करकटगढ़ में देखिए मनोरम जलप्रपात और मगरमच्छों का हुजूम, मन मोह लेगी यहां की प्राकृतिक सुंदरता
बिहार के पर्यटन स्थल के रूप में कैमूर के करकटगढ़ को जगह मिलने के बाद अब यह स्थान लोगों का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बनता जा रहा है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं। बिहार का एकमात्र मगरमच्छ संरक्षण केंद्र यहीं है।
भभुआ (कैमूर), संवाद सहयाेगी। कभी गुमनामी का दंश झेल रहा करकटगढ़ जलप्रपात बिहार के पर्यटन सूची में शामिल हो गया। आज यह लोगों का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बनता जा रहा है। कैमूर जिले के अलावा दूसरे जिले व प्रदेशों के लोग भी आते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, जलप्रपात, मगरमच्छ संरक्षण केंद्र (Crocodile Conservation Center) आदि देख कर किसी का भी मन प्रफुल्लित हो जाता है। करकटगढ़ जलप्रपात (Water Falls) का नजारा मन को मोह लेता है।
दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित है करकटगढ़ जलप्रपात
जिले के चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर पहाड़ी में स्थित करकटगढ़ गांव के समीप कर्मनाशा नदी पर वाटर फॉल है। उत्तर प्रदेश में बने बांध से पानी निकलने के बाद पहाड़ी से होते हुए करकटगढ़ गांव से थोड़ी दूर पर करीब अचानक 500 फीट से अधिक की गहराई में पानी अचानक गिरता है। उस मनोरम दृश्य को देखनेेे के लिए लोग अधिकांश संख्या में पहुंचते हैं।
बिहार में सिर्फ करकटगढ़ में हैं मगरमच्छों का संरक्षण केंद्र
करकटगढ़ में मगरमच्छों के संरक्षण का केंद्र है। बिहार में सिर्फ यही स्थल है जहां मगरमच्छ संरक्षण का केंद्र है। यहां लगभग सौ से अधिक की संख्या में मगरमच्छ हैं। ये मगरमच्छ पानी में रहते हैं। ठंड के मौसम में धूप लेने के लिए बाहर निकलते हैं और पत्थरों पर आकर बैठते हैं। जिन्हें देखने के लिए लोग काफी उत्सुक नजर आते हैं। वन विभाग द्वारा इनके संरक्षण के लिए पत्थरों को घेर कर उन्हें जलप्रपात में जाने से रोकने की व्यवस्था की गई है। इससे वे हमेशा उसी में रहते हैं। अचानक कभी पानी तेज आने पर छोटे व कम वजन के मगरमच्छ पानी के बहाव में जलप्रपात में चले जाते हैं।
नीतीश आए तो बदली इस जगह की सूरत
वन विभाग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार वहां पहुंचे। उसके बाद जिले के प्रशासनिक स्तर के अलावा आम लोगों को भी करकटगढ़ के बारे में पता चला। इससे पहले वहां पहुंचने के लिए सुगम रास्ता की भी व्यवस्था नहीं थी। सीएम नीतीश कुमार ने उस स्थल को देखने के बाद उसे पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए वन विभाग और जिला प्रशासन को भी निर्देश दिया। उसके बाद तत्कालीन पर्यावरण एवं जलवायु विभाग के मंत्री बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी करकटगढ़ का भ्रमण किया। उसके बाद इको टूरिज्म के रूप में उसको विकसित करने के लिए काम शुरू किया गया।
इको पार्क में घूमने का लगता है 20 रुपये का शुल्क
वर्तमान समय में करकटगढ़ के पास इको टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए इको पार्क का निर्माण किया गया है। जहां इको फ्रेंडली सामग्रियों से तेंदुआ हिरण मगरमच्छ व अन्य कई जीव जंतु बनाए गए हैं। पार्क में तालाब व अन्य कई चीजें भी बनाई गई है। पार्क में पहुंचने वालों के लिए 20 रुपये शुल्क भी निर्धारण किया गया है। इसके अलावा करकटगढ़ जलप्रपात के साथ सेल्फी लेने के लिए झूला का निर्माण किया गया है। जहां से लोग सेल्फी ले सकते हैं। इसको सेल्फी प्वाइंट के रूप में ही विकसित किया गया है। वर्तमान समय में इको पार्क के बन जाने के बाद तथा करकटगढ़ के चर्चा का विषय बनने के बाद पटना से लेकर बिहार के अलावा अन्य जगहों से भी लोग करकट गढ़ पहुंचने लगे हैं आजकल करकटगढ़ का नाम इंटरनेट पर भी खूब सर्च किया जा रहा है वर्तमान समय में पर्यावरण विभाग तथा पथ निर्माण विभाग की ओर से सहमति बनने के बाद सेंचुरी क्षेत्र होने के बाद भी वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता का निर्माण शुरू होने चुका है।
वन विभाग कर रहा सुविधाओं का विस्तार
वन विभाग भी टूरिज्म को देखते हुए इको पार्क तथा करकटगढ़ जलप्रपात देखने के लिए शुल्क का निर्धारण कर दिया है। वहीं रात्रि में विश्राम करने के लिए भी निर्धारित शुल्क है। इसके अलावा वाहन शुल्क का भी निर्धारण कर दिया गया है। जल्द ही पर्यावरण विभाग कल्यानीपुर से सफारी से करकटगढ़ तक घुमाने की व्यवस्था करेगा।
कहते हैं डीएफओ
डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि विभाग की ओर से काम किया जा रहा है। करकटगढ़ जलप्रपात, इको पार्क तथा वहां तक पहुंचने के लिए वाहन की व्यवस्था आदि के लिए वेबसाइट पर काम किया जा रहा है। वेबसाइट के माध्यम से ही टिकट व अन्य चीजों की बुकिंग हो पाएगी। करकटगढ़ में गांव के लोगों को रोजगार दिया जाए इसको लेकर भी आसपास के क्षेत्रों में दुकान लगाने की व्यवस्था पर काम हो रहा है।