेती हो रही है। कई बार तो पानी के अभाव में लहलहाती फसल सूख जाती है। पिछले तीन वर्षो से यह समस्या विक्राल होती जा रही है। रोटेशन में बिजली सप्लाई से किसान और टूट चुके हैं। खेत की पटवन पूरी भी नहीं होती और बिजली चली जाती है, जो चौबीस घंटे बाद ही मिलती है।

मुन्ना सिंह, किसान

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पढ़ाई के लिए स्थानीय स्तर पर कोई कॉलेज नहीं है। इसके कारण छात्रों को इंटर के बाद सीधा शहर जाना पड़ता है। इसके अलावा खेल में रुचि लेने वाले युवा अच्छे खेल मैदान के अभाव में अपनी प्रतिभा को मार दे रहे हैं।

मणिभूषण कुमार, युवक

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प्रस्तुति : दिग्विजय कुमार सिंह

मोबाइल नंबर : 7979099275

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